ETV Bharat / state

मजबूरी की कड़वी हकीकत, मध्यप्रदेश-राजस्थान सीमा के कोटा नाके पर शौचालय में रुकने को मजबूर मजदूर - Shivpuri news

शिवपुरी में मप्र और राजस्थान की सीमा पर बने कोटा नाके पर प्रवासी मजदूर शौचालय को अपना सहारा बनाने को मजबूर है और अपने गांव पहुंचाने के लिए सरकार से आस लगाए बैठे है.

shivpuri
shivpuri
author img

By

Published : May 28, 2020, 12:05 AM IST

शिवपुरी। ये तस्वीर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बने कोटा नाके की है. जहां मध्य प्रदेश के शिवपुरी और राजस्थान के बांरा जिले की सीमा जुड़ती है. कुछ दिनों पहले तक यहां पैदल चलने वाले मजदूरों की काफी आवाजाही रही, लेकिन अब सड़क पर सन्नाटा जैसा ही है. दरअसल, मजदूरों के पैदल पलायन से सरकारों की किरकिरी होने के बाद पैदल चलने पर पाबंदी जैसी है.

मजबूरी की कड़वी हकीकत

जब हमारी टीम ने कोटा नाके पर जाकर हकीकत जानी तो वहां पाया कि अधिकतर मजदूर बस के इंतजार में शौचालय में डेरा डाले बैठे हैं. जिन्हें वहां भी जगह नहीं मिली वो आधी धूप या दीवार की थोड़ी छांव में सिमटने की कोशिश करते नजर आए या फिर सड़क किनारे बैठे पाए गए.

मजदूरों की मुश्किलें भी 2-4 नहीं बल्कि कई हैं. कोई घंटों से बस का इंतजार कर रहे हैं. तो किसी ने बताया कि उन्हें राजस्थान से यहां मध्य प्रदेश तक ये कहकर छोड़ा गया है कि उनका आगे का इंतजाम दूसरे राज्य के मंत्री करेंगे.

दूसरी तरफ, नाके पर मध्य प्रदेश के जिन सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, उन्होंने बताया कि यहां प्रवासियों के लिए भोजन पानी का पूरा इंतजाम है और वाहनों से प्रवासी मजदूरों को गंतव्य स्थान की तरफ भेजा जाता है.

मध्यप्रदेश शासन के सरकारी दावे और वादे हकीकत से जुदा हैं, अधिकांश राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक नहीं बल्कि दूसरे राज्य की सीमा तक छोड़ रही है, ताकि उनकी किरकिरी ना हो और मुश्किल हालातों से जूझते हुए, मजबूर मजदूर घर वापसी के लिए हालात से जंग सी लड़ रहा है.

शिवपुरी। ये तस्वीर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बने कोटा नाके की है. जहां मध्य प्रदेश के शिवपुरी और राजस्थान के बांरा जिले की सीमा जुड़ती है. कुछ दिनों पहले तक यहां पैदल चलने वाले मजदूरों की काफी आवाजाही रही, लेकिन अब सड़क पर सन्नाटा जैसा ही है. दरअसल, मजदूरों के पैदल पलायन से सरकारों की किरकिरी होने के बाद पैदल चलने पर पाबंदी जैसी है.

मजबूरी की कड़वी हकीकत

जब हमारी टीम ने कोटा नाके पर जाकर हकीकत जानी तो वहां पाया कि अधिकतर मजदूर बस के इंतजार में शौचालय में डेरा डाले बैठे हैं. जिन्हें वहां भी जगह नहीं मिली वो आधी धूप या दीवार की थोड़ी छांव में सिमटने की कोशिश करते नजर आए या फिर सड़क किनारे बैठे पाए गए.

मजदूरों की मुश्किलें भी 2-4 नहीं बल्कि कई हैं. कोई घंटों से बस का इंतजार कर रहे हैं. तो किसी ने बताया कि उन्हें राजस्थान से यहां मध्य प्रदेश तक ये कहकर छोड़ा गया है कि उनका आगे का इंतजाम दूसरे राज्य के मंत्री करेंगे.

दूसरी तरफ, नाके पर मध्य प्रदेश के जिन सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, उन्होंने बताया कि यहां प्रवासियों के लिए भोजन पानी का पूरा इंतजाम है और वाहनों से प्रवासी मजदूरों को गंतव्य स्थान की तरफ भेजा जाता है.

मध्यप्रदेश शासन के सरकारी दावे और वादे हकीकत से जुदा हैं, अधिकांश राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक नहीं बल्कि दूसरे राज्य की सीमा तक छोड़ रही है, ताकि उनकी किरकिरी ना हो और मुश्किल हालातों से जूझते हुए, मजबूर मजदूर घर वापसी के लिए हालात से जंग सी लड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.