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श्योपुर में कागज का टुकड़ा बनकर रह गया स्वाइल हेल्थ कार्ड, नहीं सुधरी मिट्टी की सेहत - sheopur news

श्योपुर जिले में केंद्र सरकार की स्वाइल हेल्थ कॉर्ड स्कीम दम तोड़ती नजर आ रही है. जिले के ज्यादातर किसानों को इस योजना के बारे में पता ही नहीं है.

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स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना का किसानों को नहीं मिल रहा लाभ
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Published : Feb 26, 2020, 11:19 PM IST

Updated : Feb 27, 2020, 12:11 AM IST

श्योपुर। जिले में केंद्र सरकार की स्वाइल हेल्थ कॉर्ड योजना महज कागजों में ही सिमट कर रह गई है. ज्यादातर किसानों को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है. जैसे- तैसे ग्राम सेवकों ने कुछ किसानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाकर उन्हें मिट्टी की प्रोफाइल तो सौंप दी. लेकिन इस मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी पूरी करने लिए, किसानों को जरूरी खाद ही नहीं मिल पर रही है. जिससे किसान पारंपरिक तरीके से ही खेती करने को मजूबर हैं.

कागज का टुकड़ा बनकर रह गया स्वाइल हेल्थ कार्ड

किसानों का कहना है कि, उन्होंने इस योजना के तहत सर्वे तो करा लिया है. जिसके बाद उन्हें स्वाइल हेल्थ कॉर्ड भी मिल गया, लेकिन मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है, उन्हें पूरी करने के लिए मार्केट से इतने महंगे उर्वरक कैसे खरीदें. सरकार की तरफ से दी जाने वाली सुविधाएं, उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं.

बता दें इस योजना की शुरुआत फरवरी 2015 में की गई थी. जिसके तहत गांव में मिट्टी परीक्षण लैब की स्थापना की जानी थी. लैब तो बना दी गईं, लेकिन ज्यादातर किसानों को इसका सही फायदा नहीं मिल पा रहा है.

श्योपुर। जिले में केंद्र सरकार की स्वाइल हेल्थ कॉर्ड योजना महज कागजों में ही सिमट कर रह गई है. ज्यादातर किसानों को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है. जैसे- तैसे ग्राम सेवकों ने कुछ किसानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाकर उन्हें मिट्टी की प्रोफाइल तो सौंप दी. लेकिन इस मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी पूरी करने लिए, किसानों को जरूरी खाद ही नहीं मिल पर रही है. जिससे किसान पारंपरिक तरीके से ही खेती करने को मजूबर हैं.

कागज का टुकड़ा बनकर रह गया स्वाइल हेल्थ कार्ड

किसानों का कहना है कि, उन्होंने इस योजना के तहत सर्वे तो करा लिया है. जिसके बाद उन्हें स्वाइल हेल्थ कॉर्ड भी मिल गया, लेकिन मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है, उन्हें पूरी करने के लिए मार्केट से इतने महंगे उर्वरक कैसे खरीदें. सरकार की तरफ से दी जाने वाली सुविधाएं, उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं.

बता दें इस योजना की शुरुआत फरवरी 2015 में की गई थी. जिसके तहत गांव में मिट्टी परीक्षण लैब की स्थापना की जानी थी. लैब तो बना दी गईं, लेकिन ज्यादातर किसानों को इसका सही फायदा नहीं मिल पा रहा है.

Last Updated : Feb 27, 2020, 12:11 AM IST
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