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बाढ़ में बह गया सीप नदी पर बना पुल! रोजाना जान की बाजी लगा नदी पार कर रहे सैकड़ों ग्रामीण

बाढ़ में सीप नदी (seep river) पर बने पुल के साथ ही दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीणों की उम्मीदें भी बह (bridge washed away in flood) गईं, अब रोजाना मौत की लहरों से टकराना इनकी नीयति बनती जा रही है क्योंकि इतना समय बीत जाने के बाद भी ब्रिज का विकल्प नहीं मिल सका है.

bridge of seep river washed away in flood
सीप नदी पर बना पुल बहा
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Published : Nov 26, 2021, 1:35 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 2:15 PM IST

श्योपुर। कहते हैं मुश्किल कितनी भी बड़ी हो, लेकिन जिंदगी थकती नहीं, नाव के सहारे ही सही सीप नदी से जंग जारी है. नाव यहां के लोगों की लाइफलाइन (boat is lifeline) तो नहीं पर उससे कम भी नहीं है. जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर मानपुर-ढोढर मार्ग पर पड़ने वाली सीप नदी पर बना पुल इसी साल दो अगस्त को बाढ़ में पिलर सहित बह (bridge of seep river washed away in flood) गया था, जिसके बाद रोजाना लोग सीप नदी की लहरों से टकराते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. आवागमन की सुविधा के लिहाज से 50 साल पुराना जमाना फिर से लाेगाें काे देखना और भुगतना पड़ रहा है.

संकट के समय में कहां चले जाते हैं जनसेवक महाराज, बाढ़ ग्रस्त इलाकों का अभी तक नहीं लिया जायजा

रोजाना नदी की लहरों से टकराते हैं ग्रामीण

ढोढर इलाके के नजदीकी गांव मानपुर जाने में 10 से 15 मिनट का समय लगता था, लेकिन पुल टूटने की वजह से अब या तो नाव के सहारे जोखिम भरा सफर (villagers facing trouble) तय करना पड़ता है या फिर 40 किलोमीटर का राउंड लगाकर चम्बल कैनाल (chambal canal) होते हुए जाना पड़ता है, ऐसे में दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों के साथ-साथ स्कूली बच्चों को भी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है, इस पार से उस पार तक जाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है.

लापरवाही से हार गया नदी पर बना पुल

ढाेढर-मानपुर मार्ग में पड़ने वाली सीप नदी पर सन 1977 में जनता पार्टी के शासन में पुल बना था, 1972 में स्वीकृति मिलने के बाद पुल का काम कंपलीट हाेने में पांच साल लगा था. तत्कालीन मंत्री बाबू जबर सिंह ने इस पुल का लाेकार्पण किया था, लेकिन रख-रखाव के अभाव में पुल में साल 2000 में दरारें पड़ गईं, जिसके बाद मानपुर क्षेत्र की गई ग्राम पंचायता के लोगों ने मिलकर पुल की मरम्मत की मांग उठाई, जिसके बाद 2013 में राज्य सरकार ने 32 लाख रुपए मरम्मत के लिए मंजूर कर दिया, फिर मप्र ब्रिज कॉर्पोरेशन ने दिसंबर 2013 में वर्क ऑर्डर जारी किया, टेंडर अनुबंध के तहत आतरा कंस्ट्रक्शन कंपनी काे 10 महीने की समय अवधि दी गई थी, जिसमे काम पूरा करना था, लेकिन किसी कारण बस कार्य कराने के बाद 2015 में कंपनी काम छोड़ कर भाग गई, जिसके बाद पुल के मरम्मत पर एमपी आरडीसी ने ध्यान ही नहीं दिया, समय रहते पुल की मरम्मत हो जाती तो शायद बाढ़ के समय सीप नदी में आए उफान से ये पुल टकरा जाता. पर ऐसा नहीं हो सका.

अनुचित है अनसेफ तरीके से सफर करना

स्कूली छात्रों ने बताया कि पिछले 2 साल से तो कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद थे, अब स्कूल खुले भी तो बाढ़ में पुल बह चुका है, ऐसे में नाव के सहारे स्कूल जा रहे हैं, हमारी मांग है कि जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण कराया जाए, जिससे हमारी पढ़ाई भी न पिछड़े और आने जाने में किसी प्रकार का जोखिम भी नहीं उठाना पड़ेगा. श्योपुर कलेक्टर शुभम वर्मा ने बताया कि रपटे के लिए टेंडर हो चुका है, जिसका जल्द काम शुरू कराएंगे. हालांकि रास्ता लंबा है, जिससे बचने के लिए कई लोग अनसेफ तरीके से सफर करते हैं, जोकि अनुचित है.

