शाजापुर। शहर से 40 किलोमीटर दूर बांकाखेड़ी गांव में शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चों को कीचड़ भरे रास्तों से चलकर जाना पड़ता है. दरअसल स्कूल जाने का रास्ता पूरी तरह कीचड़ से सना हुआ है. जिसके चलते बच्चे घुटनों तक कीचड़ पार कर स्कूल जाने को मजबूर है.
कीचड़ से भरी नौनिहालों की डगर, कैसे तय करें आखिर स्कूल का सफर
शाजापुर के गांव बांकाखेड़ी में बच्चों को स्कूल जाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जहां स्कूल का पूरा रास्ता कीचड़ से भरा है. वहीं सरपंच और प्रशासन इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
कीचड़ भरे रास्ते से स्कूल जाते बच्चे
शाजापुर। शहर से 40 किलोमीटर दूर बांकाखेड़ी गांव में शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चों को कीचड़ भरे रास्तों से चलकर जाना पड़ता है. दरअसल स्कूल जाने का रास्ता पूरी तरह कीचड़ से सना हुआ है. जिसके चलते बच्चे घुटनों तक कीचड़ पार कर स्कूल जाने को मजबूर है.
Intro:शाजापुर शहर से 40 किलोमीटर दूर बकाखेड़ी गांव में आधुनिक भारत असली तस्वीर देखने को मिली. इसमें बच्चे कीचड़ और पानी से भरे रास्तों से स्कूल जाने को मजबूर है.Body:
शहर से 40 किलोमीटर दूर आधुनिक भारत की नई तस्वीर हमारे सामने आई हैं .गांव बांका खेड़ी के बच्चे शिक्षा लेने के लिए हमेशा कीचड़ भरे रास्तों से ही गुजर रहे हैं .बच्चे कभी कीचड़ के साथ खेलते हुए दिखाई देते हैं कभी पानी में गिरते हुए .हम शिक्षा के लाख बड़े-बड़े दावे करते हैं, डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और आधुनिक भारत की बात करने थकते नहीं. लेकिन असल भारत में झांक कर देखते हैं तस्वीर कुछ और ही दिखाई देती हैं. ग्रामीण इलाकों में मूलभूत समस्याएं अपना मुंह फाड़ कर खड़ी दिखाइ देती हैं.
बांका खेड़ी गांव के बच्चे और अन्य लोग इस कीचड़ भरे रास्ते से ही आते जाते हैं. बच्चों को बारिश के समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है .कई बार स्कूल से छुट्टी भी मारनी पड़ती हैं.
गांव के सरपंच को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि गांव के बच्चे कीचड़ भरे रास्तों से स्कूल पहुंच रहे हैं. जनप्रतिनिधियों एवं जिम्मेदारों की नींद भी तब खुलती है जब मीडिया उनको असली तस्वीर दिखाता है.Conclusion:
स्कूली शिक्षा लेने के लिए बच्चे कीचड़ भरे रास्तों से गुजर रहे
शहर से 40 किलोमीटर दूर आधुनिक भारत की नई तस्वीर हमारे सामने आई हैं .गांव बांका खेड़ी के बच्चे शिक्षा लेने के लिए हमेशा कीचड़ भरे रास्तों से ही गुजर रहे हैं .बच्चे कभी कीचड़ के साथ खेलते हुए दिखाई देते हैं कभी पानी में गिरते हुए .हम शिक्षा के लाख बड़े-बड़े दावे करते हैं, डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और आधुनिक भारत की बात करने थकते नहीं. लेकिन असल भारत में झांक कर देखते हैं तस्वीर कुछ और ही दिखाई देती हैं. ग्रामीण इलाकों में मूलभूत समस्याएं अपना मुंह फाड़ कर खड़ी दिखाइ देती हैं.
बांका खेड़ी गांव के बच्चे और अन्य लोग इस कीचड़ भरे रास्ते से ही आते जाते हैं. बच्चों को बारिश के समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है .कई बार स्कूल से छुट्टी भी मारनी पड़ती हैं.
गांव के सरपंच को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि गांव के बच्चे कीचड़ भरे रास्तों से स्कूल पहुंच रहे हैं. जनप्रतिनिधियों एवं जिम्मेदारों की नींद भी तब खुलती है जब मीडिया उनको असली तस्वीर दिखाता है.Conclusion:
स्कूली शिक्षा लेने के लिए बच्चे कीचड़ भरे रास्तों से गुजर रहे