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कूनो पालपुर सेंचुरी में लाए जाएंगे साउथ अफ्रीका से चीते, वन विभाग ने बनाई योजना

श्योपुर की कूनो पालपुर सेंचुरी में साउथ अफ्रीका से चीते लाने की योजना बनाई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो प्रदेश और जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

kuno wildlife sanctuary
कूनों पालपुर अभ्यारण्य
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Published : Dec 1, 2020, 10:23 PM IST

श्योपुर। गुजरात की गिर सेंचुरी के बब्बर शेरों के श्योपुर जिले के कूनो पालपुर सेंचुरी में लाने की कवायदें चल रही थीं. लेकिन सरकारी लापरवाही के कारण लंबे समय के इंतजार के बाद भी गिर सेंचुरी के शेर जिले में नहीं आ पाए. लेकिन अब कूनो पालपुर सेंचुरी में साउथ अफ्रीका से चीते लाने की योजना बनाई जा रही है, जिसके लिए वन विभाग के अफसर योजना बनाकर काम करने लगे हैं. ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश और जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

साउथ अफ्रीका से आएंगे चीते

कई जानवर हैं मौजूद

कूनों पालपुर अभ्यारण्य करीब 750 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है. इसमें 27 हजार 253 चीतल, 27 हजार 808 साबर(Sambar deer), 5562 नीलगाय, 827 चौसिंगा, 7585 चिंकारा, 3768 जंगली सुअर, 655 हिरण, 2774 काले हिरण, 9117 लंगूर, 18 हजार 753 और कई जानवर हैं. इनमें हाइना, पेंथर, भालू, जंगली बिल्ली, खरगोश सहित कई तरह के जानवरों के नाम शामिल हैंं.

अलग-अलग पक्षियों का भी है डेरा

सेंचुरी में पेट्रोज, नाइटजर, मोर, ओरियोल, हुफो किंगफिशर, विडपेकर, आउल, कुक्कू, हार्नविल बीईटर, सनवर्ड, पैराकीट, जंगल फाउल, स्विफ्ट स्वेलो, पिजियन, रॉबिंग सहित 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. ये सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. लेकिन अभ्यारण्य को शेर की कमी खल रही है. इस वजह से राजस्थान के सवाईमाधौपुर और शिवपुरी रुट के बीच की कड़ी होते हुए भी श्योपुर जिला पर्यटकों के आवागमन के मामले में पिछड़ा हुआ है.

पढ़ें- लंबित मामलों को 45 दिन में निपटाने के DGP ने दिए आदेश, लेटलतीफी पर होगी सख्त कार्रवाई

सेंचुरी को खल रही शेर-चीते की कमी

कूनों पालपुर सेंचुरी में जीव-जंतुओं के अलावा घना और आकर्षक वन, पहाडियां और झरने भी हैं, जो जिले के पर्यटकों को खूब रास आते हैं. बाहरी पर्यटकों को कूनों तक बुलाने के लिए यहां एशियाई शेर या अफ्रीकी चीते लाना बेहद जरुरी है. जिसके लिए कूनों पालपुर सेंचुरी पूरी तरह से तैयार भी हो चुका है. कई एक्सपर्ट कमेंटियां भी कूनों के वातावरण और व्यवस्थाओं को एशियाई शेर और अफ्रीकी चीतों के लिए अनुकूल बता चुकी हैं. अगर सरकार शेर और चीतों के लिए विशेष प्रयास करें तो श्योपुर जिला पर्यटन के मामले में दुनियाभर में मशहूर हो सकता है. इससे न सिर्फ जिले की ख्याति को चार चांद लग जाएंगे बल्कि, यहां रोजगार की अपार संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी. इससे पलायन और बेरोजगारी दूर होगी.

