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अस्पताल में स्टाफ की कमी, नर्सों ने संभाली कोविड वार्ड की जिम्मेदारी - Shortage in sivpuri district hospital of staff

कोरोना महामारी में डॉक्टर्स और नर्स मरीजों की देखभाल में दिन रात एक कर रहे है. इतना ही नहीं कई जगह देखने में आया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल करते हुए डॉक्टर और नर्स खुद कोरोना से संक्रमित हो रहे है. शिवपुरी में डॉक्टरों की कमी होने के कारण नर्सों ने कोविड वार्ड की जिम्मेदारी संभाली है.

Nurses also took up the front in ICU
नर्सों ने आईसीयू में भी संभाला मोर्चा
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Published : May 17, 2021, 3:52 PM IST

शिवपुरी। कोरोना महामारी से अब लोग बुरी तरह त्रस्त हो गए है. मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिलों में कोरोना कर्फ्यू को आगे बढ़ा दिया गया है. अधिकतर जिलों में कोविड केयर सेंटर और हॉस्पिटल भरे है. शिवपुरी जिले में भी कोरोना संक्रमितों का इलाज करने का सबसे ज्यादा भार जिला अस्पताल पर है. आपदा के इस समय में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भी शुरू हुआ, जिससे कुछ हद तक राहत तो मिली, लेकिन जिला अस्पताल में लगा हुआ मेडिकल कॉलेज का अधिकांश स्टाफ चला गया. बहुत कम लोगों के स्टाफ पर पूरे जिला अस्पताल का जिम्मा था. ऐसे मुश्किल समय में नर्स आगे आई और मोर्चा संभाला. युवा नर्सों ने जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड से लेकर आईसीयू तक की जिम्मेदारी संभाली. हर दिन 12 से 14 घंटे काम कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया. इसके चलते चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी भी महसूस नहीं होने दी.

मैट्रन डेसी जोसेफ और टिशा दे रहीं स्टाफ को हौंसला

आइसोलेशन वार्ड में मैट्रन डेसी जोसेफ और टिशा तय करती हैं कि किसकी ड्यूटी कब और कहां लगेगी. दूसरा स्टाफ पूरे जूनून के साथ काम करे, इसलिए खुद 12 से 14 घंटे तक काम करती हैं. डेसी इस दौरान खुद कोरोना संक्रमित भी हो गई हैं. डेसी ने बताया कि संक्रमितों के बीच रहकर खुद का संक्रमित होना कोई बड़ी बात नहीं है. हम सभी जानते हैं कि कोरोना से लड़ते वक्त खुद को इससे बचा पाना इतना आसान नहीं है. हम इसके लिए पूरी तरह से खुद को तैयार रखते हैं. जल्द ही क्वारंटाइन पीरियड खत्म कर फिर से ड्यूटी पर लौटूंगी.

5 हजार लोगों को लगाई कोरोना वैक्सीन

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अल्का श्रीवास्तव जनवरी से ही टीकाकरण का काम संभाल रही हैं. उन्होंने अब तक 5 हजार से अधिक लोगों को कोरोना का डोज लगाया है. अल्का बताती हैं कि कई बार ऐसा होता है कि लोग टीका लगवाने के लिए आते हैं और बाद में पता चलता है कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं. वे जानकारी छिपा लेते हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारे मन में उनके लिए कुछ नहीं आता, क्योंकि यह हमारा काम है. सच कहूं तो अब काम करने में मजा आ रहा है. नर्सिंग का काम ही समर्पण का है. कोरोना की आपदा में ऐसा मौका आया है कि आपको अपना सब कुछ महामारी से लड़ने में समर्पित कर देना है और हम वही कर रहे हैं.

शिवपुरी। कोरोना महामारी से अब लोग बुरी तरह त्रस्त हो गए है. मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिलों में कोरोना कर्फ्यू को आगे बढ़ा दिया गया है. अधिकतर जिलों में कोविड केयर सेंटर और हॉस्पिटल भरे है. शिवपुरी जिले में भी कोरोना संक्रमितों का इलाज करने का सबसे ज्यादा भार जिला अस्पताल पर है. आपदा के इस समय में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भी शुरू हुआ, जिससे कुछ हद तक राहत तो मिली, लेकिन जिला अस्पताल में लगा हुआ मेडिकल कॉलेज का अधिकांश स्टाफ चला गया. बहुत कम लोगों के स्टाफ पर पूरे जिला अस्पताल का जिम्मा था. ऐसे मुश्किल समय में नर्स आगे आई और मोर्चा संभाला. युवा नर्सों ने जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड से लेकर आईसीयू तक की जिम्मेदारी संभाली. हर दिन 12 से 14 घंटे काम कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया. इसके चलते चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी भी महसूस नहीं होने दी.

मैट्रन डेसी जोसेफ और टिशा दे रहीं स्टाफ को हौंसला

आइसोलेशन वार्ड में मैट्रन डेसी जोसेफ और टिशा तय करती हैं कि किसकी ड्यूटी कब और कहां लगेगी. दूसरा स्टाफ पूरे जूनून के साथ काम करे, इसलिए खुद 12 से 14 घंटे तक काम करती हैं. डेसी इस दौरान खुद कोरोना संक्रमित भी हो गई हैं. डेसी ने बताया कि संक्रमितों के बीच रहकर खुद का संक्रमित होना कोई बड़ी बात नहीं है. हम सभी जानते हैं कि कोरोना से लड़ते वक्त खुद को इससे बचा पाना इतना आसान नहीं है. हम इसके लिए पूरी तरह से खुद को तैयार रखते हैं. जल्द ही क्वारंटाइन पीरियड खत्म कर फिर से ड्यूटी पर लौटूंगी.

5 हजार लोगों को लगाई कोरोना वैक्सीन

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अल्का श्रीवास्तव जनवरी से ही टीकाकरण का काम संभाल रही हैं. उन्होंने अब तक 5 हजार से अधिक लोगों को कोरोना का डोज लगाया है. अल्का बताती हैं कि कई बार ऐसा होता है कि लोग टीका लगवाने के लिए आते हैं और बाद में पता चलता है कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं. वे जानकारी छिपा लेते हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारे मन में उनके लिए कुछ नहीं आता, क्योंकि यह हमारा काम है. सच कहूं तो अब काम करने में मजा आ रहा है. नर्सिंग का काम ही समर्पण का है. कोरोना की आपदा में ऐसा मौका आया है कि आपको अपना सब कुछ महामारी से लड़ने में समर्पित कर देना है और हम वही कर रहे हैं.

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