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प्रेक्टिस के लिए भी नहीं खुलता बैडमिंटन कोर्ट, छात्रावास की बिल्डिंग में रह रहे कर्मचारी

खेल गतिविधियों के नाम पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा हर साल लाखों रुपए का बजट फूंका जाता है, लेकिन कॉलेज में खिलाडियों की प्रैक्टिस के लिए बैडमिंटन कोर्ट तक नहीं खोला जाता है.

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पीजी कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट का खस्ता हाल
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Published : Dec 1, 2019, 3:30 PM IST

श्योपुर। खेल गतिविधियों के नाम पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा हर साल लाखों रुपए का बजट फूंका जाता है, लेकिन कॉलेज में खिलाडियों की प्रैक्टिस के लिए बैडमिंटन कोर्ट तक नहीं खोला जाता है. जिससे प्रैक्टिस के लिए रोजाना कॉलेज परिसर में पहुंचने वाले खिलाड़ी छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालात ऐसे हैं कि ग्राउंड में लाइटें नहीं होने की वजह से सुबह के समय अंधेरा होने की वजह से उन्हें मोबाइल टॉर्च की रोशनी में फिजिकल की तैयारी और खेलों की प्रैक्टिस करनी पड़ रही है.

मामला जिला मुख्यालय के पीजी कॉलेज का है. जहां कॉलेज प्रबंधन ने करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बैंडमिंटन कोर्ट तो बना दिया है, लेकिन इस कोर्ट के दरवाजे पर हमेशा ताला लगा रहता है. जिससे यहां नियमित प्रैक्टिस करने के लिए पहुंच रहे कॉलेज के छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पीजी कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट का खस्ता हाल

बैडमिंटन कोर्ट के खस्ता हाल

छात्र-छात्राओं की मानें तो उन्हें कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रैक्टिस के लिए कोई सामग्री भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है. जिससे उन्हे बैंडमिंटन कोर्ट के बाहर के मैदान में खड़े बरसाती पौधों और झाडियों के बीच मुश्किलें उठाकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. जबकि वो कई बार कॉलेज के प्राचार्य से बैंडमिंटन कोर्ट को खोले जाने और फिजिकल प्रैक्टिस के लिए सामग्री मांग चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा हर वार अनसुना कर दिया जाता है.

करोड़ों रूपए के बैडमिंटन कोर्ट पर लगा ताला

कॉलेज परिसर में करोडों रुपए की लागत से बेडमिंटन कोर्ट बना दिया गया है, लेकिन उस पर ताला लगा रहता है. जिससे हमें सुबह 5 बजे अंधेरे में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. कई बार कॉलेज प्राचार्य को कह चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.

छात्रावास की बिल्डिंग में रह रहे कर्मचारी

छात्रों के रहने के लिए बनाई गई बिल्डिंग में कर्मचारी रह रहे हैं. ग्रामीण इलाकों के छात्र जिला मुख्यालय पर रहकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर सकें. इसके लिए पीजी कॉलेज परिसर में छात्रों के रहने की व्यवस्था के लिए कई करोड़ रुपए की लागत से छात्रावास की बिल्डिंग का निर्माण करवाया गया. इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा हुए करीब 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन यहां छात्रावास शुरु नहीं करवा सका है. जिससे ग्रामीण इलाकों के छात्रों को किराए पर भवन लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. छात्रावास की बिल्डिंग में कॉलेज के सफाई कर्मी व चौकीदार सहित अन्य कर्मचारी रह रहे है.

श्योपुर। खेल गतिविधियों के नाम पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा हर साल लाखों रुपए का बजट फूंका जाता है, लेकिन कॉलेज में खिलाडियों की प्रैक्टिस के लिए बैडमिंटन कोर्ट तक नहीं खोला जाता है. जिससे प्रैक्टिस के लिए रोजाना कॉलेज परिसर में पहुंचने वाले खिलाड़ी छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालात ऐसे हैं कि ग्राउंड में लाइटें नहीं होने की वजह से सुबह के समय अंधेरा होने की वजह से उन्हें मोबाइल टॉर्च की रोशनी में फिजिकल की तैयारी और खेलों की प्रैक्टिस करनी पड़ रही है.

मामला जिला मुख्यालय के पीजी कॉलेज का है. जहां कॉलेज प्रबंधन ने करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बैंडमिंटन कोर्ट तो बना दिया है, लेकिन इस कोर्ट के दरवाजे पर हमेशा ताला लगा रहता है. जिससे यहां नियमित प्रैक्टिस करने के लिए पहुंच रहे कॉलेज के छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पीजी कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट का खस्ता हाल

बैडमिंटन कोर्ट के खस्ता हाल

छात्र-छात्राओं की मानें तो उन्हें कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रैक्टिस के लिए कोई सामग्री भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है. जिससे उन्हे बैंडमिंटन कोर्ट के बाहर के मैदान में खड़े बरसाती पौधों और झाडियों के बीच मुश्किलें उठाकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. जबकि वो कई बार कॉलेज के प्राचार्य से बैंडमिंटन कोर्ट को खोले जाने और फिजिकल प्रैक्टिस के लिए सामग्री मांग चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा हर वार अनसुना कर दिया जाता है.

