शाजापुर। अस्पताल में अव्यवस्था, लापरवाही अब रोज का काम बन चुका है. आज ऐसा ही मामला प्रकाश में आया, जिससे कई मरीजों का भविष्य संकट में आ सकता है. एक एड्स पीड़ित महिला को डिलीवरी के लिए सामान्य वार्ड में भर्ती किया गया. उसके बाद उसे लेबर रूम ले जाया गया, तब तक किसी को नहीं पता था कि महिला एड्स जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है. लेकिन जांच के बाद पता चला कि महिला एचआईवी पॉजीटिव है, फिलहाल अस्पताल प्रबंधन मामले को दबाने में और अपनी सफाई देने में लगा है. वहीं अब सवाल यह उठता है कि लेबर रूम में जो-जो इंस्ट्रूमेंट डिलीवरी के लिए उपयोग में लाए होंगे, उन इंस्ट्रूमेंट से यदि किसी दूसरी महिला की डिलीवरी की गई हो, तो इसे संक्रमण फैलने का डर है.
बाथरूम में हुई डिलीवरी, बाद में पता चला एड्स पीड़ित है महिला: जिला मुख्यालय के पास के गांव की रहने वाली 25 वर्षीय महिला को डिलीवरी के लिए शाजापुर जिला चिकित्सालय लाया गया था, जहां उसे लेबर रूम में ले जाया गया. लेकिन इस बीच महिला लेबर रूम से उठकर बाथरूम चली गई, जहां बाथरूम में ही उसकी डिलीवरी हो गई. बाथरूम में डिलीवरी होने के बाद अस्पताल के सफाईकर्मी और नर्सों ने उसे उठाया और वार्ड में भर्ती कराया. सवाल यह उठता है कि एड्स पीड़ित महिला को भर्ती करने के पहले अस्पताल प्रबंधन ने एचआईवी जांच क्यों नहीं कराई. साथ ही जिन सफाईकर्मी और नर्सों ने पीड़ित महिला की सहायता की, उनकी सुरक्षा का क्या?
मामले को दबाने में लगा अस्पताल प्रशासन: दरअसल अस्पताल में लगातार एक के बाद एक लापरवाही उजागर हो रही है, लेकिन प्रशासन ठोस कार्रवाई करने के बजाय हर लापरवाही के बाद जांच के नाम पर उसे दबा देता है. एचआईवी पीड़ित महिला की डिलीवरी के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया और अस्पताल प्रशासन मामले को दबाने के लिए नई-नई कहानी गढ़ रहा है. अब सवाल ये है कि जिस लेबर रूम में रोज डिलिवरियां होती है, महिला के वहां एडमिट होने के बाद वहां कितनी डिलीवरियां हुईं और कितने लोग महिला के संपर्क में आए, जो लोग इस घातक बीमारी के संक्रमित हो गए होंगे उनकी जान को होने वाले खतरे का जिम्मेदार कौन होगा?
मामले पर अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. राजू निदारिया ने बताया कि "एड्स पीड़ित महिला को लेबर रूम में जब ले जाया गया, जब उसने ये नहीं बताया था कि वह एचआईवी से संक्रमित है. इसके अलावा महिला अपने साथ पुरानी जांच की फाइल भी नहीं लाई थी. अब चल पता चला तो महिला को यूनिवर्सल प्रिकॉशन में रखा गया था, इसके अलावा बाछरूम को फिनाइल से साफ करा दिया गया है."
क्या सच में अस्पताल में है यूनिवर्सल प्रिकॉशन: फिलहाल सीएमएचओ की यह बात हजम होने लायक नहीं है कि महिला को यूनिवर्सल प्रिकॉशन में रखा गया है, क्योंकि जिस अस्पताल में इलाज के लिए छोटे-छोटे इंस्ट्रूमेंट नहीं है, वहां यूनिवर्सल प्रिकॉशन का तो सवाल ही नहीं उठता. इसके अलावा अगर महिला को यूनिवर्सल प्रिकॉशन में ले भी जाया गया तो लेबर रूम और बाथरूम को फ्यूमिगेशन क्यों नहीं किया गया. क्या फिनाइल से एचआईवी जैसे घातक कीटाणु मारे जा सकते हैं?