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सीधी की रेत खदानों में मशीनों से काम किए जाने पर मजदूरों ने किया विरोध, लगाया गंभीर आरोप

सीधी की रेत खदानों में मशीनों से काम लिया जा रहा है, जिसका विरोध मजदूरों और ग्रामीणों ने किया. मजदूरों का कहना है कि, गांव वालों को रोजगार ना देकर जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाकर उत्खनन किया जा रहा है. जिससे वे बेरोजगार हो गए है.

Machines working in sand mines
रेत खदानों में मशीनों से हो रहा काम
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Published : Oct 16, 2020, 3:10 PM IST

सीधी। सीधी की सोन गोपद और बनास नदी से रेत खनन किया जाता है, जिले में लगभग 13 खदाने संचालित की जाती हैं. 4 खदानों को छोड़कर बाकी सभी खदानों में नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान अपने- अपने गांव लौटे मजदूरों को सरकार ने मनरेगा के तहत रोजगार देने का दावा किया था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से प्रवासी श्रमिकों की अनदेखी की जा रही है.

प्रवासी श्रमिकों की अनदेखी

खदान संचालक जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाकर नदियों से रेत खनन का काम कर रहे है. जिसपर मजदूरों ने आपत्ति जताई है. जिसे लेकर शुक्रवार को भरोही रेत खदान के आसपास के ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की है. ग्रामीणों का कहना है कि, गांव वालों को रोजगार ना देकर जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाकर उत्खनन किया जा रहा है, जिससे नदियों का स्रोत और पर्यावरण तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही स्थानीय लोगों का रोजगार भी छिन रहा है.

मजदूरों की मांग

मजदूरों का कहना है कि, एक तो पहले से ही हमें मजदूरी कम मिल रही है. ऊपर से अब मशीनों से रेत खदानों में काम करवाया जा रहा है. कोरोना काल में पहले से ही हम लोग परेशान हैं, ऐसे में रेत संचालकों का यह रवैया हमें बेरोजगार बना दिया है. मजदूरों का कहना है कि, एक ओर सरकार कहती है कि, पलायन रोका जाएगा और मजदूरों को काम उनके गांव में ही दिया जाएगा,लेकिन यहां रेत संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर मशीनों से उत्खनन कराया जा रहा है. जिससे मजदूरों को जीवन यापन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सरपंच बसंती बाई ने मांग की है कि, मशीनों से उत्खनन ना कराकर मजदूरों से काम कराया जाए, ताकि बेरोजगारों को काम मिल सके. वहीं इस मामले में जिम्मेदार कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं, हालांकि सीधी कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि, अगर ऐसा है तो इस पर चर्चा की जाएगी और संभवत स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने की कोशिश की जाएगी.

सीधी। सीधी की सोन गोपद और बनास नदी से रेत खनन किया जाता है, जिले में लगभग 13 खदाने संचालित की जाती हैं. 4 खदानों को छोड़कर बाकी सभी खदानों में नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान अपने- अपने गांव लौटे मजदूरों को सरकार ने मनरेगा के तहत रोजगार देने का दावा किया था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से प्रवासी श्रमिकों की अनदेखी की जा रही है.

प्रवासी श्रमिकों की अनदेखी

खदान संचालक जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाकर नदियों से रेत खनन का काम कर रहे है. जिसपर मजदूरों ने आपत्ति जताई है. जिसे लेकर शुक्रवार को भरोही रेत खदान के आसपास के ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की है. ग्रामीणों का कहना है कि, गांव वालों को रोजगार ना देकर जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाकर उत्खनन किया जा रहा है, जिससे नदियों का स्रोत और पर्यावरण तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही स्थानीय लोगों का रोजगार भी छिन रहा है.

मजदूरों की मांग

मजदूरों का कहना है कि, एक तो पहले से ही हमें मजदूरी कम मिल रही है. ऊपर से अब मशीनों से रेत खदानों में काम करवाया जा रहा है. कोरोना काल में पहले से ही हम लोग परेशान हैं, ऐसे में रेत संचालकों का यह रवैया हमें बेरोजगार बना दिया है. मजदूरों का कहना है कि, एक ओर सरकार कहती है कि, पलायन रोका जाएगा और मजदूरों को काम उनके गांव में ही दिया जाएगा,लेकिन यहां रेत संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर मशीनों से उत्खनन कराया जा रहा है. जिससे मजदूरों को जीवन यापन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सरपंच बसंती बाई ने मांग की है कि, मशीनों से उत्खनन ना कराकर मजदूरों से काम कराया जाए, ताकि बेरोजगारों को काम मिल सके. वहीं इस मामले में जिम्मेदार कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं, हालांकि सीधी कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि, अगर ऐसा है तो इस पर चर्चा की जाएगी और संभवत स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने की कोशिश की जाएगी.

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