श्योपुर। वैसे पूरे मध्य प्रदेश में ही अभी से चुनावी माहौल नजर आने लगा है, लेकिन लोगों की निगाहें श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर भी टिकी हुई है. जिसके पीछे बड़ी वजह यहां से कांग्रेस के पूर्व मंत्री रामनिवास यादव टिकट की दावेदारी करेंगे. ऐसे में कोई दूसरा नेता उनके सामने खड़ा होगा. वहीं बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती रहेगी कि इस बार वे पूर्व विधायक को टिकट दें या किसी नये दावेदार को मौका, क्योंकि आदिवासी वोटर और कांग्रेस के संभावित दावेदार किसी चुनौती से कम साबित नहीं होंगे. आइए नजर डालते हैं इस क्षेत्र के हालातों पर.
विधानसभा क्षेत्र की खासियत: क्वारी नदी के किनारे बसा विजयपुर भी कूनों नेशनल पार्क का एक गेट होने से पर्यटन विकास की यहाँ अपार संभावनाएं हैं. पुरातत्व विभाग के अधीन श्योपुर दुर्ग भी इतिहास की गाथा गा रहा है. चेंटीखेड़ा और लोढ़ी डैम किसानों के लिए बड़ी सौग़ात है.
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विजयपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की बात की जाये तो विजयपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-2 में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 39 हजार 450 मतदाता हैं. जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,26,873 और महिला मतदाता 1,12,574 हैं साथ ही ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 3 है. जो इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे.
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विधानसभा क्षेत्र का पॉलिटिकल सिनेरियो: मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता अपना प्रतिनिधि अपना विधायक चुनेगी, लेकिन अगर बात विजयपुर विधानसभा क्षेत्र की करें तो इस सीट पर कांग्रेस का लगातार दबदबा रहा है. 2003 में जब बीजेपी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को पछाड़ते हुए अपनी सरकार बनायी थी, तब विजयपुर की जनता ने कांग्रेस को चुनते हुए रामनिवास रावत को विधायक चुना था. जनता का भरोसा इतना अडिग था कि 2008 और 2013 में भी विजयपुर की जनता ने रावत को ही अपना विधायक बनाया. इस सीट पर लंबे समय से ही पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का ही वर्चस्व रहा है. वे पहली बार 1990 में इसी विधानसभा से विधायक चुने गये थे. इसके बाद 1993 में भी. लेकिन इस क्षेत्र की जनता का मन कब पलट जाए ये नहीं कहा जा सकता.
इस क्षेत्र में 65-70 हजार आदिवासी मतदाता: पिछले चुनाव के समय प्रदेश भर में खास कर चंबल अंचल में ‘माई के लाल’ ने बीजेपी का विरोध किया था, तब विजयपुर सीट पर बीजेपी का विधायक बना. माना जाता है कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. यहां करीब 65 से 70 हजार वोटर आदिवासी हैं. बावजूद इसके यहां से कभी कोई आदिवासी विधायक नहीं बना. इस बात का फायदा उठाते हुए 2018 के चुनाव में बीजेपी ने दांव खेल, इस सीट पर कांग्रेस के पूर्वमंत्री रामनिवास रावत के खिलाफ एक बार फिर सीताराम आदिवासी को चुनाव लड़ाया. जिसकी वजह से इस बार क्षेत्र के आदिवासी समाज को अपने समाज का पहला विधायक मिला और बीजेपी को सीट. लेकिन अब 2023 में चुनाव के लिए नेता मंत्री टिकट की दावेदारी पेश करने पार्टी हाई कमान और जनता जनार्दन के बीच पहुंचने लगे हैं. जहां कांग्रेस में बिना शक पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को टिकट मिलना तय है. वहीं बीजेपी भी सीताराम आदिवासी को तीसरा मौका दे सकती है. इसके अलावा बीजेपी जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाट भी इस टिकट दावेदारी में हैं. वहीं तीसरा नाम पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा का भी सामने आ रहा है. माना जा रहा है कि लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे मिश्रा को मनाने के लिए उन्हें यहां से टिकट मिल सकता है. खैर सियासत में दांव पेच चलेंगे. किसी को टिकट मिलेगा किसी की दावेदारी पर कैंची चलेगी, लेकिन जानता अपना विधायक उसे ही चुनेगी जिस पर उसे ज़्यादा भरोसा होगा.
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जातिगत समीकरण: यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य और सबसे अधिक वोट अनुसूचित जनजाति से है. 30 फीसदी वोटर तो आदिवासी समाज से ही हैं. यहां मीणा समाज का अच्छा दबदबा है. इसके अलावा रावत, बैरवा (जाटव), धाकड़, मालीसमाज का भी प्रभाव है. इसके अलावा यहां ब्राह्मण, वैश्य, और मारवाड़ी गुर्जर समाज का भी प्रभाव है.
विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे: ग्वालियर चंबल अंचल में 2018 के चुनाव में बीजेपी ने विजयपुर विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी सीताराम आदिवासी को दोबारा टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था. उनका फैसल सही साबित हुआ और पांच बार के कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक रामनिवास रावत को जनता ने किनारे कर दिया. इस चुनाव में सीताराम आदिवासी ने 63,331वोट हासिल किए थे. जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व मंत्री रामनिवास यादव को जनता ने इस बार 60,491 मत दिए. जिसकी वजह से सीताराम आदिवासी को 2840 वोट के अंतर से जीत हासिल हुई थी.
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विधानसभा चुनाव 2013 के नतीजे: 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने अपने पारंपरिक प्रत्याशी पूर्व मंत्री राम निवास रावत को टिकट दिया. राम निवास रावत ने चुनाव में 67,358 वोट हासिल किए. वहीं उनके प्रतिद्वंदी रहे बीजेपी के सीताराम आदिवासी का जादू जनता पर नहीं चला. उन्हें इस चुनाव में कुल 65,209 मत प्राप्त हुए थे. इस चुनाव में जीत का अंतर 2149 वोट रहा था.
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विधानसभा चुनाव 2008 के नतीजे: विजयपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र-2 के लिए जब 2008 में चुनाव हुए तो कांग्रेस ने तत्कालीन विधायक और मंत्री राम निवास रावत को प्रत्याशी बनाया था. सीट पर मतदान हुआ और रावत को 42,705 वोट मिले. वहीं बीजेपी से खड़े हुए सीताराम आदिवासी को शिकस्त का सामना करना पड़ा. उन्हें सिर्फ 30,020 मत हासिल हुए थे. इस चुनाव में जीत का मार्जिन 12,685 वोट का रहा.
विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: श्योपुर की तरह ही विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में भी कुपोषण एक बड़ी समस्या है. स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भी जिला आज तक पीछे है. डॉक्टरों की कमी के साथ अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र बंद रहते हैं. रोजगार की कमी के चलते युवा वर्ग शहरों में पलायन कर रहा हैं. क्षेत्र में पेयजल संकट एक बड़ी समस्या है. कई अन्य ज़िलों की तरह ही विजयपुर क्षेत्र में भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल है.