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सरकारी स्कूल में पसरी अव्यवस्थाएं, नौनिहाल मिड डे मील की थाली धोने को मजबूर

सीधी जिले के सेमरिया कस्बे से लगे पोड़ी गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अव्यवस्थाओं का आलम है. जिसके चलते छात्रों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय
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Published : Sep 26, 2019, 9:49 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 11:06 AM IST

सीधी। प्रदेश सरकार गांव-गांव में शिक्षा पहुंचाने के दावे करती है, जिसके लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन जिले के सेमरिया कस्बे से लगे पोड़ी गांव में शिक्षा की बदहाल हालत इन सभी दावों पर सवालिया निशान छोड़ जाती है. आलम ये है कि गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है. क्लासरूम में बच्चों के साथ कुत्ते भी मौजूद रहते हैं. ऐसे में नौनिहालों के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा.

सरकारी स्कूल में फैलीं अव्यवस्थाएं

इतना ही नहीं स्कूल में बाउंड्री वॉल नहीं होने से असामाजिक तत्वों ने स्कूल को अपना अड्डा बना लिया है. जिसकी गवाही परिसर की दीवारें दे रहीं हैं. स्कूल में दो शौचालय बने तो जरूर हैं, लेकिन सांप के डर से उनमें ताला डला रहता है.

वहीं मिड डे मील के तहत दिए जाने वाले खाने की तो कहानी ही कुछ और है. सब्जी में पानी के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता. छोटे-छोटे बच्चे खाने के बाद खुद थाली धोने को मजबूर हैं. इस बारे में जब रसोईया लक्ष्मी बाई से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब जैसा मिलता है, वैसा काम कर देते हैं, जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता ठाकुर का कहना है कि अब समूह वाले लोग नहीं आते, तो थालियों को कौन धोएगा. बच्चों को ही उनकी थाली धोनी पड़ेगी.

वहीं स्कूल के हेड मास्टर आर के प्रजापति से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया. सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन गांव के स्कूलों की ऐसी हालत सोचने पर मजबूर कर देती है.

सीधी। प्रदेश सरकार गांव-गांव में शिक्षा पहुंचाने के दावे करती है, जिसके लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन जिले के सेमरिया कस्बे से लगे पोड़ी गांव में शिक्षा की बदहाल हालत इन सभी दावों पर सवालिया निशान छोड़ जाती है. आलम ये है कि गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है. क्लासरूम में बच्चों के साथ कुत्ते भी मौजूद रहते हैं. ऐसे में नौनिहालों के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा.

सरकारी स्कूल में फैलीं अव्यवस्थाएं

इतना ही नहीं स्कूल में बाउंड्री वॉल नहीं होने से असामाजिक तत्वों ने स्कूल को अपना अड्डा बना लिया है. जिसकी गवाही परिसर की दीवारें दे रहीं हैं. स्कूल में दो शौचालय बने तो जरूर हैं, लेकिन सांप के डर से उनमें ताला डला रहता है.

वहीं मिड डे मील के तहत दिए जाने वाले खाने की तो कहानी ही कुछ और है. सब्जी में पानी के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता. छोटे-छोटे बच्चे खाने के बाद खुद थाली धोने को मजबूर हैं. इस बारे में जब रसोईया लक्ष्मी बाई से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब जैसा मिलता है, वैसा काम कर देते हैं, जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता ठाकुर का कहना है कि अब समूह वाले लोग नहीं आते, तो थालियों को कौन धोएगा. बच्चों को ही उनकी थाली धोनी पड़ेगी.

वहीं स्कूल के हेड मास्टर आर के प्रजापति से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया. सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन गांव के स्कूलों की ऐसी हालत सोचने पर मजबूर कर देती है.

Intro:एंकर-- सीधी में शिक्षा व्यवस्था किस हद तक बदहाल हो चुकी है जिसकी एक बांगी हमें ग्रामीण अंचल के एक स्कूल में देखने को मिली जहां बच्चों के साथ गांव के कुत्ते शिक्षा ले रहे हैं हाल यह है कि छोटे छोटे बच्चे भोजन की थाली धोते हैं शिक्षिकाएं बैठकर मारते हैं जिम्मेदार कहते हैं इसमें हम क्या कर सकते हैं।।



Body:वॉइस ओवर (1)--सीधी में शिक्षा का कितना बुरा हाल है जिसकी एक तस्वीर देखने से पता चलता है कि सेमरिया कस्बे से लगे पोड़ी गांव के माध्यमिक स्कूल में कितनी अवस्थाएं व्याप्त है छात्र-छात्राओं के साथ कुत्ते भी आराम से सोए रहते हैं स्कूल में बाउंड्री वॉल ना होने से असामाजिक तत्वों द्वारा गंदगी की जाती है साफ-सफाई का अभाव,है दो शौचालय भी मौजूद है लेकिन सांप के डर से ताला ही नहीं खुलता हाल यह है कि मध्यान्ह भोजन इतना घटिया कि जानवर भी ना खाएं छोटे-छोटे बच्चे हैंडपंप में भोजन करने के बाद खुद होते हैं बच्चे क्लास रूम में तो शिक्षिकाएं एक साथ में मस्त रहती हैं ऐसे में देश के भविष्य कहे जाने वाले इन बच्चों का शासकीय स्कूल में भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है क्या कर सकते हैं स्कूल में नहीं है समूह के लोग कभी-कभी धो देते हैं हम कार्यकर्ता हैं हम थाली धो नहीं सकते हैं वहीं स्कूल के हेड मास्टर का कहना है कि राउंड मार लेते हैं बाकी हम कर भी क्या सकते हैं सेटिंग हम कर लेते हैं।।
बाइट(1)सुनीता ठाकुर(आंगनबाड़ी कार्यकर्ता)
बाइट(2) लक्ष्मी बाई (शारदा समूह)
बाइट(3)आर के प्रजापति(हैड मास्टर)।



Conclusion:बहराल पौड़ी गांव का यह स्कूल सीधी में एकबारगी कही जा सकती है जिले में ऐसे और भी कई स्कूल है जो ऐसी हियर व्यवस्थाएं व्याप्त है शासन-प्रशासन सिरका कागजों में खानापूर्ति कर अपने दायित्वों का निर्वाहन करते आ रहे हैं ऐसे में देखा जाएगा कि आखिर कब तक देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कब तक रुकता है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश।
Last Updated : Sep 26, 2019, 11:06 AM IST
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