शाजापुर। केंद्र सरकार हर परिवार को पक्का मकान दिलाने का दम तो भरती है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना की हकीकत सरकारी दावों से बिल्कुल अलग है क्योंकि ज्यादातर जरूरतमंद आज भी आवास के लिए भटक रहे हैं. जिसके चलते आवेदक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
सिर पर छत के लिए पैरों में पड़ गये छाले, फिर भी जिम्मेदारों को नहीं आया तरस
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए एक दंपति पिछले पांच सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे अब तक आवास नहीं मिल सका है, जबकि महेश कैंसर से पीड़ित है और उसकी पत्नी दिव्यांग है.
आवास के लिए भटक रहे दंपति
शाजापुर। केंद्र सरकार हर परिवार को पक्का मकान दिलाने का दम तो भरती है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना की हकीकत सरकारी दावों से बिल्कुल अलग है क्योंकि ज्यादातर जरूरतमंद आज भी आवास के लिए भटक रहे हैं. जिसके चलते आवेदक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
Intro:शाजपुर।प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य आवास योजना का लाभ लेने के लिए गरीबी रेखा में आने वाले महेश कुमार दर-दर भटक रहे हैं. महेश कुमार जोकर मक्सी के रहने वाले हैं.Body:
सरकार की तमाम योजनाएं उन जरूरतमंद लोगों के लिए होती है. जो सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं .लेकिन नियमों के कुचक्र में योजनाएं उलझ कर रह जाती हैं .जोकर मक्सी के रहने वाले महेश कुमार जो अनुसूचित जाति में आते हैं .और बीपीएल कार्ड धारी भी हैं.महेश कुमार कैंसर से पीड़ित हैं और उनकी पत्नी विकलांग है .वह पिछले 5 सालों से आवास योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. महेश कुमार की सुनने वाला कोई नहीं है.
योजनाओं का लाभ आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना कठिन काम हैConclusion:
योजनाओं का लाभ आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना कठिन काम है
सरकार की तमाम योजनाएं उन जरूरतमंद लोगों के लिए होती है. जो सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं .लेकिन नियमों के कुचक्र में योजनाएं उलझ कर रह जाती हैं .जोकर मक्सी के रहने वाले महेश कुमार जो अनुसूचित जाति में आते हैं .और बीपीएल कार्ड धारी भी हैं.महेश कुमार कैंसर से पीड़ित हैं और उनकी पत्नी विकलांग है .वह पिछले 5 सालों से आवास योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. महेश कुमार की सुनने वाला कोई नहीं है.
योजनाओं का लाभ आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना कठिन काम हैConclusion:
योजनाओं का लाभ आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना कठिन काम है