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टेंडर पास होने के दो साल बाद भी नहीं बना पुल, जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे ग्रामीण

शिवपुरी जिले बैराड़ नगर परिषद प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही करने का मामला सामने आया है. जिसके कारण टेंडर स्वीकृत होने के दो साल बाद भी गौंदोलीपुरा गांव में पार्वती नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ है. जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Aug 7, 2020, 2:51 PM IST

Villagers crossing the river
नदी पार कर रहे ग्रामीण

शिवपुरी। बैराड़ नगर परिषद प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही करने का मामला सामने आया है. जिसके कारण टेंडर स्वीकृत होने के दो साल बाद भी गौंदोलीपुरा गांव में पार्वती नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ है. जहां बारिश के दिनों में नाला उफनते ही यहां के लोगों घरों में कैद होने को मजबूर हो जाते है. पुल निर्माण नहीं होने के कारण मरीजों, प्रसूता महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आलम ये है कि अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है तो उसे खाट के जरिए रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी को पार कराया जाता है.

जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे हैं ग्रामीण

जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही

पुल निर्माण के कार्य को लेकर नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो साल से टेंडर की स्वीकृति मिलने के बाद अभी तक पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. वहीं निर्माण कार्य को लेकर ठेकेदार और नगर परिषद के बीच अनुबंध पत्र ही संपादित नहीं हो पाया है. अगर परिषद प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा बैराड़ नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है.

दो साल पहले मिली है पुल निर्माण की स्वीकृति

बारिश के दिनों में गौंदोलीपुरा और वमनपुरा के बीच पड़ने वाली पार्वती नदी के नाले को ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पार रहे है. यहां के ग्रामीण काफी समय से इस नाले पर पुल निर्माण की मांग कर रहे है, लेकिन नाले पर पुल ना होने की वजह से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को काफी दिक्कतें होती है. ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए नगर परिषद बैराड़ ने गौंदोलीपुरा में पार्वती नदी पर 96 लाख की लागत से पुल निर्माण कार्य स्वीकृत की थी, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण आज भी पुल निर्माण की बाट जोह रहे है.

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नदी में डूबा ट्रैक्टर

बारिश में नाला उफनते ही घरों में कैद हो जाते हैं लोग

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय नाला उफान पर होता है और पुल निर्माण नहीं होने की वजह से सभी लोग अपने घरों में कैद हो जाते है. ऐसे में मरीजों, प्रसूता महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. रात में अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है, तो उसे खाट के जरिए रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी को पार कराया जाता है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उफनते नाले को पार कर रहा एक ट्रैक्टर ट्रॉली बह गया था, जिसे बा-मुश्किल किनारे पर खड़े लोगों ने रस्सियों के सहारे बाहर निकाला था.

नगर परिषद क्षेत्र में आने के बाद भी विकास से महरूम है गौंदोलीपुरा

साल 2013 में नगर परिषद बैराड़ के परिसीमन के समय गौंदोलीपुरा को नगर परिषद क्षेत्र में सम्मिलित कर वार्ड क्रमांक 15 बनाया गया था. नगरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब शायद गांव का विकास हो सकेगा, लेकिन नगर परिषद के 5 साल के कार्यकाल पूर्ण होने के बाद भी यहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है. गांव की अधिकांश गलियां कच्ची हैं, जो बारिश के मौसम में दलदल में तब्दील हो जाती हैं. पेयजल के लिए आज भी यहां के निवासी हैंडपंप और कुओं के पानी पर निर्भर है ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय नेता केवल यहां वोट बटोरने आते हैं, उसके बाद गांव की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता है.

ग्रामीणों का कहना है कि पुल के निर्माण के लिए कई बार सीएमओ साहब से कहा भी गया है, लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है. वहीं प्रभारी सीएमओ नगर परिषद बैराड़ का कहना है कि दो साल पहले पुल निर्माण कार्य का टेंडर स्वीकृत हो चुका है, लेकिन अभी तक ठेकेदार से अनुबंध पत्र संपादित नहीं किया गया है. ऐसा क्यों हुआ ये पूर्व में पदस्थ मुख्य नगरपालिका अधिकारी ही बता सकते हैं.

