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आशियाने उजाड़ने को लेकर आक्रोशित आदिवासी, कलेक्ट्रेट पहुंचकर कही ये बात - tribals reach shivpuri collectorate

शिवपुरी में आदिवासियों के मकान तोड़े जा रहे हैं. इसे लेकर आदिवासी समुदायों में वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश है. आदिवासी सिरनाम ने कहा कि फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी लगातार उनके आशियाने उजाड़ रहे हैं.

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आशियाने उजाड़ने को लेकर आक्रोशित आदिवासी
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Published : Sep 25, 2020, 9:55 PM IST

शिवपुरी। प्रदेश में आदिवासियों के पुनर्वास की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. पुनर्वास के लिए आदिवासियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वन विभाग द्वारा शिवपुरी में आदिवासियों के मकान तोड़े जा रहे हैं.

इसे लेकर आदिवासी समुदायों में वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश है. आदिवासी सिरनाम ने कहा कि फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी लगातार उनके आशियाने उजाड़ रहे हैं. पिछले 10 सालों से झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. जिसके बाद शुक्रवार को शिवपुरी कलेक्ट्रेट पहुंचकर आदिवासियों ने आवेदन देते हुए मांग की है कि सरकार उनके लिए मकान तोड़ने की वन विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाए.

रुकमणी बाई ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सभी आदिवासी 10 साल से रह रहे हैं, लेकिन वहां ना तो पानी की व्यवस्था है और ना ही बिजली की. आदिवासियों को अपने आशियाने से एक किलोमीटर दूर जाकर पानी भरना पड़ता है.

आदिवासियों का आरोप है कि आए दिन फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी उनके मकानों को उजाड़ जाते हैं. जब वे उनकी इस कार्रवाई का विरोध करते हैं तो उल्टे वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें डराते और धमकाते हैं. आदिवासियों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. इसलिए कलेक्ट्रेट आकर मदद की गुहार लगाई है.

शिवपुरी। प्रदेश में आदिवासियों के पुनर्वास की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. पुनर्वास के लिए आदिवासियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वन विभाग द्वारा शिवपुरी में आदिवासियों के मकान तोड़े जा रहे हैं.

इसे लेकर आदिवासी समुदायों में वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश है. आदिवासी सिरनाम ने कहा कि फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी लगातार उनके आशियाने उजाड़ रहे हैं. पिछले 10 सालों से झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. जिसके बाद शुक्रवार को शिवपुरी कलेक्ट्रेट पहुंचकर आदिवासियों ने आवेदन देते हुए मांग की है कि सरकार उनके लिए मकान तोड़ने की वन विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाए.

रुकमणी बाई ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सभी आदिवासी 10 साल से रह रहे हैं, लेकिन वहां ना तो पानी की व्यवस्था है और ना ही बिजली की. आदिवासियों को अपने आशियाने से एक किलोमीटर दूर जाकर पानी भरना पड़ता है.

आदिवासियों का आरोप है कि आए दिन फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी उनके मकानों को उजाड़ जाते हैं. जब वे उनकी इस कार्रवाई का विरोध करते हैं तो उल्टे वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें डराते और धमकाते हैं. आदिवासियों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. इसलिए कलेक्ट्रेट आकर मदद की गुहार लगाई है.

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