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शाजापुर के राजराजेश्वरी मंदिर में लग रही भक्तों की भारी भीड़, दिन में तीन बार रुप बदलती हैं देवी

शाजापुर में राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थित है. जहां नवरात्रि के नौ दिनो में माता अपना रूप तीन बार बदलती है.

राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित
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Published : Oct 3, 2019, 8:20 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 8:39 AM IST

शाजापुर। शहर में स्थित राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थित है. नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ लग रही है. नवरात्र में नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है. शहर के आसपास के गांवों और दूर से भी लोग माता के दर्शन करने आते हैं.

राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित

माता राजराजेश्वरी मंदिर का निर्माण 1018 में राजा भोज के समय में हुआ. इस मंदिर के किनारे से शहर के बीचों-बीच निकलने वाली चिलर नदी निकलती है. जो इस मंदिर का आकर्षण बढ़ा देती है. इस मंदिर में स्थित माता की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक हैं.

यहां के पुजारी ने बताया कि माता इन 9 दिनों में अपना रूप तीन बार बदलती है जो माता की शक्ति का प्रमाण है. पुजारी ने बताया कि माता सती का शरीर भगवान शंकर लेकर जा रहे थे .तब उनका दाहिना पैर यहां पर गिरा तब से यह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है.

शाजापुर। शहर में स्थित राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थित है. नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ लग रही है. नवरात्र में नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है. शहर के आसपास के गांवों और दूर से भी लोग माता के दर्शन करने आते हैं.

राजराजेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित

माता राजराजेश्वरी मंदिर का निर्माण 1018 में राजा भोज के समय में हुआ. इस मंदिर के किनारे से शहर के बीचों-बीच निकलने वाली चिलर नदी निकलती है. जो इस मंदिर का आकर्षण बढ़ा देती है. इस मंदिर में स्थित माता की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक हैं.

यहां के पुजारी ने बताया कि माता इन 9 दिनों में अपना रूप तीन बार बदलती है जो माता की शक्ति का प्रमाण है. पुजारी ने बताया कि माता सती का शरीर भगवान शंकर लेकर जा रहे थे .तब उनका दाहिना पैर यहां पर गिरा तब से यह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है.

Intro:शाजापुर। शहर में स्थित राजराजेश्वरी मंदिर 1 शक्तिपीठ के रूप में स्थित है. माता सती का शरीर जब भगवान शंकर लेकर जा रहे थे तब उनका दाहिना पैर यहां पर गिरा तब से 1 शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है. यह मंदिर राजा भोज के समय 1018 में निर्मित हुआ.Body:




शहर में 1 शक्तिपीठ के रूप में राजराजेश्वरी मंदिर स्थित है. माता राजराजेश्वरी मंदिर का निर्माण 1018 में राजा भोज के समय में हुआ. इस मंदिर के किनारे से शहर के बीचों-बीच निकलने वाली चिलर नदी निकलती है. जो इस मंदिर का आकर्षण बढ़ा देती है. इस मंदिर में स्थित माता की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक हैं जो भक्तों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं.

यहां के मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता सती का शरीर भगवान शंकर लेकर जा रहे थे .तब उनका दाहिना पैर यहां पर गिरा तब से यह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण1018 ईसवी में राजा भोज के समय हुआ है.

नवरात्रि के समय यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है. नवरात्रि के 9 दिनों में माता के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है.
9 तरह के अलग-अलग वस्त्र विभिन्न प्रकार के पुष्प और इन 9 दिनों में माता को अलग-अलग प्रकार का भोग लगाया जाता है. यहां के पुजारी ने बताया कि माता इन 9 दिनों में अपना रूप तीन बार बदलती है जो माता की शक्ति का प्रमाण है.
शहर के आसपास के गांवों और दूर-दराज के लोग भी माता के दर्शन करने आते हैं.
Conclusion:



राजराजेश्वरी मंदिर 1 शक्तिपीठ के रूप में स्थापित


बाइट- मंदिर पुजारी मनमोहन शास्त्री जी
Last Updated : Oct 3, 2019, 8:39 AM IST
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