श्योपुर। कहते हैं मुश्किल कितनी भी बड़ी हो, लेकिन जिंदगी थकती नहीं, नाव के सहारे ही सही सीप नदी से जंग जारी है. नाव यहां के लोगों की लाइफलाइन (boat is lifeline) तो नहीं पर उससे कम भी नहीं है. जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर मानपुर-ढोढर मार्ग पर पड़ने वाली सीप नदी पर बना पुल इसी साल दो अगस्त को बाढ़ में पिलर सहित बह (bridge of seep river washed away in flood) गया था, जिसके बाद रोजाना लोग सीप नदी की लहरों से टकराते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. आवागमन की सुविधा के लिहाज से 50 साल पुराना जमाना फिर से लाेगाें काे देखना और भुगतना पड़ रहा है.

संकट के समय में कहां चले जाते हैं जनसेवक महाराज, बाढ़ ग्रस्त इलाकों का अभी तक नहीं लिया जायजा

रोजाना नदी की लहरों से टकराते हैं ग्रामीण

ढोढर इलाके के नजदीकी गांव मानपुर जाने में 10 से 15 मिनट का समय लगता था, लेकिन पुल टूटने की वजह से अब या तो नाव के सहारे जोखिम भरा सफर (villagers facing trouble) तय करना पड़ता है या फिर 40 किलोमीटर का राउंड लगाकर चम्बल कैनाल (chambal canal) होते हुए जाना पड़ता है, ऐसे में दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों के साथ-साथ स्कूली बच्चों को भी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है, इस पार से उस पार तक जाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है.

लापरवाही से हार गया नदी पर बना पुल

ढाेढर-मानपुर मार्ग में पड़ने वाली सीप नदी पर सन 1977 में जनता पार्टी के शासन में पुल बना था, 1972 में स्वीकृति मिलने के बाद पुल का काम कंपलीट हाेने में पांच साल लगा था. तत्कालीन मंत्री बाबू जबर सिंह ने इस पुल का लाेकार्पण किया था, लेकिन रख-रखाव के अभाव में पुल में साल 2000 में दरारें पड़ गईं, जिसके बाद मानपुर क्षेत्र की गई ग्राम पंचायता के लोगों ने मिलकर पुल की मरम्मत की मांग उठाई, जिसके बाद 2013 में राज्य सरकार ने 32 लाख रुपए मरम्मत के लिए मंजूर कर दिया, फिर मप्र ब्रिज कॉर्पोरेशन ने दिसंबर 2013 में वर्क ऑर्डर जारी किया, टेंडर अनुबंध के तहत आतरा कंस्ट्रक्शन कंपनी काे 10 महीने की समय अवधि दी गई थी, जिसमे काम पूरा करना था, लेकिन किसी कारण बस कार्य कराने के बाद 2015 में कंपनी काम छोड़ कर भाग गई, जिसके बाद पुल के मरम्मत पर एमपी आरडीसी ने ध्यान ही नहीं दिया, समय रहते पुल की मरम्मत हो जाती तो शायद बाढ़ के समय सीप नदी में आए उफान से ये पुल टकरा जाता. पर ऐसा नहीं हो सका.

अनुचित है अनसेफ तरीके से सफर करना

स्कूली छात्रों ने बताया कि पिछले 2 साल से तो कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद थे, अब स्कूल खुले भी तो बाढ़ में पुल बह चुका है, ऐसे में नाव के सहारे स्कूल जा रहे हैं, हमारी मांग है कि जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण कराया जाए, जिससे हमारी पढ़ाई भी न पिछड़े और आने जाने में किसी प्रकार का जोखिम भी नहीं उठाना पड़ेगा. श्योपुर कलेक्टर शुभम वर्मा ने बताया कि रपटे के लिए टेंडर हो चुका है, जिसका जल्द काम शुरू कराएंगे. हालांकि रास्ता लंबा है, जिससे बचने के लिए कई लोग अनसेफ तरीके से सफर करते हैं, जोकि अनुचित है.

Last Updated : Dec 2, 2021, 2:15 PM IST
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