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दबंग दादी अम्मा की बात सुन बगले झांकने लगे कलेक्टर, नहीं सूझा जवाब

शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ग्राम बूढ़दा में मुआवजा नहीं मिलने की वजह से ग्रामीणों ने एकमत से पोहरी विधानसभा उपचुनाव में मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है. शुक्रवार को शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल प्रशासनिक अमले के साथ पोहरी के ग्राम बूढ़दा पहुंचे और उन्हें समझाइश दी.

Boycott of by elections
उपचुनाव का बहिष्कार
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Published : Oct 30, 2020, 9:01 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 10:26 PM IST

शिवपुरी। विकास के तमाम सरकारी दावों की पोल अक्सर चुनावों के समय खुल ही जाती हैं, जब चुनाव बहिष्कार की खबरें सुर्खियां बनती हैं. पोहरी विधानसभा के अंतर्गत बूढ़दा गांव में भी विस्थापन का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने उपचुनाव में वोट ना डालने का फैसला लिया है. शुरूआत में तो स्थानीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण नहीं माने, जिसके बाद स्थिति का जायजा लेने खुद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल मौके पर पहुंचे.

कलेक्टर ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं

बुजुर्ग ने कलेक्टर को दिया जवाब

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने गांव की एक बुजुर्ग महिला से मुलाकात की और उनसे पूछा कि आप वोट क्यों नहीं डालोगी. इस पर बुजुर्ग महिला ने कंपकपाती आवाज में कहा कि घर नहीं है, गांव में बिजली नहीं है, अंधेरे में जीवन जी रहे हैं और उनकी कोई सुनने वाला नहीं, तो फिर वोट क्यों डालें. अम्मा की इस बात का जवाब तो कलेक्टर भी नहीं दे पाए.

कलेक्टर ने दी समझाइश

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल ने सभी ग्रामीणों को मतदान का महत्व बताते हुए समझाया कि मतदान क्यों आवश्यक है. लोकतंत्र में मतदान के द्वारा हम अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं, जो ग्रामीण समस्याओं का समाधान कराता है. लेकिन ग्रामीण विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर अड़े रहे उन्होंने कहा कि जब तक घर बनाने के लिए जमीन और मुआवजा नहीं मिलेगा हम मतदान नहीं करेंगे.

बुजुर्ग महिला ने गिनाईं समस्याएं

बूढ़दा से दूसरी बार लौटा चलित मतदान दल

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में कोविड-19 की वजह से इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा सीनियर सिटीजन और दिव्यांग लोगों के वोट चलित मतदान दल के द्वारा घर-घर जाकर डलवाए जा रहे हैं. पोहरी विधानसभा क्षेत्र के बूढ़दा में बुधवार 28 अक्टूबर और शुक्रवार 30 अक्टूबर को चलित मतदान दल पहुंचा था, लेकिन सीनियर सिटीजन और दिव्यांगों ने मतदान नहीं किया.

2012 में बना था डैम

शिवपुरी और श्योपुर जिले की अंतिम सीमा पर बसे बूढ़दा गांव में पार्वती नदी पर साल 2012 में अपर ककैटो डैम का निर्माण किया गया था. उस समय सर्वे में पूरा बूढ़दा गांव को डूब क्षेत्र में मानते हुए विस्थापन व मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन गांव में से केवल 56 लोगों को ही विस्थापित कर मुआवज़ा दिया गया. जबकि 560 ग्रामीणों को ना तो गांव से विस्थापित किया ना ही मुआवजा दिया गया. ऐसी स्थिति में मजबूरी में ग्रामीणों को गांव में ही रहना पड़ रहा है. बरसात में जब डेम भर जाता है, तब गांव में चारों ओर सभी रास्तों में पानी भर जाता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसता गांव

डूब क्षेत्र में आने के कारण गांव में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. यहां तक कि ग्रामीणों को पीने का पानी लेने भी दूसरे गांव जाना पड़ता है. ग्रामीणों द्वारा जब अपनी मांगों के संबंध में आंदोलन किया गया, तो उस समय कलेक्टर द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया, जिस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस गांव के ग्रामीणों को डूब क्षेत्र में माना. कलेक्टर द्वारा प्रतिवेदन बनाकर राज्य सरकार को भी भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है. जिस कारण सभी ग्रामवासियों ने एक राय होकर पोहरी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है.

