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पुलिस का एक और चेहरा आया सामने, आदिवासी बच्चों को बांटी खाद्य सामग्री - Tribal Zone Majhauli

सीधी में आदिवासी अंचल मझौली में गरीब आदिवासियों के बच्चे रोज ट्रेनी डीएसपी साबेरा अंसारी की गाड़ी का इंतजार करते है, क्योंकि वो रोज उनके लिए कुछ खाने को लेकर आती हैं.

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Published : May 16, 2020, 5:59 PM IST

सीधी। लॉकडाउन होने के बाद पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए हमारे कोरोना वॉरियर्स दिन-रात जुटे हुए हैं, लेकिन वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस माहौल में पुलिस का भी एक नया रूप देखने को मिल रहा है. पुलिस कोरोना के संकटकाल में आम लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनी हुई है.

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीधी से सामने आया है जहां छोटे-छोटे गरीब बच्चे सायरन वाली गाड़ी का इंतजार करते हैं, क्योंकि गाड़ी से आने वाली पुलिस मैम उनके लिए खाना लेकर लाती हैं. ट्रेनी डीएसपी साबेरा अंसारी का पुलिस में ह्यूमन टच का यह अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है. सीधी जिले के आदिवासी अंचल मझौली में गरीब आदिवासियों के बच्चे तपती दोपहरी में पेड़ों के नीचे बैठकर साबेरा अंसारी का इंतजार करते हैं.

गाड़ी के सायरन की आवाज सुनते ही भूख से बुझे बच्चों के चेहरों पर जैसे खुशी की लहर दौड़ जाती है. उन्हें उम्मीद रहती है कि, अगर सायरन वाली गाड़ी आएगी तो पुलिस वाली मैम उनके लिए खाने-पीने की चीजें लेकर आएंगी. इसी उम्मीद के साथ बच्चे दिन भर गाड़ी के इंतजार में बैठे रहते हैं.

सीधी। लॉकडाउन होने के बाद पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए हमारे कोरोना वॉरियर्स दिन-रात जुटे हुए हैं, लेकिन वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस माहौल में पुलिस का भी एक नया रूप देखने को मिल रहा है. पुलिस कोरोना के संकटकाल में आम लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनी हुई है.

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीधी से सामने आया है जहां छोटे-छोटे गरीब बच्चे सायरन वाली गाड़ी का इंतजार करते हैं, क्योंकि गाड़ी से आने वाली पुलिस मैम उनके लिए खाना लेकर लाती हैं. ट्रेनी डीएसपी साबेरा अंसारी का पुलिस में ह्यूमन टच का यह अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है. सीधी जिले के आदिवासी अंचल मझौली में गरीब आदिवासियों के बच्चे तपती दोपहरी में पेड़ों के नीचे बैठकर साबेरा अंसारी का इंतजार करते हैं.

गाड़ी के सायरन की आवाज सुनते ही भूख से बुझे बच्चों के चेहरों पर जैसे खुशी की लहर दौड़ जाती है. उन्हें उम्मीद रहती है कि, अगर सायरन वाली गाड़ी आएगी तो पुलिस वाली मैम उनके लिए खाने-पीने की चीजें लेकर आएंगी. इसी उम्मीद के साथ बच्चे दिन भर गाड़ी के इंतजार में बैठे रहते हैं.

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