अच्छाई अमीरी या गरीबी देखकर नहीं आती,
मानवता कागज के टुकड़ों से खरीदी नहीं जाती।
जरा पूछो इस आंगनबाड़ी को आसरा देने वाले से,
दरियादिली हैसियत पूछकर नहीं आती।।
श्योपुर। दिल की दरियादिली हैसियत नहीं पूछती है, अगर आपके मन में किसी की मदद करने की इच्छा है तो गरीबी आपके आड़े कभी नहीं आती है. ऐसे ही दरियादिली की मिसाल पेश करते हुए एक गरीब आदिवासी परिवार ने खुद बेघर होकर आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को आसरा दिया है. डांडा निवासी हरिराम आदिवासी ने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को प्रधानमंत्री आवास योजना में बने अपने घर में आसरा दिया है. पढ़िए ईटीवी भारत की खास पेशकश...
मामला जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर स्थित डांडा के सहराना आंगनबाड़ी केन्द्र का है. यहां भवन नहीं होने से साल भर पहले तक ये आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवन में संचालित किया जाता था. विभाग द्वारा कई महीनों तक आंगनबाड़ी केंद्र के भवन का किराया नहीं चुकाया गया, तो मकान मालिक ने भवन खाली करवा लिया. कार्यकर्ताओं को मजबूरन दो से तीन महीने तक खुले मैदान में पेड़ के नीचे आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित करना पड़ा. लेकिम जैसे ही गांव के हरिराम आदिवासी का पीएम आवास बनकर तैयार हुआ, तो उन्होंने दरियादिली दिखाते हुए अपना घर आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए दे दिया.
आंगनबाड़ी केंद्र का समय होते ही हरिराम आदिवासी का परिवार अपने कामकाज पर चला जाता है और आंगनबाड़ी का समय पूरा होते ही वापस लौट आता है. जिससे न तो हरिराम के परिवार को रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है और न ही आंगनबाड़ी के बच्चों को खुले में बैठना पड़ता है. ऐसा बीते 9 महीनों से हो रहा है. बावजूद इसके हरिराम ने अपनी समस्या कभी किसी के सामने बयां नहीं की. हालांकि अब महिला एवं बाल विकास विभाग भवन के किराए के तौर पर एक हजार रुपए महीना दे रहे हैं, जो कभी 4 महीने में तो कभी 6 महीने में मिलते हैं.
आज के समय में देखा जाता है कि लोग सफर के दौरान अपनी सीट तक किसी के लिए नहीं छोड़ते, ऐसे में हरिराम ने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों की खातिर अपना पीएम आवास दे दिया. हरिराम आदिवासी का कहना है कि बच्चों की परेशानी को देखते हुए उन्होंने अपना घर आंगनबाड़ी केंद्र के लिए दे दिया. उसे कोई लालच नहीं था, लेकिन अब विभाग किराया दे रहा है. दिन में आंगनबाड़ी चलती है, ऐसे में घर के सभी सदस्य घर से बाहर ही रहते हैं. वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि बीते 9 महीने से प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले हरिराम के घर में ही आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहा है.
इंसानियत के खातिर हरिराम का परिवार दिन भर अपना आवास खाली कर सड़क पर पहुंच जाता है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने आंगनबाड़ी भवन को लेकर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है.