सीधी। जिले में किसानों को खेतों में लगी धान की फसलों के लिए यूरिया और डीएपी खाद नहीं मिलने से वे भटकने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासन का दावा है कि सीधी जिले में 154 मीट्रिक टन खाद पहुंच चुका है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बनी समितियों को भेजा जा रहा है. इस पर किसानों का आरोप है कि खाद की कालाबाजारी हो रही है, जो किसान महंगे दाम दे सकता है उन्हें खाद मिल रही है. बाकी गरीब किसान को कई दिनों से खाद के लिए भटकना पड़ रहा है.
कोरोना वायरस की मार झेल रहे किसानों के सामने अब नया संकट सामने आया है. किसी तरह किसानों ने अपने खेतों में धान की रोपाई तो कर दी है, लेकिन यूरिया ओर डीएपी खाद न मिलने की वजह से किसानों की फसलें सूखने की कगार पर पहुंच रही हैं. खाद लेने के लिए किसान एक सप्ताह से अधिक समय से भटक रहे है. कभी उन्हें सोसाइटी भेज दिया जाता है तो कभी समिति में खाद मिलेगी कहकर भगा दिया जाता है. जिससे किसानों के सामने मुसीबत खड़ी हो रही है.
किसानों की मानें तो खाद यूरिया की लिए कई दिनों से भटक रहे हैं. एक किसान का कहना है कि शासकीय कीमत यूरिया की एक बोरी 270 रुपये है, जबकि इसकी कालाबाजारी कर 500 रुपये में ब्लैक की जा रही है ओर हकदार किसानों को खाद देने से मना कर दिया जाता है. किसानों का कहना है कि एक तो बरसात कम होने से फसल सूख रही है. ऊपर से खाद नहीं मिलने से उन्हें नुकसान हो रहा है. समिति के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
वहीं इस मामले में जिला कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि खाद की आपूर्ति कर ली गई है. बरिगंवा गांव से 154 मेट्रिक टन खाद मंगाई गई है, जो जिला मुख्यालय गोदाम पहुंच गई है, ग्रामीण इलाके की समिति तक पहुंचाई जा रही है. 77 टन अमलिया, 75 मीट्रिक टन चुरहट के लिए भेजी गई है.