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आदिवासी बच्ची की मौत के घंटों बाद नसीब हुई एंबुलेंस, परेशान होता रहा परिवार

जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है, जब आदिवासी बच्ची की मौत होने के बाद पीड़ित परिवार को जिला अस्पताल में एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा.

एंबुलेंस के लिए परेशान होता आदिवासी परिवार
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Published : Apr 5, 2019, 1:18 PM IST

शिवपुरी। जिला अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. यहां अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही तब एक बार फिर उजागर हो गई, जब आदिवासी बच्ची की मौत होने के बाद परिवार को जिला अस्पताल में एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. हालांकि मीडिया में मामला आने के बाद जिला अस्पताल ने गरीब आदिवासी परिवार को एंबुलेंस उपलब्ध करा दी.

एंबुलेंस के लिए परेशान होता आदिवासी परिवार

बताया जा रहा है कि आदिवासी बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. परिवार मृतक बच्ची को लेकर घर जाना चाहता था, लेकिन परिवार के पास जाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस उपलब्ध कराने की गुहार लगाई, लेकिन घंटों इंताजर और मीडिया में मामला आने के बाद ही इस आदिवासी परिवार को एंबुलेंस मिल सका, तभी वो अपने घर पहुंच पाए.

जानकारी के मुताबिक, खनियाधाना जिला अस्पताल शिवपुरी से लगभग 120 किलोमीटर दूर है. आदिवासी परिवार 120 किलोमीटर का सफर तय करके जिला अस्पताल शिवपुरी पहुंचा था, लेकिन 10 बजे के बाद अस्पताल में एंबुलेंस बहुत मुश्किल सो उपलब्ध होती है. गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला जिला चिकित्सालय में पहले भी सामने आया था. उस वक्त प्रभारी मंत्री के हस्तक्षेप से परिजनों को एंबुलेंस मिली थी और शव मृतक के गांव पहुंचा था.

शिवपुरी। जिला अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. यहां अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही तब एक बार फिर उजागर हो गई, जब आदिवासी बच्ची की मौत होने के बाद परिवार को जिला अस्पताल में एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. हालांकि मीडिया में मामला आने के बाद जिला अस्पताल ने गरीब आदिवासी परिवार को एंबुलेंस उपलब्ध करा दी.

एंबुलेंस के लिए परेशान होता आदिवासी परिवार

बताया जा रहा है कि आदिवासी बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. परिवार मृतक बच्ची को लेकर घर जाना चाहता था, लेकिन परिवार के पास जाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस उपलब्ध कराने की गुहार लगाई, लेकिन घंटों इंताजर और मीडिया में मामला आने के बाद ही इस आदिवासी परिवार को एंबुलेंस मिल सका, तभी वो अपने घर पहुंच पाए.

जानकारी के मुताबिक, खनियाधाना जिला अस्पताल शिवपुरी से लगभग 120 किलोमीटर दूर है. आदिवासी परिवार 120 किलोमीटर का सफर तय करके जिला अस्पताल शिवपुरी पहुंचा था, लेकिन 10 बजे के बाद अस्पताल में एंबुलेंस बहुत मुश्किल सो उपलब्ध होती है. गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला जिला चिकित्सालय में पहले भी सामने आया था. उस वक्त प्रभारी मंत्री के हस्तक्षेप से परिजनों को एंबुलेंस मिली थी और शव मृतक के गांव पहुंचा था.

Intro:स्लग-बच्ची की मौत
आदिवासी बच्ची की मौत
एंकर- कहने को तो जिला अस्पताल को प्रदेश में नंबर 1 अस्पताल का तमगा प्राप्त है बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो अस्पताल को दोयम दर्जे का अस्पताल साबित करती हैं आज भी ऐसा ही एक मामला सामने आया जब जिले की तहसील से आदिवासी परिवार की दौरानी इलाज अस्पताल में दम तोड़ गई आदिवासी परिवार के पास लौटने के लिए चंद पैसे भी नहीं थे एक एंबुलेंस शबों को घर पहुंचाने के लिए मौजूद है लेकिन 10:00 बजे के बाद यह एंबुलेंस बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हो पाती है इस परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ।


Body:खनियाधाना जिला अस्पताल शिवपुरी से लगभग 120 किलोमीटर दूर है और बच्चे की मौत के बाद परिजन बगैर पैसे के अपने गांव कैसे पहुंचे यह सबसे बड़ा प्रश्न है अब चूंकि यह मामला मीडिया की संज्ञान में आया है तब कहीं जाकर एंबुलेंस की निशुल्क व्यवस्था की गई है और अब यह परिवार अपनी बच्ची के शव के साथ अपने गांव रात में ही पहुंच जाएगा सवाल यह है कि मीडिया या जनप्रतिनिधि यदि सामने ना आए तो गरीब व्यक्ति के लिए की गई व्यवस्था कहां तक संभव है अब कुछ दिन पहले ही इसी तरह का एक मामला जिला चिकित्सालय में सामने आया था जब प्रभारी मंत्री ने हस्तक्षेप कर शब को उसके गांव पहुंचाने में मह्त्ती भूमिका अदा की थी देखना यह होगा कि इस तरह के मामलों में जिला अस्पताल कितनी संवेदनशीलता दिखाता है।


Conclusion:
व्हिओ- बहुत दूर से आए हैं अभी तक एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई है खाना भी नहीं खाया है।
बाइट1-मुन्नी आदिवासी (मृतक बच्ची की माँ)
व्हिओ- अभी इंतजार कर रहे हैं अस्पताल के डॉक्टर एम्बुलेंस की व्यवस्था कराएंगे।
बाइट 2-रामदास आदिवासी (मृतक बच्ची के पिता)
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