शिवपुरी। जिले में काेराेना के डेल्टा वेरिएंट (Corona Delta Variant) की वजह से चार लोगों की मौत हो चुकी है. यह बात जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट से सामने आई है. डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि होने के बाद इनके संपर्क में आए लोगों के सैंपल लेने स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची. लेकिन सभी लोगों के स्वस्थ होने की वजह से किसी का सैंपल नहीं लिया गया.
अचानक बिगड़ी मरीजों की तबियत
सीएमएचओ डॉ एएल शर्मा ने बताया कि डेल्टा वेरिएंट (Corona Delta Variant) की वजह से अजाक थाने के हवलदार प्रेमनारायण द्विवेदी, पिछोर के शिक्षक सुरेंद्र शर्मा, साॅफ्टवेयर इंजीनियर विनय चतुर्वेदी और शिक्षक सूरजपाल की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी. उन मरीजों के फेफड़ों में पानी भर चुका था और हार्ट डैमेज हो गया था. जबकि चार से पांच घंटे पहले तक सभी मरीज की हालत सामान्य थी. इसके बाद इनके सैंपलों को जांच के लिए भेजा गया था. जांच में इनके सैंपलों में कोरोना का डेल्टा वेरिएंट पाया गया. इनमें से कितने मरीजों को वैक्सीन के कितने डोज लगे थे अभी इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है.
चार गुना खतरनाक है कोरोना का डेल्टा स्ट्रेन, जिनोम सिक्वेंसिंग से मिली जानकारी
कोरोना का सबसे घातक वेरिएंट है डेल्टा
यह कोरोना का सबसे खतरनाक वेरिएंट है. जिसे डेल्टा-2 के नाम से जाना जाता है. अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा नाम के चार वेरिएंट में सबसे खतरनाक डेल्टा वेरिएंट है. इसे B.1.617 के नाम से भी जाना जाता है. शिवपुरी में जो वेरिएंट पाया गया है, वह B.1.617.2 है.
डॉ शर्मा ने बताया कि यह वेरिएंट इसलिए घातक है, क्योंकि यह तीन दिन में ही गले से फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जबकि सामान्य वायरस को गले से फेफड़ों तक पहुंचने में सात दिन का वक्त लगता है. इसके अलावा संपर्क में आने वालों को गंभीर रुप से बीमार करता है. जिन लाेगाें में डेल्टा वेरिएंट (Corona Delta Variant) की पुष्टि हुई है, वे कहीं न कहीं बाहर से संक्रमित हुए हैं. इस वेरिएंट में दो गज की दूरी भी प्रभावी नहीं है.