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जब नहीं मिली सरकारी मदद, तो 300 हाथों ने मिलकर निकाला 'रास्ता'

जिले के भीखापुर और गिलास गांव के कुछ ग्रामीणों ने मिलकर 15 फीट चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है, यह सड़क करीब 300 ग्रामीणों की मेहनत से बनी है.

Villagers made their own road
ग्रामीणों ने बनाया रास्ता
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Published : Jul 24, 2021, 4:10 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 4:29 PM IST

श्योपुर। जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर बसे भीखापुर और गिलास गांव के ग्रामीणों ने ऐसा कुछ कर दिखाया है, जो एक मिसाल है,भीखापुर और गिलास गांव के करीब 300 ग्रामीणों ने मिलकर 15 फीट चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है.

Villagers made their own road
ग्रामीणों ने बनाया रास्ता

खुद बना दी 1 किलोमीटर की सड़क

ग्रामीणों का कहना है, कि गांव में सड़क की समस्या से वो कई वर्षों से जूझ रहे थे, लेकिन न विधायक न सरपंच और न ही सरकारी विभाग के अफसर उनकी सुन रहे थे, ऐसे में सभी ग्रामीणों ने मिलकर बैठक की और बातचीत के बाद मसले का हल निकल गया, ग्रामीणों ने ये फैसला किया कि हर घर से दो व्यक्ति सड़क निर्माण के काम में लगेंगे, और यह काम तब तक चलता रहेगा, जब तक पूरी सड़क नहीं बन जाती, गांव के लोगों ने ऐसा ही किया, सभी ग्रामीणों ने पहले औजार का इंतजाम किया, उसके बाद सभी पड़क के निर्माण में जुट गए.

श्मशान घाट तक जाने के लिए बनाई सड़क

ग्रामीणों ने बताया कि जब तक बारिश नहीं होती, तब तक मुक्तिधाम जाने के लिए परेशानी नहीं होती है, लेकिन बारिश होते ही मुसीबतें बढ़ जाती है, ऐसे में गांव के किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर शव लेकर मुक्तिधाम तक जाना परेशानियों भरा रहता है, इतना ही नहीं जगह-जगह दलदल हैं. जिससे भारी परेशानी होती है.

300 ग्रामीणों ने बनाई 1 किलोमीटर सड़क

ग्राम पंचायत नंदपुरा के मज़रा भिकापुर और गिलास गांव के लोग करीब सात बजे 300 ग्रामीण एकट्ठा हुए और सड़क का काम शुरू कर दिया, 300 ग्रामीणों ने 1 किलोमीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी कच्ची सड़क को शाम 6:00 बनाकर तैयार कर दिया.

70 साल तक किसी ने नहीं सुनी फरियाद तो ग्रामीणों ने खुद से ही बना डाली सड़क

सरकारी मदद नहीं मिलने पर खुद बनाई सड़क

ग्रामीणों का कहना है कि मुक्तिधाम की सड़क बनाने के लिए वह करीब 3 साल से लगातार जनपद सीईओ से लेकर कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता रहा, लेकिन काम किसी ने नहीं कराया, ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर पन्नाालाल सोलंकी, अभिजीत अग्रवाल, प्रतिभा पाल और अब कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव को भी 2-3 बार आवेदन दे चुके थे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की है, तब जाकर ग्रामीणों खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठाया.

श्योपुर। जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर बसे भीखापुर और गिलास गांव के ग्रामीणों ने ऐसा कुछ कर दिखाया है, जो एक मिसाल है,भीखापुर और गिलास गांव के करीब 300 ग्रामीणों ने मिलकर 15 फीट चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है.

Villagers made their own road
ग्रामीणों ने बनाया रास्ता

खुद बना दी 1 किलोमीटर की सड़क

ग्रामीणों का कहना है, कि गांव में सड़क की समस्या से वो कई वर्षों से जूझ रहे थे, लेकिन न विधायक न सरपंच और न ही सरकारी विभाग के अफसर उनकी सुन रहे थे, ऐसे में सभी ग्रामीणों ने मिलकर बैठक की और बातचीत के बाद मसले का हल निकल गया, ग्रामीणों ने ये फैसला किया कि हर घर से दो व्यक्ति सड़क निर्माण के काम में लगेंगे, और यह काम तब तक चलता रहेगा, जब तक पूरी सड़क नहीं बन जाती, गांव के लोगों ने ऐसा ही किया, सभी ग्रामीणों ने पहले औजार का इंतजाम किया, उसके बाद सभी पड़क के निर्माण में जुट गए.

श्मशान घाट तक जाने के लिए बनाई सड़क

ग्रामीणों ने बताया कि जब तक बारिश नहीं होती, तब तक मुक्तिधाम जाने के लिए परेशानी नहीं होती है, लेकिन बारिश होते ही मुसीबतें बढ़ जाती है, ऐसे में गांव के किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर शव लेकर मुक्तिधाम तक जाना परेशानियों भरा रहता है, इतना ही नहीं जगह-जगह दलदल हैं. जिससे भारी परेशानी होती है.

300 ग्रामीणों ने बनाई 1 किलोमीटर सड़क

ग्राम पंचायत नंदपुरा के मज़रा भिकापुर और गिलास गांव के लोग करीब सात बजे 300 ग्रामीण एकट्ठा हुए और सड़क का काम शुरू कर दिया, 300 ग्रामीणों ने 1 किलोमीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी कच्ची सड़क को शाम 6:00 बनाकर तैयार कर दिया.

70 साल तक किसी ने नहीं सुनी फरियाद तो ग्रामीणों ने खुद से ही बना डाली सड़क

सरकारी मदद नहीं मिलने पर खुद बनाई सड़क

ग्रामीणों का कहना है कि मुक्तिधाम की सड़क बनाने के लिए वह करीब 3 साल से लगातार जनपद सीईओ से लेकर कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता रहा, लेकिन काम किसी ने नहीं कराया, ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर पन्नाालाल सोलंकी, अभिजीत अग्रवाल, प्रतिभा पाल और अब कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव को भी 2-3 बार आवेदन दे चुके थे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की है, तब जाकर ग्रामीणों खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठाया.

Last Updated : Jul 24, 2021, 4:29 PM IST
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