शिवपुरी। दिगंबर जैन समाज द्वारा 10 दिन तक मनाए जाने वाला दशलक्षण पावन पर्व बैराड़ में उत्साह पूर्वक मनाया गया. दिगंबर जैन धर्म में दशलक्षण पर्व का बहुत महत्व है. दशलक्षण पर्व के दौरान जिनालय में धर्म प्रभावना की गई.
बाल ब्रह्मचारी आशु ने बताया कि क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य इसे दशलक्षण पर्व कहते हैं. यह संतों के साथ ही गृहस्थों के लिए भी कर्तव्य कहे गए हैं. गृहस्थों को इन 10 दिनों तक दशलक्षण का पालन करना चाहिए. दिगंबर जैन समाज में दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम सत्य, पांचवें दिन उत्तम शौच, छठे दिन उत्तम संयम, सातवें दिन उत्तम तप, आठवें दिन उत्तम त्याग, नौवें दिन उत्तम आकिंचन और दसवें दिन ब्रह्मचर्य पर्व उत्साह पूर्वक बैराड़ जिनालय मनाया गया. बुधवार अंतिम दिन क्षमावाणी के रूप में मनाया जाएगा.
आशु भैया ने बताया कि, दशलक्षण पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से यह पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक मनाया जाता है. जैन धर्मानुसार दस लक्षणों का पालन करने से मनुष्य को इस संसार से मुक्ति मिल सकती है. दसवें दिन ब्रह्मचर्य पर्व पर शांति धारा, अभिषेक और पूजा अर्चना में जैन समाज के लोगों ने भाग लिया.