शिवपुरी। करैरा विधानसभा सीट उपचुनाव में ग्वालियर अंचल की उन 16 सीट में शुमार है. जिन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर लगी है. इस सीट पर जहां सिंधिया का प्रभाव माना जाता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज सिंह ने यहां ताबड़तोड़ सभाएं की तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित प्रदेश के ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित कई मंत्री लगातार प्रचार में रहे.
प्रचार में कांग्रेस रही हावी
कांग्रेस की बात करें तो केवल कमलनाथ और सचिन पायलट की एक-एक सभा हुई . स्थानीय मुद्दों की जगह कांग्रेस का गद्दार और बिकाऊ मुद्दा हावी रहा. मतदान प्रतिशत भी 2018 की तुलना में ज्यादा रहा. अभी तक करैरा में त्रिकोणीय मुकाबला होता था, लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर मानी जा रही है. अपनी अपनी जीत के लिए दोनो ही दलों के प्रत्याशी दावे भी कर रहे हैं.
करैरा में बनेगा रिकॉर्ड
करैरा सीट सिंधिया घराने के प्रभाव वाली बताई जाती है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया यहां से 1967 में जनसंघ से विधायक रह चुकी हैं. यहां अब तक 14 चुनाव हुए है जिनमे 7 बार कांग्रेस, 6 बार जनसंघ और बीजेपी जीती है. वहीं एक बार बीएसपी का भी कब्जा रहा है. यहां 1985 के आपवाद को छोड़ दें (1985 में हनुमंत सिंह पुनः विजयी हुए थे) तो यहां की जनता ने कभी एक चेहरे को रिपीट नहीं किया है. यदि इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रगीलाल जाटव की जीत होती है, तो यहां कांग्रेस की जीत की हैट्रिक होगी जो कि एक रिकॉर्ड होगा. यदि BJP प्रत्याशी जसमंत जाटव की जीत होती है तो भी यहां एक इतिहास बनेगा और यह मिथक टूटेगा कि यहां की जनता किसी को रिपीट नहीं करती. उपचुनाव में यह रिकॉर्ड तो बनने वाला है ही, वहीं बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत को राजनीतिक पंडित भाजपा के पक्ष में मान रहे हैं.