श्योपुर। जलीय जीवों के संरक्षण के लिए चुनी गई चंबल नदी में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. इससे घड़ियाल, मगरमच्छ और विलुप्त प्रजाति के कछुए खत्म होने की कगार पर हैं. ये अवैध खनन खुलेआम होता है, सभी को पता है. फिर भी जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं. (illegal sand mining etv bharat report ground zero )लोगों का आरोप है कि माफिया को अफसरों का खुला संरक्षण मिला हुआ है.
माफिया-अफसर गठबंधन छलनी कर रहा चंबल!
श्योपुर जिले में रेत की एक भी वैध खदान नहीं है. सर्वाधिक रेत वाली चंबल नदी जलीय जीवों के लिए संरक्षित की गई नदी है. जिससे रेत-पत्थर आदि के अवैध उत्खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध भी लगा हुआ है. नदी की निगरानी की जिम्मेदारी राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य विभाग की है. (reality check illegal sand mining chambal sheopur )जिसके लिए अलग से वनकर्मी और एसएएफ के हथियारबंद सैनिक भी सरकार ने उपलब्ध करवाए हैं. लेकिन नदी के आमल्दा, बड़ौदिया बिंदी, जलालपुरा, सुंडी, दांतरदा, सामरसा, बगधिया, काऊपुरा गांवों से लगे दर्जन भर से ज्यादा घाटों से रेत माफिया खुलेआम रेत निकाल रहे हैं. समाजसेवी और जलीय जीव प्रेमियों ने कई बार इसकी शिकायत की है. लेकिन प्रशासन ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की.
ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ईटीवी भारत
ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर देखा तो नदी के अलग-अलग घाटों पर रेत का अवैध खुलेआम हो रहा था. रेत माफिया बेखौफ नदी से रेत निकालते और फिर उसे ले जाते हुए नजर आए. नदियों की तरह शहर और ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर भी यही हालात देखने को मिले.(fearless sand mafia in sheopur) रेत माफिया अजाक, मानपुर और ढोढ़र पुलिस थानों के सामने होकर खुलेआम रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को लेकर जाते हुए दिखाई दिए. इसे आमलोग आसानी से देख रहे हैं, लेकिन शायद प्रशासन को ये नहीं दिखाई देता.
कांग्रेस-बीजेपी की अपनी राजनीति
नदियों से रेत के अवैध उत्खनन के मामले में कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन और पुलिस पर रेत माफियाओं से मिली भगत होने के आरोप लगाए हैं. जबकि भाजपा नेता कहते हैं कि अवैध उत्खनन से लेकर माफिया राज के खिलाफ शिवराज सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है.