श्योपुर। राष्ट्रीय कूनो-पालपुर अभयारण्य के विस्तार के लिए अधिग्रहण की गई कूनो पालपुर अभ्यारण में स्थित पालपुर रियासत की भूमि का मामला विजयपुर न्यायालय में पहुंच गया है. इस परिवार के सदस्य गोपाल देव के वकील द्वारा 151 के तहत पेश की गई शिकायत पर न्यायालय ने श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा को जवाब पेश करने के लिए निर्देशित किया है. वहीं चीतों के देखभाल की बात करें तो विशेषज्ञों की टीम उनकी हर वक्त निगरानी कर रहे हैं.Gopal Dev filed petition in court for Kuno land, Kuno land case, Kuno land matter in court,Cheetah Care in Coono National Park
जमीन हथियाने का लगाया आरोप: बताया गया है कि, पालपुर राजा के परिवार के सदस्य गोपाल देव ने न्यायालय में अपील की है कि, शासन ने उनकी 220 बीघा के करीब सिंचित जमीन के बदले उन्हें महज 27 बीघा असिंचित जमीन दी है. वह भी ऊबड़ खाबड़ है. इसलिए उसमें खेती नहीं हो पाती है. उनके वकील ने यह भी दलील पेश की है कि, उनकी जमीन के साथ उनके पूर्वजों के किले और कुआं- बावड़ी आदि का अधिग्रहण अभी तक नहीं किया गया है. उसका मुआवजा भी नहीं दिया गया है. किले में उनके देवी देवताओं का मंदिर व स्थान है, जिसमें पूजा अर्चना करने के लिए जाने से भी वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा उन्हें रोका टोका जाता है. इसे लेकर उन्होंने अपील की है कि, उन्हें सिंचित जमीन के बदले दूसरी सिंचित जमीन दी जाए, इसके साथ ही किले व कुआं, बावड़ी आदि का मुआवजा भी उन्हें दिया जाए. उन्होंने इस पूरे मामले में प्रशासन के आला अधिकारियों पर नियमों को दरकिनारे करके उनकी जमीन हथियाने का आरोप लगाया है.
29 सितंबर तक का कोर्ट ने दिया वक्त: ग्वालियर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सोमवार को इस मामले की सुनवाई विजयपुर न्यायालय में की गई है. न्यायालय ने इस मामले में श्योपुर कलेक्टर को जवाब तलब किया है, कलेक्टर के वकील ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है. इस पर न्यायालय ने आगामी 29 सितंबर तक का समय जवाब पेश करने के लिए दिया है. फरियादी परिवार के सदस्य गोपाल का कहना है कि, अधिकारियों ने नियम और कानून का उल्लंघन करके उनकी सिंचित जमीन को असिंचित बता कर उनके साथ गलत किया है. कूनो में जमीन उन्होंने दी लेकिन, चीता परियोजना के शुभारंभ पर आयोजित हुए कार्यक्रम में उन्हें बुलाया तक नहीं गया, उन्होंने बब्बर शेर को कूनो में लाने के नाम पर अपनी जमीन दी थी लेकिन, यहां चीता लाया गया. बेशकीमती किले और कुआं बावड़ी आदि संपत्ति का मुआवजा तक उन्हें नहीं दिया गया है. इसे लेकर उन्होंने न्यायालय से गुहार लगाई है.
विशेषज्ञों की निगरानी में चीते: नामीबिया से लाए गए आठ चीते मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में नए वातावरण के अनुकूल ढलने की कोशिश कर रहे हैं. विशेषज्ञ की एक टीम उनकी निगरानी कर रही है. विशेषज्ञ की टीम ने बताया कि सभी चीते पांच मादा और तीन नर स्वस्थ्य हैं. कूनो पार्क में छह बाड़ों में इन आठ चीतों को रखा गया है. दो बाड़ों में दो-दो चीते हैं, जबकि चार बाड़ों में एक-एक चीते को रखा गया है. 30 मीटर गुणा 25 मीटर के इन बाड़ों में चीतों के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं. नामीबिया के विशेषज्ञों के साथ ही वन विभाग के कर्मचारी भी इन पर नजर रख रहे हैं. दो-दो वनकर्मी एक समय पर इन चीतों पर नजर रख रहे हैं. यानी हर समय कम से कम दो वनकर्मी इनकी निगरानी कर रहे हैं.
चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क रहने के अनुकूल है: कूनो नेशनल पार्क करीब 750 वर्ग किलोमीटर में फैला है जो चीतों के रहने के लिए अनुकूल है. इस अभ्यारण में इंसानों की किसी भी तरह की बसाहट भी नहीं है. देश के यहां चीतों के लिए अच्छा शिकार भी मौजूद है, क्योंकि यहां पर चौसिंगा हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं. नामीबिया से ही टीम अपने साथ हेल्थ किट लेकर भी आई है. वहीं उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार, चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित करने से पहले और बाद में एक-एक महीने के लिए अलग रखा जाना चाहिए. चीतों कों विशेषज्ञों की राय के अनुसार भैंस का मांस खिलाया, अफ्रीकी देश से भारत आने के बाद पहली बार रविवार शाम को उन्हें भोजन परोसा गया था. (Gopal Dev filed petition in court for Kuno land) (Kuno land case) (Kuno land matter in court) (Cheetah Care in Coono National Park)