शिवपुरी। बैराड़ नगर परिषद प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही करने का मामला सामने आया है. जिसके कारण टेंडर स्वीकृत होने के दो साल बाद भी गौंदोलीपुरा गांव में पार्वती नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ है. जहां बारिश के दिनों में नाला उफनते ही यहां के लोगों घरों में कैद होने को मजबूर हो जाते है. पुल निर्माण नहीं होने के कारण मरीजों, प्रसूता महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आलम ये है कि अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है तो उसे खाट के जरिए रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी को पार कराया जाता है.

जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे हैं ग्रामीण

जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही

पुल निर्माण के कार्य को लेकर नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो साल से टेंडर की स्वीकृति मिलने के बाद अभी तक पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. वहीं निर्माण कार्य को लेकर ठेकेदार और नगर परिषद के बीच अनुबंध पत्र ही संपादित नहीं हो पाया है. अगर परिषद प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा बैराड़ नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है.

दो साल पहले मिली है पुल निर्माण की स्वीकृति

बारिश के दिनों में गौंदोलीपुरा और वमनपुरा के बीच पड़ने वाली पार्वती नदी के नाले को ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पार रहे है. यहां के ग्रामीण काफी समय से इस नाले पर पुल निर्माण की मांग कर रहे है, लेकिन नाले पर पुल ना होने की वजह से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को काफी दिक्कतें होती है. ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए नगर परिषद बैराड़ ने गौंदोलीपुरा में पार्वती नदी पर 96 लाख की लागत से पुल निर्माण कार्य स्वीकृत की थी, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण आज भी पुल निर्माण की बाट जोह रहे है.

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नदी में डूबा ट्रैक्टर

बारिश में नाला उफनते ही घरों में कैद हो जाते हैं लोग

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय नाला उफान पर होता है और पुल निर्माण नहीं होने की वजह से सभी लोग अपने घरों में कैद हो जाते है. ऐसे में मरीजों, प्रसूता महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. रात में अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है, तो उसे खाट के जरिए रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी को पार कराया जाता है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उफनते नाले को पार कर रहा एक ट्रैक्टर ट्रॉली बह गया था, जिसे बा-मुश्किल किनारे पर खड़े लोगों ने रस्सियों के सहारे बाहर निकाला था.

नगर परिषद क्षेत्र में आने के बाद भी विकास से महरूम है गौंदोलीपुरा

साल 2013 में नगर परिषद बैराड़ के परिसीमन के समय गौंदोलीपुरा को नगर परिषद क्षेत्र में सम्मिलित कर वार्ड क्रमांक 15 बनाया गया था. नगरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब शायद गांव का विकास हो सकेगा, लेकिन नगर परिषद के 5 साल के कार्यकाल पूर्ण होने के बाद भी यहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है. गांव की अधिकांश गलियां कच्ची हैं, जो बारिश के मौसम में दलदल में तब्दील हो जाती हैं. पेयजल के लिए आज भी यहां के निवासी हैंडपंप और कुओं के पानी पर निर्भर है ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय नेता केवल यहां वोट बटोरने आते हैं, उसके बाद गांव की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता है.

ग्रामीणों का कहना है कि पुल के निर्माण के लिए कई बार सीएमओ साहब से कहा भी गया है, लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है. वहीं प्रभारी सीएमओ नगर परिषद बैराड़ का कहना है कि दो साल पहले पुल निर्माण कार्य का टेंडर स्वीकृत हो चुका है, लेकिन अभी तक ठेकेदार से अनुबंध पत्र संपादित नहीं किया गया है. ऐसा क्यों हुआ ये पूर्व में पदस्थ मुख्य नगरपालिका अधिकारी ही बता सकते हैं.

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