श्योपुर। दक्षिण अफ्रीका से मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय कूनो अभ्यारण में आगामी 18 फरवरी को 12 चीते लाए जाएंगे. इसकी सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है.चीता टॉस्क फोर्स और कूनों के अधिकारी दक्षिण अफ्रीका पहुंच चुके हैं. अब इंतजार है तो 18 फरवरी का जिस दिन कूनो में यह चीते लाए जाएंगे. राष्ट्रीय कूनो अभ्यारण के डीएफओ प्रकाश वर्मा से ईटीवी भारत को बताया है कि, 18 फरवरी यानी महाशिवरात्रि के दिन इन एक दर्जन चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाने की तैयारी है.
चीतों को 30 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाएगाः इन चीतों के लिए कूनों में 10 बाडे़ बनकर तैयार हैं. जिनमें 12 चीतों को 30 दिनों के लिए क्वारंटीन किया जाएगा. सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम है, सीसीटीवी, ड्रोन कैमरे, शस्त्र वन कर्मियों और सुरक्षा गार्ड और डॉग स्कॉड की टीम चप्पे-चप्पे पर 24 घंटे निगरानी रखती है. इन चीतों को विशेष विमान द्वारा दक्षिण अफ्रीका से पहले ग्वालियर लाया जाएगा. इसके बाद ठीक पहले की ही तरह वायुसेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर द्वारा चीतों को ग्वालियर से कूनों लाया जाएगा. चीतों को सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 1:00 बजे के बीच कभी भी कूनों लाया जा सकता है.
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शुरुआत में दिया जाएगा भैंसे का मीटः संभावना जताई जा रही है कि, प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह और क्षेत्रीय सांसद एवं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इन चीतों को बाड़ों में छोड़ने के लिए कूनो आएंगे. हालांकि, इनके आने की अभी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है. 12 चीतों के कूनों में आ जाने के बाद चीतों की संख्या 8 से बढ़कर 20 हो जाएगी. कूनों में चीतों के क्वारंटीन अवधि के दौरान भैंसे का मीट दिया जाएगा. इसकी भी तैयारियां पूरी कर ली गई है. इसके अलावा यहां पहले से पांच हेलीपैड तैयार हैं. उन्हीं पर वायुसेना और अन्य मेहमानों के हेलीकॉप्टर उतरेंगे. डीएफओ प्रकाश वर्मा का कहना है कि हमारे लिए एक बहुत बड़ा टॉस्क है. चीतों को भारत में बसाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह महात्वाकांक्षी योजना है. भारत में 70 साल बाद दोबारा चीतों को बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं. 1952 में चीतों के भारत में विलुप्त होने की घोषणा की गई थी.