शिवपुरी। पिछोर विधानसभा सीट कांग्रेस का अभेद किला है, यहां कांग्रेस के एक ही विधायक पिछले 6 चुनाव से विधायक पद पर काबिज है, जबकि प्रदेश में सरकार बनी बैठी बीजेपी यहां वनवास काट रही है. जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने को तैयार भाजपा ने तो यहां अपना प्रत्याशी तक घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस भी 23 का चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण ETV Bharat के सीट स्कैन में...
विधानसभा चुनाव में शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. यहां से बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम लोधी हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद सिंह लोधी हैं. वहीं बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी संतसिंह आदिवासी हैं.
मध्यप्रदेश में 16वीं विधानसभा के चुनाव बस आने को ही हैं, उम्मीद की जा रही है कि इसी महीने में चुनाव की तारीख़ों की घोषणा हो जाएगी. ऐसे में राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ी हुई है. बीजेपी ने प्रीतम लोधी को अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस अब भी ससपेंस बनाए हुए हैं. क्योंकि जहां यह सीट बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं, वहीं कांग्रेस को एक बार फिर इसे बचाए रखने की चुनौती सामने है.
पिछोर विधानसभा क्षेत्र की खासियत: पिछोर विधानसभा क्षेत्र को कभी चंपा नगरी कहा जाता था, यह क्षेत्र इतिहास को आज भी संजोए हुए हैं यहां का किला अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है. पर्यटन के लिहाज से अच्छी जगह है. इसके साथ साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछोर को जिला बनाने की घोषणा भी कर दी है, जो इस क्षेत्र के विकास में चार चांद लगाएगा पिछोर में सनघटा मध्यम परियोजना किसानों के लिए वरदान बनेगी. 150 करोड़ की इस परियोजना के तहत 10 हजार किसानों को फसल की सिंचाई का लाभ मिल सकेगा, जो इस क्षेत्र के किसानों को कृषि में आगे बढ़ने में मदद करेगा.
पिछोर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: पिछोर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 26 के मतदाताओं की अगर बात करें तो इस क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या (2.8.2023 के अनुसार) 2 लाख 57 हजार 19 है. इनमें पुरुष मतदाता 1,36,706 हैं, जबकि महिला मातदाओं की संख्या 1,20,308 है. वहीं क्षेत्र में 5 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं.
पिछोर का जातिगत समीकरण: पिछोर सीट पर जातिगत समीकरण देखें तो यहां लोधी समाज के 50 हजार वोटर हैं, वहीं ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार है. आदिवासी समाज के 30 हजार मतदाता हैं, तो इसके अलावा जाटव और कुशवाहा समाज से भी 20-20 हजार मतदाता हैं. साथ ही यादव और रावत समाज के भी करीब 12-12 हजार वोटर और अन्य समाजों के मतदाता शामिल हैं.
पिछोर विधानसभा का पॉलिटिकल सिनेरियो: पिछोर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है क्योंकि 1993 से लेकर आज तक यहाँ कांग्रेस का कब्जा है और लगातार विधायक पूर्व मंत्री केपी सिंह 'कक्काजू' बने हुए है. अब तक यहां कांग्रेस 10 बार चुनाव जीती है. जबकि बीजेपी सिर्फ 2 बार अपना विधायक बना पाई है. हर विधानसभा चुनाव में बसपा और भाजपा दोनों पार्टियां इस सीट पर दावेदारी तो दिखाती हैं, लेकिन जनता का समर्थन हमेशा केपी सिंह 'कक्काजू' को मिला है. पिछोर विधानसभा सीट पर पिछले 30 साल से बीजेपी वनवास काट रही है, इस बार प्रत्याशी बदलने के बाद क्या BJP को जीत का स्वाद चखने का मौका मिलेगा, ये देखने लायक रहेगा.
