श्योपुर। कूनो पालपुर अभ्यारण्य में लंबे इंतजार के बाद दो देशों से चीतों के आने का इंतजार 2 से 3 सप्ताह में खत्म होगा. इनके यहां रहने व खाने-पीने की पूरी व्यवस्था कर ली गई है. चीतों के लिए बनाए गए बाड़े को लगातार निरीक्षण किया जा रहा है. कूनों वन मंड़ल के डीएफओ प्रकाश वर्मा का कहना है कि तेंदुओं को बाड़े से निकालने के लिए हाथी मंगवाए हैं, जल्द ही तीनों तेंदुओं को बाड़े से बाहर निकाला जाएगा.
हर प्रजाति के वन्य जीव मौजूद हैं : 41 साल साल पुराना कूनो 26 साल से एशियाई शेरों के लिए विकसित हो रहा है. कूनो पालपुर अभ्यारण्य 750 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसमें तेंदुआ, भालू, हाइना, जंगली सूअर, कई प्रजातियों की जंगली बिल्ली जैसे खतरनाक जंगली जानवरों के अलावा, हजारों की संख्या में हिरण, सांभर, नीलगाय, चीतल, बारहसिंहा, चिंकारा, खरगोश सहित कई अन्य प्रजातियों के वन्य जीव बड़ी संख्या में हैं.
पहली किस्त में 20 चीते आएंगे : भारत सहित दूसरे देशों के वन्य जीव एक्सपर्ट कूनो के वातावरण को एशियाई शेरों के अलावा चीतों के लिए बेहद खास बता चुके हैं. इसके बाद आगामी 5 साल के भीतर कूनो में आधा सैकड़ा चीतों को बसाए जाने की तैयारी है. अफ्रीका और नामीबिया जैसे देश कूनो में चीते भेजने के लिए तैयार हैं. पहली बार में दोनों देशों से कुल 20 चीते कूनो लाए जाएंगे, जिनमें 10 नर और 10 मादा चीते शामिल रहेंगे. इन्हें लाए जाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.
तेंदुओं को निकालने का प्रयास जारी : वहीं, कूनों के बाड़े में घुसे तेंदुआ प्रबंधन के लाख प्रयासों के बाद भी बाहर नहीं निकल सके हैं. बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से कीचड़ और बड़ी घास होने की वजह से उन्हें बाड़े से निकालने में दिक्कत आ रही है. इसे देखते हुए अब कूनो प्रशासन ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से दो हाथियों को मंगवाया है, जिनकी मदद से तेंदुओं को तलाशकर बाड़े से बाहर निकालने का काम किया जाएगा.
भारत में जल्द आएगा अफ्रीकन चीता, इस अभ्यारण्य में रहेगा सबसे ज्यादा महफूज
तेंदुआ व चीते एक जोन में नहीं रह सकते : जानकार बताते हैं कि तेंदुआ और चीता दोनों का एक ही जोन में रहना नामुमकिन है. बता दें कि तेंदुआ वजन में लगभग 100 किलो तक का होता है और चीता महज 70 किलो तक का ही होता है, लेकिन दौड़ के मामले में बात की जाए तो चीता के मुकाबले अन्य कोई वन्य जीव तेज गति से नहीं दौड़ सकता है.चीता की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक होती है.