स्वागत के लिए तैयारियां पूरी

कूनों पालपुर सेंचुरी के DFO प्रकाश वर्मा का कहना है कि कूनों पालपुर सेंचुरी लंबे समय से एशियाई शेरों के स्वागत के लिए तैयार हैं. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. एक्सपर्ट भी यहां के वातावरण को अनुकूल बता चुके हैं.

श्योपुर। गुजरात की गिर सेंचुरी के बब्बर शेरों के श्योपुर जिले के कूनो पालपुर सेंचुरी में लाने की कवायदें चल रही थीं. लेकिन सरकारी लापरवाही के कारण लंबे समय के इंतजार के बाद भी गिर सेंचुरी के शेर जिले में नहीं आ पाए. लेकिन अब कूनो पालपुर सेंचुरी में साउथ अफ्रीका से चीते लाने की योजना बनाई जा रही है, जिसके लिए वन विभाग के अफसर योजना बनाकर काम करने लगे हैं. ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश और जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

साउथ अफ्रीका से आएंगे चीते

कई जानवर हैं मौजूद

कूनों पालपुर अभ्यारण्य करीब 750 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है. इसमें 27 हजार 253 चीतल, 27 हजार 808 साबर(Sambar deer), 5562 नीलगाय, 827 चौसिंगा, 7585 चिंकारा, 3768 जंगली सुअर, 655 हिरण, 2774 काले हिरण, 9117 लंगूर, 18 हजार 753 और कई जानवर हैं. इनमें हाइना, पेंथर, भालू, जंगली बिल्ली, खरगोश सहित कई तरह के जानवरों के नाम शामिल हैंं.

अलग-अलग पक्षियों का भी है डेरा

सेंचुरी में पेट्रोज, नाइटजर, मोर, ओरियोल, हुफो किंगफिशर, विडपेकर, आउल, कुक्कू, हार्नविल बीईटर, सनवर्ड, पैराकीट, जंगल फाउल, स्विफ्ट स्वेलो, पिजियन, रॉबिंग सहित 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. ये सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. लेकिन अभ्यारण्य को शेर की कमी खल रही है. इस वजह से राजस्थान के सवाईमाधौपुर और शिवपुरी रुट के बीच की कड़ी होते हुए भी श्योपुर जिला पर्यटकों के आवागमन के मामले में पिछड़ा हुआ है.

पढ़ें- लंबित मामलों को 45 दिन में निपटाने के DGP ने दिए आदेश, लेटलतीफी पर होगी सख्त कार्रवाई

सेंचुरी को खल रही शेर-चीते की कमी

कूनों पालपुर सेंचुरी में जीव-जंतुओं के अलावा घना और आकर्षक वन, पहाडियां और झरने भी हैं, जो जिले के पर्यटकों को खूब रास आते हैं. बाहरी पर्यटकों को कूनों तक बुलाने के लिए यहां एशियाई शेर या अफ्रीकी चीते लाना बेहद जरुरी है. जिसके लिए कूनों पालपुर सेंचुरी पूरी तरह से तैयार भी हो चुका है. कई एक्सपर्ट कमेंटियां भी कूनों के वातावरण और व्यवस्थाओं को एशियाई शेर और अफ्रीकी चीतों के लिए अनुकूल बता चुकी हैं. अगर सरकार शेर और चीतों के लिए विशेष प्रयास करें तो श्योपुर जिला पर्यटन के मामले में दुनियाभर में मशहूर हो सकता है. इससे न सिर्फ जिले की ख्याति को चार चांद लग जाएंगे बल्कि, यहां रोजगार की अपार संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी. इससे पलायन और बेरोजगारी दूर होगी.

स्वागत के लिए तैयारियां पूरी

कूनों पालपुर सेंचुरी के DFO प्रकाश वर्मा का कहना है कि कूनों पालपुर सेंचुरी लंबे समय से एशियाई शेरों के स्वागत के लिए तैयार हैं. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. एक्सपर्ट भी यहां के वातावरण को अनुकूल बता चुके हैं.

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