2013 के चुनाव के समय पार्टी ने उमा भारती के भतीजे प्रीतम लोधी को चुनाव में टिकट दिया था, इसके बाद 2018 में भी बीजेपी ने प्रीतम लोधी को ही अपना प्रत्याशी बनाया था. हारने के बाद पिछले साल अगस्त में ही प्रीतम लोधी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जहां उन्होंने ब्राह्मण समाज को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी. उनकी इसी टिप्पणी के बाद पूरे प्रदेश में बवाल कटा और भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसके बाद जगह-जगह प्रदर्शन और लोधी समाज का विरोध इस कदर बढ़ा कि BJP की नाक में दम हो गया. हालांकि कुछ दिनों बाद शिवराज और सिंधिया की जोड़ी ने प्रीतम लोधी की पार्टी में वापसी कराई, क्योंकि इस क्षेत्र में BJP के पास कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं था.
अब जब इस सीट पर विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तो घोषणा से पहले ही 23 के चुनाव प्रत्याशियों की स्थिति साफ हो चुकी है. कांग्रेस की ओर से एक बार फिर केपी सिंह 'कक्कजू' को टिकट मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है. वहीं बीजेपी अपनी पहली ही लिस्ट में प्रीतम लोधी को पिछोर विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, हालांकि तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे प्रीतम इस बार जानता को कितना लुभा पायेंगे, फिलहाल ये कहना मुश्किल है.
पिछोर विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे: पिछले चुनाव से बीजेपी को बहुत आशाएँ बंधी सोचा 25 साल का वनवास शायद ख़त्म होगा प्रीतम लोधी के पिछले चुनाव में मतप्रतिशत और लोकप्रियता को देखते हुए दोबारा मौक़ा दिया गया चुनाव में उन्हें इस बार 78995 वोट मिले लेकिन जनता ने इस बार भी कांग्रेस के केपी सिंह कक्काजू को समर्थन दिया और उन्हें 91463 वोट हांसिल हुए इस चुनाव में जीत का अंतर 12468 मतों का रहा.
पिछोर विधानसभा चुनाव 2013 के नतीजे: कांग्रेस के लिए हर विधानसभा चुनाव में पिछोर से एक मात्र कैंडिडेट होते हैं केपी सिंह कक्काजू जो पिछले चार चुनाव से लगातार जीत रहे थे इस 2013 के चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया. चुनाव हुए क्षेत्र की जनता ने उन्हें 78,995 वोट दिये थे लेकिन इस बार बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया था भारतीय जानता पार्टी ने पूर्व सीएम उमा भारती के मुहबोले भतीजे प्रीतम लोधी पर दांव लगाया, जिसका फायदा तो मिला की प्रियम लोधी को इस चुनाव में 71,882 वोट मिले लेकिन जीत कांग्रेस की हुई और जीत का मार्जिन 7,113 वोट का रहा.
पिछोर विधानसभा चुनाव 2008 के नतीजे: 1993 से शुरू हुआ सफ़र कांग्रेस के विधायक केपी सिंह कक्काजू के लिए 2008 के चुनाव में भी जारी रहा. ये कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार चुनाव लड़े उन्हें जनता ने 55,081 वोट दिये वहीं विरोधी पार्टी के बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े भैया साहब लोधी को इस चुनाव में 28,246 मिले जो कांग्रेस के सिटिंग विधायक के मुकाबले आधे थे ऐसे में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के खाते में गई और जीत का अंतर 26,835 का रहा.
पिछोर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: हर क्षेत्र की तरह ही मध्यप्रदेश की पिछोड़ विधानसभा सीट भी जनसमस्याओं से अछूती नहीं है, यहां की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेल रही है. यहां बिजली, सड़क, पानी जैसी समस्याओं को लेकर जानता में नाराजगी व्याप्त है, इस क्षेत्र में उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर कभी कोई ठोस कदम प्रतिनिधियों द्वारा नहीं उठाए गए, जिसकी वजह से यहां बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है. रोजगार के किसी बड़े प्रोजेक्ट की दरकार है, क्योंकि रोजगार की तलाश में यहां के युवा अन्य बड़े शहरों में पलायन कर रहे हैं. ग्रामीण और कृषि बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद इस क्षेत्र में कृषि सिंचाई के लिए भी अपेक्षा कृत संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है.