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Sheopur Cheetahs at KNP: श्योपुर में अब ग्रामीणों को सताने लगा है भूमि अधिग्रहण और मानव-पशु संघर्ष का डर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश सरकार की अतिमहात्वाकांक्षी योजना चीता प्रोजेक्ट शनिवार को पूरा हो गया. इसको लेकर कहीं खुशी कहीं गम जैसा महाैल है. श्योपुर जिले के आदिवासी क्षेत्र पालपुर के निवासी कूनो में चीतों के आने के बाद दुविधा में हैं. उन्हें एक तरफ तो पर्यटकों के आने से खुशहाली आने की खुशी है, तो दूसरी तरफ उन्हें अपनी भूमि पर कब्जे और गांव में चीते घुसने का डर सताने लगा है. (sheopur Cheetahs at KNP Villagers)

sheopur Villagers fear human animal conflict
श्योपुर में अब ग्रामीणों को सताने लगा है भूमि अधिग्रहण और मानव-पशु संघर्ष का डर
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Published : Sep 18, 2022, 6:18 PM IST

श्योपुर। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के आगमन पर एक तरफ उत्साह तो दूसरी तरफ उन्हें चिंता भी है. मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों में कई तरह की चिंताएं हैं. उन्हें भूमि अधिग्रहण का डर और बड़ी बिल्ली यानी चीते का डर भी सताने लगा है. हालांकि, कुछ लोग आशावादी हैं कि एक बार कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) अपने नए मेहमानों के लिए प्रसिद्ध हो जाता है, तो पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से रोजगार के अवसर पैदा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके जानवर की आबादी को पुनर्स्थापित करने के लिए एक परियोजना के हिस्से के रूप में शनिवार को नामीबिया से लाए गए चीतों को केएनपी में एक बाड़े में छोड़ा था. (Sheopur kuno Villagers fear land acquisition)

क्या कहना है ग्रामीणों काः "श्योपुर-शिवपुरी रोड पर नाश्ता और चाय बेचने वाले विक्रेता राधेश्याम यादव ने बताया कि पिछले 15 वर्षों में कूनो पार्क के लिए 25 गांवों के स्थानांतरण के कारण हम पहले से ही आर्थिक रूप से प्रभावित हैं. उनकी दुकान केएनपी से 15 किमी. दूर सेसैपुरा में है. किसान रामकुमार गुर्जर को आशंका है कि पास की बांध परियोजना के कारण सेसैपुरा के लोग अपनी आजीविका खो देंगे. इससे पहले राष्ट्रीय उद्यान के लिए अपना नुकसान उठा चुके हैं. अब पास के कटिला क्षेत्र में कूनो नदी पर बांध परियोजना बन रही है. यह परियोजना कम से कम 50 गांवों को प्रभावित करने जा रही है, जो सेसैपुरा से जुड़े हुए हैं. उनकी शिफ्टिंग के बाद रोसैपुरा में किराना, कपड़े और अन्य छोटे कारोबारियों का क्या होगा? तब हमारा गांव यहां अकेला रह जाएगा।'' चीतों के और अधिक पर्यटकों को लाने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि आतिथ्य व्यवसाय ''अमीर बाहरी लोग'' चलाएंगे और स्थानीय निवासियों को केवल होटलों में काम मिलेगा. (sheopur Villagers fear human animal conflict)

MP Cheetah Project नामीबिया से कूनो तक साढ़े 8 हजार किलोमीटर 'उड़कर' आएंगे चीते, कब आएंगे ये मंत्रीजी को भी पता नहीं

स्थानीय दुकानदारों को होगा नुकसानः एक अन्य निवासी संतोष गुर्जर ने कहा कि गांवों के स्थानांतरण के बाद, किराने का सामान, खाद और बीज बेचने वाले एक स्थानीय दुकानदार को व्यवसाय की कमी के कारण शिवपुरी जाना पड़ रहा है. कपड़े की दुकान चलाने वाले धर्मेंद्र कुमार ओझा ने आशंका जताई कि चीते गांव में भी प्रवेश कर सकते हैं. इस परियोजना से स्थानीय लोगों को क्या मिलेगा? बाहरी लोग होटल और रेस्टोरेंट के लिए जमीन खरीद रहे हैं. गांवों के स्थानांतरण से कारोबार पर असर पहले पड़ चुका अब और असर पड़ेगा. लेकिन इस परियोजना से ढांचागत विकास होगा. जिनके पास जमीन का कानूनी हक है, वे ज्यादा दाम मांग रहे हैं. पीएम के कार्यक्रम से कारोबार में अस्थायी उछाल आया है लेकिन मैं भविष्य के बारे में कुछ नहीं कह सकता. (Sheopur kuno Villagers fear land acquisition)

बढ़ रही हैं जमीनों की कीमतः एक और दुकानदार, केशव शर्मा ने दावा किया कि उनका व्यवसाय तीन गुना बढ़ गया है। "जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं. पहले पर्यटक कम संख्या में यहां आते थे, लेकिन अब निश्चित रूप से उनकी संख्या बढ़ जाएगी. एक मजदूर और गांव के निवासी कैलाश केएनपी के प्रवेश द्वार से दो किमी दूर टिकटोली में भविष्य को लेकर घबराई हुई थी।'' मुझे फायदे के बारे में पता नहीं है, लेकिन मुझे डर है क्योंकि चीता यहां आ गया है, अब हम कहां जाएंगे? यह किसी ने नहीं सोचा. कमल, जो टिकटोली से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में श्योपुर में रहते हैं, ने कहा कि गांव में पानी की आपूर्ति, टेलीफोन नेटवर्क और नौकरियां नहीं हैं और आजीविका का एकमात्र स्रोत निर्वाह खेती है.(पीटीआई) (sheopur Cheetahs at KNP Villagers)