शिवपुरी। विकास के तमाम सरकारी दावों की पोल अक्सर चुनावों के समय खुल ही जाती हैं, जब चुनाव बहिष्कार की खबरें सुर्खियां बनती हैं. पोहरी विधानसभा के अंतर्गत बूढ़दा गांव में भी विस्थापन का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने उपचुनाव में वोट ना डालने का फैसला लिया है. शुरूआत में तो स्थानीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण नहीं माने, जिसके बाद स्थिति का जायजा लेने खुद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल मौके पर पहुंचे.

कलेक्टर ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं

बुजुर्ग ने कलेक्टर को दिया जवाब

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने गांव की एक बुजुर्ग महिला से मुलाकात की और उनसे पूछा कि आप वोट क्यों नहीं डालोगी. इस पर बुजुर्ग महिला ने कंपकपाती आवाज में कहा कि घर नहीं है, गांव में बिजली नहीं है, अंधेरे में जीवन जी रहे हैं और उनकी कोई सुनने वाला नहीं, तो फिर वोट क्यों डालें. अम्मा की इस बात का जवाब तो कलेक्टर भी नहीं दे पाए.

कलेक्टर ने दी समझाइश

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल ने सभी ग्रामीणों को मतदान का महत्व बताते हुए समझाया कि मतदान क्यों आवश्यक है. लोकतंत्र में मतदान के द्वारा हम अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं, जो ग्रामीण समस्याओं का समाधान कराता है. लेकिन ग्रामीण विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर अड़े रहे उन्होंने कहा कि जब तक घर बनाने के लिए जमीन और मुआवजा नहीं मिलेगा हम मतदान नहीं करेंगे.

बुजुर्ग महिला ने गिनाईं समस्याएं

बूढ़दा से दूसरी बार लौटा चलित मतदान दल

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में कोविड-19 की वजह से इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा सीनियर सिटीजन और दिव्यांग लोगों के वोट चलित मतदान दल के द्वारा घर-घर जाकर डलवाए जा रहे हैं. पोहरी विधानसभा क्षेत्र के बूढ़दा में बुधवार 28 अक्टूबर और शुक्रवार 30 अक्टूबर को चलित मतदान दल पहुंचा था, लेकिन सीनियर सिटीजन और दिव्यांगों ने मतदान नहीं किया.

2012 में बना था डैम

शिवपुरी और श्योपुर जिले की अंतिम सीमा पर बसे बूढ़दा गांव में पार्वती नदी पर साल 2012 में अपर ककैटो डैम का निर्माण किया गया था. उस समय सर्वे में पूरा बूढ़दा गांव को डूब क्षेत्र में मानते हुए विस्थापन व मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन गांव में से केवल 56 लोगों को ही विस्थापित कर मुआवज़ा दिया गया. जबकि 560 ग्रामीणों को ना तो गांव से विस्थापित किया ना ही मुआवजा दिया गया. ऐसी स्थिति में मजबूरी में ग्रामीणों को गांव में ही रहना पड़ रहा है. बरसात में जब डेम भर जाता है, तब गांव में चारों ओर सभी रास्तों में पानी भर जाता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसता गांव

डूब क्षेत्र में आने के कारण गांव में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. यहां तक कि ग्रामीणों को पीने का पानी लेने भी दूसरे गांव जाना पड़ता है. ग्रामीणों द्वारा जब अपनी मांगों के संबंध में आंदोलन किया गया, तो उस समय कलेक्टर द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया, जिस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस गांव के ग्रामीणों को डूब क्षेत्र में माना. कलेक्टर द्वारा प्रतिवेदन बनाकर राज्य सरकार को भी भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है. जिस कारण सभी ग्रामवासियों ने एक राय होकर पोहरी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है.

Last Updated : Oct 30, 2020, 10:26 PM IST
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