शाजापुर। मां-बाप को बुढ़ापा में परेशान और दरबदर की ठोकर खाने के लिए छोड़ जाना हैरान करता है... जो मां-बाप बच्चों को बड़ा करते हैं, वे ही बच्चे बुढ़ापे में माता-पिता को घर से निकाल दें, तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात कुछ नहीं हो सकती. शाजापुर की शुजालपुर तहसील से मंगलवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां एक 90 वर्षीय मां मांगी बाई को कलेक्टर जनसुनवाई में अपनी समस्या लेकर पहुंची. इस दौरान उन्होंने बताया कि "कोर्ट ने मेरे तीनों बेटों से कहा था कि हर महीने मां को 3-3 हजार रुपये देना है, लेकिन आज 5 महीने गुजरने के बाद अभी तक एक रुपये नहीं मिला. इसलिए अब कलेक्टर साहब आप ही मुझे उनसे पैसे दिलवाइए."
5 महीने से नहीं मिली भरण-पोषण और इलाज की राशि: 2022 में मांगी बाई को अपने भरण-पोषण के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने मां के पक्ष में सुनवाई करते हुए 2000 प्रति माह भरण पोषण एवं 1000 प्रति माह इलाज का प्रत्येक बेटे के हिसाब से देने का फैसला भी सुनाया था, लेकिन कलयुगी बेटो ने आज दिनांक तक करीब 5 माह से अपनी बुजुर्ग मां को भरण-पोषण और इलाज का एक रुपया भी नहीं दिया. फिलहाल अब इसी बात की शिकायत करने बुजुर्ग महिला कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंची.
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कलेक्टर से की राशि दिलवाने की मांग: कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंची बुजुर्ग महिला के तीन बेटे हैं, कोर्ट ने आदेश दिया था कि तीनों बेटे महिला को 3-3 हजार रुपए प्रतिमाह देंगे, लेकिन जनवरी से आज तक लड़कों ने मां को एक रुपया भी नहीं दिया. बुजुर्ग महिला की स्थिति खराब होती जा रही है, उनके पास भरण-पोषण के पैसे नहीं हैं, इसी बात से परेशान होकर एक बार फिर बुजुर्ग महिला मांगी बाई प्रशासनिक मदद के लिए जनसुनवाई में कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल के पास पहुंची. बुजुर्ग ने कलेक्टर को कोर्ट के आदेश की कॉपी एवं एक शिकायती आवेदन सौंपा और मांग की कि "कलेक्टर साहब.. मुझे सभी बेटों से बकाया राशि एक साथ दिलवाई जाए और आगे की राशि भी मुझे समय पर दिलवाई जाए."