श्योपुर। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के आगमन पर एक तरफ उत्साह तो दूसरी तरफ उन्हें चिंता भी है. मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों में कई तरह की चिंताएं हैं. उन्हें भूमि अधिग्रहण का डर और बड़ी बिल्ली यानी चीते का डर भी सताने लगा है. हालांकि, कुछ लोग आशावादी हैं कि एक बार कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) अपने नए मेहमानों के लिए प्रसिद्ध हो जाता है, तो पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से रोजगार के अवसर पैदा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके जानवर की आबादी को पुनर्स्थापित करने के लिए एक परियोजना के हिस्से के रूप में शनिवार को नामीबिया से लाए गए चीतों को केएनपी में एक बाड़े में छोड़ा था. (Sheopur kuno Villagers fear land acquisition)

क्या कहना है ग्रामीणों काः "श्योपुर-शिवपुरी रोड पर नाश्ता और चाय बेचने वाले विक्रेता राधेश्याम यादव ने बताया कि पिछले 15 वर्षों में कूनो पार्क के लिए 25 गांवों के स्थानांतरण के कारण हम पहले से ही आर्थिक रूप से प्रभावित हैं. उनकी दुकान केएनपी से 15 किमी. दूर सेसैपुरा में है. किसान रामकुमार गुर्जर को आशंका है कि पास की बांध परियोजना के कारण सेसैपुरा के लोग अपनी आजीविका खो देंगे. इससे पहले राष्ट्रीय उद्यान के लिए अपना नुकसान उठा चुके हैं. अब पास के कटिला क्षेत्र में कूनो नदी पर बांध परियोजना बन रही है. यह परियोजना कम से कम 50 गांवों को प्रभावित करने जा रही है, जो सेसैपुरा से जुड़े हुए हैं. उनकी शिफ्टिंग के बाद रोसैपुरा में किराना, कपड़े और अन्य छोटे कारोबारियों का क्या होगा? तब हमारा गांव यहां अकेला रह जाएगा।'' चीतों के और अधिक पर्यटकों को लाने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि आतिथ्य व्यवसाय ''अमीर बाहरी लोग'' चलाएंगे और स्थानीय निवासियों को केवल होटलों में काम मिलेगा. (sheopur Villagers fear human animal conflict)

MP Cheetah Project नामीबिया से कूनो तक साढ़े 8 हजार किलोमीटर 'उड़कर' आएंगे चीते, कब आएंगे ये मंत्रीजी को भी पता नहीं

स्थानीय दुकानदारों को होगा नुकसानः एक अन्य निवासी संतोष गुर्जर ने कहा कि गांवों के स्थानांतरण के बाद, किराने का सामान, खाद और बीज बेचने वाले एक स्थानीय दुकानदार को व्यवसाय की कमी के कारण शिवपुरी जाना पड़ रहा है. कपड़े की दुकान चलाने वाले धर्मेंद्र कुमार ओझा ने आशंका जताई कि चीते गांव में भी प्रवेश कर सकते हैं. इस परियोजना से स्थानीय लोगों को क्या मिलेगा? बाहरी लोग होटल और रेस्टोरेंट के लिए जमीन खरीद रहे हैं. गांवों के स्थानांतरण से कारोबार पर असर पहले पड़ चुका अब और असर पड़ेगा. लेकिन इस परियोजना से ढांचागत विकास होगा. जिनके पास जमीन का कानूनी हक है, वे ज्यादा दाम मांग रहे हैं. पीएम के कार्यक्रम से कारोबार में अस्थायी उछाल आया है लेकिन मैं भविष्य के बारे में कुछ नहीं कह सकता. (Sheopur kuno Villagers fear land acquisition)

बढ़ रही हैं जमीनों की कीमतः एक और दुकानदार, केशव शर्मा ने दावा किया कि उनका व्यवसाय तीन गुना बढ़ गया है। "जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं. पहले पर्यटक कम संख्या में यहां आते थे, लेकिन अब निश्चित रूप से उनकी संख्या बढ़ जाएगी. एक मजदूर और गांव के निवासी कैलाश केएनपी के प्रवेश द्वार से दो किमी दूर टिकटोली में भविष्य को लेकर घबराई हुई थी।'' मुझे फायदे के बारे में पता नहीं है, लेकिन मुझे डर है क्योंकि चीता यहां आ गया है, अब हम कहां जाएंगे? यह किसी ने नहीं सोचा. कमल, जो टिकटोली से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में श्योपुर में रहते हैं, ने कहा कि गांव में पानी की आपूर्ति, टेलीफोन नेटवर्क और नौकरियां नहीं हैं और आजीविका का एकमात्र स्रोत निर्वाह खेती है.(पीटीआई) (sheopur Cheetahs at KNP Villagers)

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