श्योपुर। शांति धाम की जमीन पर कब्जा किए दबंगों की मनमानी की वजह से एक मृतक का अंतिम संस्कार सड़क किनारे करना पड़ा, जिसकी सूचना मिलते ही तहसीलदार और बीरपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन दबंगों को सामने देख उन्हें खदेड़ने की बजाय उल्टा मृतक के परिजनों को ही समझा-बुझाकर वापस लौट गई.
इंसानियत को शर्मसार करने वाला ये मामला वीरपुर तहसील के मोहनपुरा गांव का है, जहां कुछ दबंगों ने दलित समाज के श्मशान घाट पर कब्जा कर उक्त जमीन पर खेती कर रहे हैं. इस वजह से यहां जब भी किसी दलित समाज के व्यक्ति की मौत होती है तो उसे शव का सड़क किनारे दाह संस्कार करना पड़ता है.
सोमवार की सुबह वीरपुर तहसील इलाके की ग्राम पंचायत पांचो के गांव मोहनपुरा में भंता जाटव का निधन हो गया था, परिजन अंतिम संस्कार के लिए शव को घर में 2 घंटे तक रखे रहे. जिसकी जानकारी पुलिस और प्रशासन को दी. मौके पर पहुंचे तहसीलदार और पुलिस प्रशासन के सामने परिजन शव को श्मशान घाट तक तो ले गए, लेकिन श्मशान घाट तक नहीं जा सके.
प्रशासन व पुलिसकर्मी दबंगों को वहां से हटाने की बजाय पीड़ितों को ही समझाकर सड़क किनारे शव का अंतिम संस्कार करने की सलाह देने लगे. शव को लेकर घंटों परेशान रहे परिजनों को जब पुलिस और प्रशासन से मदद मिलती नहीं दिखी तो परिजनों ने प्रशासन की बात मानकर शव का सड़क किनारे अंतिम संस्कार कर दिया.
दलितों ने बिना श्मशान घाट गए अपने परिजन का अंतिम संस्कार भले ही सड़क किनारे करके औपचारिकता पूरी कर ली, लेकिन इस तरह सड़क किनारे अंतिम संस्कार करने से प्रशासन की एंटी माफिया अभियान की पोल जरूर खुल गई है.