भोपाल। फरवरी माह में दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीतों को क्वारंटीन अवधि पूरी होने पर श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ दिया गया. प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव ने कहा कि "12 चीतों को मंगलवार को आधिकारिक मंजूरी के बाद क्वारंटाइन से बड़े और ज्यादा अनुकूलन बाड़ों में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया. पशु संगरोध और प्रमाणन सेवा से पार्क प्रबंधन को मंजूरी हासिल हो गई थी जिसके बाद यह कदम उठाया गया." "पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केंद्र की पशु संगरोध और प्रमाणन सेवा से अंतिम 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' (NOC) प्राप्त किया."
बड़े बाड़े में 12 चीते हुए शिफ्ट: AQCS द्वारा जारी किए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र के अनुसार, चीता को मध्य प्रदेश में कुनो नेशनल पार्क के स्वीकृत परिसर में करीब 60 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया था और नियमित अवलोकन और परीक्षण रिपोर्ट (नकारात्मक) के आधार पर चीतों को संक्रामक रोगों से मुक्त पाया गया. आधिकारिक मंजूरी के बाद कूनो नेशनल पार्क में सभी 12 चीतों को 18 अप्रैल को सफलतापूर्वक संगरोध से बड़े अनुकूलन बाड़ों में छोड़ दिया गया.
धीरे-धीरे चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा: प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे.एस चौहान ने बताया कि "पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की हरी झंडी के बाद 12 चीतों को अनुकूलन बाड़े में छोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश वन विभाग को 3 दिन पहले डीएएचडी से मंजूरी मिली थी. हमने उन्हें रिहा करना शुरू किया और पिछले तीन दिनों में प्रक्रिया पूरी कर ली. एक महीने के बाद, उन्हें जंगल में छोड़ने पर विचार किया जाएगा.
नामीबिया से लाए 8 में 1 चीता की हुई मौत: दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पहुंचे थे. दक्षिण अफ्रीका ने भारत में चीता आबादी स्थापित करने के लिए एक समझौते (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं. एमओयू की शर्तों की हर 5 साल में समीक्षा की जानी है. इससे पहले नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को उनके जन्मदिन के मौके पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. हाल ही में बीमारी के चलते 1 चीते की मौत हो गई थी. सभी चीतों में रेडियो कॉलर लगा दिए गए हैं और सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है. इसके अलावा एक डेडिकेटेड मॉनिटरिंग टीम 24 घंटे लोकेशन पर नजर रखती है. फरवरी में 12 चीतों के आयात के बाद, अगले 8 से 10 वर्षों के लिए सालाना 12 चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है.
चीतों से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें |
कब से शुरू हुआ प्रोजेक्ट टाइगर: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना-प्रोजेक्ट चीता के तहत जंगली प्रजाती के चीतों का पुनरुत्पादन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है. भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है. सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक 'Project Tiger' जिसे 1972 में सबसे पहले शुरू किया गया था, इसने न केवल बाघों के संरक्षण में बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान दिया है. 1947-48 में अंतिम 3 चीतों का शिकार कोरिया के महाराजा ने छत्तीसगढ़ में किया था और उसी समय आखिरी चीता देखा गया था. 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया और मोदी सरकार ने लगभग 75 वर्षों के बाद चीतों को पुनर्स्थापित किया.
(Agency Input- ANI, PTI)