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कोरोना के चलते आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे किसान और व्यापारी, शासन-प्रशासन नहीं ले रहा सुध

कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ बड़े व्यवसाई प्रभावित हुए हैं, बल्कि किसान, मजदूर वर्ग, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग और सड़कों-फुटपाथों पर ठेला लगाने वाले छोटे व्यवसाई आर्थिक बदहाली की मार झेलने को मजबूर हो रहे हैं.

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Published : Sep 29, 2020, 3:02 AM IST

Small business has come to a standstill due to Corona
कोरोना के चलते छोटे व्यापार ठप्प हो गए हैं

सीधी। मार्च के बाद से लगे लॉकडाउन की वजह से किसानों के साथ-साथ छोटे व्यवसाई भी आर्थिक तंगी की मार झेलने को मजबूर हैं. इन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद करने के बावजूद भी भरपेट भोजन नसीब नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुके किसान और छोटे व्यवसायियों की सुध ना तो शासन ले रहा है और ना ही प्रशासन. कोरोनावायरस की वजह से अब इनके सामने भूख से मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है.

कोरोना के चलते छोटे व्यापार ठप्प हो गए हैं

सीधी शहर में लगभग 1600 के आस पास ऐसे छोटे-मोटे व्यवसाई होंगे, जो रोज कमाकर खाने वालों में से हैं. इनकी रोजी रोटी लॉकडाउन से काफी हद तक प्रभावित हुई है. चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट पाल रही प्रेमवती बाई का कहना है कि दो महीने पहले इनके पति की मौत हो गई. चाय बनाकर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे, लेकिन लॉकडाउन में ग्राहक नहीं आते. जहां कभी 10 लीटर दूध की खपत होती थी. वहा आज महज दो लीटर दूध की खपत ही हो पाती है. जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गयी है.

वहीं, ढ़ाई एकड़ में खेती करने वाले किसान रामकिशन का कहना है कि इस साल खेती पर प्रकृति की मार पड़ी है. कहीं कम तो कहीं अधिक बारिश होने से इन्हें भारी नुकसान हो रहा है. फुलकी का ठेला लगाकर गुजर-बसर करने वाले प्रमोद कुमार सोनी का कहना है कि लॉकडाउन के पहले बैंक से कर्ज लिया था, वह भी नहीं चुका पा रहे हैं और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है. इसी तरह गंगा प्रसाद पेठा का ठेला लगाकर जीवन गुजारा कर रहे हैं, इनकी मानें तो कोरोनावायरस की वजह से इनके सामने आर्थिक तंगी आ गई है. परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल पड़ रहा है.

सब्जी का ठेला लगाकर गुजर-बसर करने वाले सुभाष जायसवाल और फल का ठेला लगाकर व्यवसाय करने वाले जयराम यादव का कहना है कि इस बार लॉकडाउन ने हम छोटे व्यवसायियों की कमर तोड़ कर रख दी है. जिस पर न तो कोई शासन ध्यान दे रहा है और ना ही कोई प्रशासन ध्यान दे रहा है. ग्राहक आते नहीं हैं. दिन दिन भर बैठ कर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है.

कोरोनावायरस ने देश में रहने वाले छोटे व्यवसाई, किसान, मजदूर वर्ग की कमर तोड़ दी, साथ ही इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. जिससे अब इनके सामने जिंदगी की जद्दोजहद करने के बावजूद भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है. ऐसे ही में देखना अब होगा की शासन प्रशासन इन व्यवसायियों की जिंदगी फिर से पटरी पर लाने के लिए क्या कोई मदद करते हैं.

सीधी। मार्च के बाद से लगे लॉकडाउन की वजह से किसानों के साथ-साथ छोटे व्यवसाई भी आर्थिक तंगी की मार झेलने को मजबूर हैं. इन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद करने के बावजूद भी भरपेट भोजन नसीब नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुके किसान और छोटे व्यवसायियों की सुध ना तो शासन ले रहा है और ना ही प्रशासन. कोरोनावायरस की वजह से अब इनके सामने भूख से मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है.

कोरोना के चलते छोटे व्यापार ठप्प हो गए हैं

सीधी शहर में लगभग 1600 के आस पास ऐसे छोटे-मोटे व्यवसाई होंगे, जो रोज कमाकर खाने वालों में से हैं. इनकी रोजी रोटी लॉकडाउन से काफी हद तक प्रभावित हुई है. चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट पाल रही प्रेमवती बाई का कहना है कि दो महीने पहले इनके पति की मौत हो गई. चाय बनाकर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे, लेकिन लॉकडाउन में ग्राहक नहीं आते. जहां कभी 10 लीटर दूध की खपत होती थी. वहा आज महज दो लीटर दूध की खपत ही हो पाती है. जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गयी है.

वहीं, ढ़ाई एकड़ में खेती करने वाले किसान रामकिशन का कहना है कि इस साल खेती पर प्रकृति की मार पड़ी है. कहीं कम तो कहीं अधिक बारिश होने से इन्हें भारी नुकसान हो रहा है. फुलकी का ठेला लगाकर गुजर-बसर करने वाले प्रमोद कुमार सोनी का कहना है कि लॉकडाउन के पहले बैंक से कर्ज लिया था, वह भी नहीं चुका पा रहे हैं और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है. इसी तरह गंगा प्रसाद पेठा का ठेला लगाकर जीवन गुजारा कर रहे हैं, इनकी मानें तो कोरोनावायरस की वजह से इनके सामने आर्थिक तंगी आ गई है. परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल पड़ रहा है.

सब्जी का ठेला लगाकर गुजर-बसर करने वाले सुभाष जायसवाल और फल का ठेला लगाकर व्यवसाय करने वाले जयराम यादव का कहना है कि इस बार लॉकडाउन ने हम छोटे व्यवसायियों की कमर तोड़ कर रख दी है. जिस पर न तो कोई शासन ध्यान दे रहा है और ना ही कोई प्रशासन ध्यान दे रहा है. ग्राहक आते नहीं हैं. दिन दिन भर बैठ कर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है.

कोरोनावायरस ने देश में रहने वाले छोटे व्यवसाई, किसान, मजदूर वर्ग की कमर तोड़ दी, साथ ही इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. जिससे अब इनके सामने जिंदगी की जद्दोजहद करने के बावजूद भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है. ऐसे ही में देखना अब होगा की शासन प्रशासन इन व्यवसायियों की जिंदगी फिर से पटरी पर लाने के लिए क्या कोई मदद करते हैं.

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