करोड़ों रूपए के बैडमिंटन कोर्ट पर लगा ताला

कॉलेज परिसर में करोडों रुपए की लागत से बेडमिंटन कोर्ट बना दिया गया है, लेकिन उस पर ताला लगा रहता है. जिससे हमें सुबह 5 बजे अंधेरे में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. कई बार कॉलेज प्राचार्य को कह चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.

छात्रावास की बिल्डिंग में रह रहे कर्मचारी

छात्रों के रहने के लिए बनाई गई बिल्डिंग में कर्मचारी रह रहे हैं. ग्रामीण इलाकों के छात्र जिला मुख्यालय पर रहकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर सकें. इसके लिए पीजी कॉलेज परिसर में छात्रों के रहने की व्यवस्था के लिए कई करोड़ रुपए की लागत से छात्रावास की बिल्डिंग का निर्माण करवाया गया. इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा हुए करीब 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन यहां छात्रावास शुरु नहीं करवा सका है. जिससे ग्रामीण इलाकों के छात्रों को किराए पर भवन लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. छात्रावास की बिल्डिंग में कॉलेज के सफाई कर्मी व चौकीदार सहित अन्य कर्मचारी रह रहे है.

Intro:एंकर
श्योपुर,खेल गतिविधियों के नाम पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा हर साल लाखों रुपए का बजट फूंका जाता है। लेकिन कॉलेज में अध्यनरत खिलाडियों को प्रैक्टिस के लिए बेडमिंटन कोर्ट तक नहीं खोला जाता है। जिससे प्रैक्टिस के लिए रोजाना सुबह 05 बजे कॉलेज परिसर में पहुंचने वाले खिलाड़ी छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालात ऐसे है कि ग्राउंड में लाइटें नहीं होने की वजह से सुबह के समय अंधेरा होने की वजह से उन्हे मोवाइल टॉर्च की रोशनी में फिजिकल की तैयारी और खेलों की प्रैक्टिस करनी पड़ रही हैं। देखिये ये रिपोर्ट.....
Body:विओ-1
मामला जिला मुख्यालय के पीजी कॉलेज का है जहां कॉलेज प्रबंधन ने करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बेडमिंटन कोर्ट तो बना दिया है। लेकिन इस कोर्ट के दरबाजे पर हमेशा ताला लगा रहता है। जिससे यहां नियमित प्रैक्टिस करने के लिए पहुंच रहे कॉलेज के छात्र-छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छात्र-छात्राओं की मानें तो उन्हे कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रैक्टिस के लिए कोई सामग्री भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। जिससे उन्हे बेडमिंटन कोर्ट के बाहर के मैदान में खड़े बरसाती पौधों और झाडियों के बीच मुश्किलें उठाकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। जबकि वह कई वार कॉलेज के प्राचार्य से बेडमिंटन कोर्ट को खोले जाने और फिजिकल प्रैक्टिस के लिए सामग्री मांग चुके है। लेकिन उनके द्वारा हर वार अनसुना कर दिया जाता है। जिससे वह परेशान है।
विओ-2
कॉलेज परिसर में करोडों रुपए की लागत से बेडमिंटन कोर्ट बना दिया गया है, लेकिन उस पर ताला लगा रहता है, जिससे हमें सुबह 5 बजे अंधेरे में मोवाइल टॉर्च की रोशनी में प्रैक्टिस करनी पड़ रही है, कई वार कॉलेज प्राचार्य को कह चुके लेकिन वह हमारी सुनवाई नहीं कर रहे है, जिससे हम ठीक से तैयारी भी नहीं कर पा रहे है।

बाइट-रंजना राजोरिया (छात्रा पीजी कॉलेज श्योपुर)
बिकखा आर्य (छात्रा )
Conclusion:विओ-3
छात्रों के रहने के लिए बनाई गई बिल्डिंग में रह रहे कर्मचारी ग्रामीण इलाकों के छात्र जिला मुख्यालय पर रहकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर सकें, इसके लिए पीजी कॉलेज परिसर में छात्रों के रहने की व्यवस्था के लिए कई करोड़ रुपए की लाहत से छात्रावास की बिल्डिंग का निर्माण करवाया गया है। इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा हुए करीब 3 साल बीत चुके है। लेकिन कॉलेज प्रबंधन यहां छात्रावास शुरु नहीं करवा सका है। जिससे ग्रामीण इलाकों के छात्रों को किराए पर भवन लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे हालातों में गरीब तबके के छात्रों के बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और छात्रावास की बिल्डिंग में कॉलेज के सफाई कर्मी व चौकीदार सहित अन्य कर्मचारी रह रहे है।
विओ-4 जिमेजियम पर भी लगा ताला
छात्र-छात्राओं को फिट रखने और उन्हे बॉडीबिल्डर बनाने के लिए कॉलेज प्रबंधन द्वारा पीजी कॉलेज परिसर में जिमेजियम का निर्माण तो करवा दिया। आधुनिक मशीने भी खरीद ली। लेकिन जिम पर हमेशा ताला लगा रहता है। जिससे कॉलेज में अध्यनरत छात्र-छात्राओं को कॉलेज में जिमेजियम होते हुए भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे हालातों में उन्हे बाजार की जिमों पर फीस चुकाने के बाद जिम करनी पड़ रही है।

श्योपुर से अमित शर्मा की रिपोर्ट...
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