शिवपुरी। जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा संचालित अशासकीय अनुसूचित जाति बालक छात्रावास शिवपुरी एवं करैरा में कार्यरत अधीक्षक, रसोईया, चौकीदार,वाटर मैन के पद पर पदस्थ कर्मचारियों को पिछले 3 साल से वेतन नहीं मिला. इसकी शिकायत करने आज एकजुट होकर कर्मचारी आज जनसुनवाई में पहुंचे. वेतन जल्द जल्द दिलाए जाने की मांग की. दर्पण कॉलोनी स्थित हॉस्टल के वार्डन हेमराज सुमन का कहना है कि, उनके हॉस्टल के पांच कर्मचारियों को तीन साल से वेतन नहीं मिला है. जबकि सभी कर्मचारी निरंतर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए आ रहे. इसके अतिरिक्त करैरा के हॉस्टल के भी 3 कर्मचारियों को 3 साल से वेतन नहीं मिला है. हर बार अनुमोदन की बात कहकर वेतन की बात को टाल दिया जाता है.
बीमार मां की बेटियों ने सुनाई खरीखोटी: छात्रावास में रसोईयां का काम करने वाली बुजुर्ग महिला बसंती बाई को लेकर उसकी दो बेटियां जनसुनवाई में पहुंची. बसंती ने बताया कि, उसे भी तीन साल से वेतन नहीं मिला. पिछले कुछ रोज से उसकी तबीयत बिगड़ चुकी है. उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ रहा है. बेहतर उपचार के लिए उसके पास पैसे तक नहीं हैं. उसके दो बेटियां हैं. एक बेटा नहीं है. बेटियों की मदद से वे अपना उपचार करा रही है. ऐसे में अगर उसे वेतन मिल जाए तो वह अपना सही से उपचार करा सकेगी. इस बीच बसंती बाई की बेटियों ने अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए जमकर खरीखोटी सुनाई और हंगामा करते हुए मां के वेतन की मांग की.
अनुमोदन के बाद स्वीकृत होती है राशि: आदिम जाति कल्याण विभाग के क्षेत्रीय संयोजक आरके सिंह ने बताया कि, सभी कर्मचारियों का अनुमोदन भोपाल भेजा जाता है. राशि स्वीकृत होकर आती है तब कहीं जाकर इनका भुगतान किया जाता है. लंबे समय से भुगतान की राशि नहीं आई है. भुगतान के लिए एक बार फिर विभाग के लिए अनुमोदन भेजा जाएगा.