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अनलॉक के बाद बढ़ी महंगाई, आम आदमी से लेकर किसान और व्यापारी परेशान

लॉकडाउन की मंदी से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे कि अब महंगाई की मार पड़ने लगी है. सब्जी राशन सब के भाव आसमान छू रहे हैं, जिस कारण आम जनता महंगाई से त्रस्त है.

Inflation increase in sidhi
सीधी में महंगाई
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Published : Nov 11, 2020, 6:06 PM IST

Updated : Nov 11, 2020, 6:16 PM IST

सीधी। लॉकडाउन की मंदी से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे कि अब महंगाई की मार पड़ने लगी है. सब्जियों और राशन की आसमान छूती कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. आम जनता महंगाई से त्रस्त है. ऐसा ही हाल है आदिवासी जिला सीधी का जहां महंगाई चरम पर है, यहां सब्जी राशन सब के भाव आसमान छू रहे हैं. इस महंगाई की चपेट से डीजल पेट्रोल भी दूर नहीं है. आलम यह है कि बढ़ती महंगाई ने हर किसी को त्रस्त कर दिया है.

सीधी में महंगाई

40 रुपये प्रति किलो से कम में कोई सब्जी बाजार में उपलब्ध नहीं है, वहीं पेट्रोल और डीजल के लगातर बढ़ते दाम ने भी आम आदमी का बजट विगाड़ दिया है. किराना दुकानदारों का कहना है कि उनकी भी अब कमर टूट चुकी है. व्यापरियों का कहना है कि इतना मंहगा समान कैसे लाए और लाएं भी तो बाजार में बिना मांग के उसे कैसे खपाएं.

सीधी के किराना और डेली नीड्स का सामान रखने वाले दुकानदार का कहना है कि कोरोना के दौरान पर ट्रांसपोर्टेशन ना होने के कारण महंगाई तो बड़ी है, जिस कारण मंहगाई बढ़ गई. वहीं अब लोगों के खानपान में कच्चे आइटम का इस्तेमाल बढ़ने के कारण भी मंहगाई बढ़ गई, क्यों की लॉकडाउन के बाद से कंपनियों ने प्रोडक्शन तो चालू किया लेकिन बाजार नहीं मिल पा रहा है.

सीधी के किराना शॉप पर आसमान छूते दाम

  • लहसुन 150 रुपये प्रति किलो
  • जीरा 450 रुपये प्रति किलो
  • राहल दाल 140 रुपये प्रति किलो
  • उड़द की दाल 140 रुपये प्रति किलो
  • मसूर की दाल 110 रुपये प्रति किलो
  • मूंग की दाल 120 रुपये प्रति किलो
  • चना 140 रुपये प्रति किलो
  • शक्कर 45 और गुड़ 50 से 55 रुपये प्रति किलो
  • रिफाइन तेल 140 लीटर
  • काली मिर्च 700 रुपये प्रति किलो
  • दालचीनी 460 रुपये प्रति किलो
  • खड़ा धनिया करीब 130 रुपये प्रति किलो

किराना सामान ही नहीं बल्कि सब्जियों के दाम भी पिछले लंबे समय से बढ़े हुए हैं और लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. आलू प्याज जिसे आदमी हमेशा खरीदता है ऐसी सदाबहार सब्जी की कीमत औसतन 40 से 50 रुपए रुपये प्रति किलो है. इतने बढ़े हुए दामो से आम इंसान की पहुंच से दूर होने से किसान भी परेशान है. सब्जियों का खेती करने वाले श्रीकांत जयसवाल और दिनेश जयसवाल का कहना है कि इस लॉकडाउन ने किसानों की कमर भी तोड़ दी है.

कोरोना काल की शुरूआत से ही शुरू हुई मंहगाई से अब आम लोग हतास होते जा रहे हैं. चुनाव प्रचार और सरकार बचाने के खेल में लगे नेताओं को अब फुरसत मिली है,अब देखना होगा कि सरकार जनता की इस समस्या को किस हद तक निजात दिलाती है.

सीधी। लॉकडाउन की मंदी से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे कि अब महंगाई की मार पड़ने लगी है. सब्जियों और राशन की आसमान छूती कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. आम जनता महंगाई से त्रस्त है. ऐसा ही हाल है आदिवासी जिला सीधी का जहां महंगाई चरम पर है, यहां सब्जी राशन सब के भाव आसमान छू रहे हैं. इस महंगाई की चपेट से डीजल पेट्रोल भी दूर नहीं है. आलम यह है कि बढ़ती महंगाई ने हर किसी को त्रस्त कर दिया है.

सीधी में महंगाई

40 रुपये प्रति किलो से कम में कोई सब्जी बाजार में उपलब्ध नहीं है, वहीं पेट्रोल और डीजल के लगातर बढ़ते दाम ने भी आम आदमी का बजट विगाड़ दिया है. किराना दुकानदारों का कहना है कि उनकी भी अब कमर टूट चुकी है. व्यापरियों का कहना है कि इतना मंहगा समान कैसे लाए और लाएं भी तो बाजार में बिना मांग के उसे कैसे खपाएं.

सीधी के किराना और डेली नीड्स का सामान रखने वाले दुकानदार का कहना है कि कोरोना के दौरान पर ट्रांसपोर्टेशन ना होने के कारण महंगाई तो बड़ी है, जिस कारण मंहगाई बढ़ गई. वहीं अब लोगों के खानपान में कच्चे आइटम का इस्तेमाल बढ़ने के कारण भी मंहगाई बढ़ गई, क्यों की लॉकडाउन के बाद से कंपनियों ने प्रोडक्शन तो चालू किया लेकिन बाजार नहीं मिल पा रहा है.

सीधी के किराना शॉप पर आसमान छूते दाम

  • लहसुन 150 रुपये प्रति किलो
  • जीरा 450 रुपये प्रति किलो
  • राहल दाल 140 रुपये प्रति किलो
  • उड़द की दाल 140 रुपये प्रति किलो
  • मसूर की दाल 110 रुपये प्रति किलो
  • मूंग की दाल 120 रुपये प्रति किलो
  • चना 140 रुपये प्रति किलो
  • शक्कर 45 और गुड़ 50 से 55 रुपये प्रति किलो
  • रिफाइन तेल 140 लीटर
  • काली मिर्च 700 रुपये प्रति किलो
  • दालचीनी 460 रुपये प्रति किलो
  • खड़ा धनिया करीब 130 रुपये प्रति किलो

किराना सामान ही नहीं बल्कि सब्जियों के दाम भी पिछले लंबे समय से बढ़े हुए हैं और लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. आलू प्याज जिसे आदमी हमेशा खरीदता है ऐसी सदाबहार सब्जी की कीमत औसतन 40 से 50 रुपए रुपये प्रति किलो है. इतने बढ़े हुए दामो से आम इंसान की पहुंच से दूर होने से किसान भी परेशान है. सब्जियों का खेती करने वाले श्रीकांत जयसवाल और दिनेश जयसवाल का कहना है कि इस लॉकडाउन ने किसानों की कमर भी तोड़ दी है.

कोरोना काल की शुरूआत से ही शुरू हुई मंहगाई से अब आम लोग हतास होते जा रहे हैं. चुनाव प्रचार और सरकार बचाने के खेल में लगे नेताओं को अब फुरसत मिली है,अब देखना होगा कि सरकार जनता की इस समस्या को किस हद तक निजात दिलाती है.

Last Updated : Nov 11, 2020, 6:16 PM IST
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