शाजापुर। एक ओर जहां कोरोना वायरस की जांच को लेकर और इससे निजात पाने के लिए प्रशासन की तरफ से कई प्रयास किये जा रहे हैं वहीं जिला चिकित्सालय में कोरोना जांच को लेकर एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. बुधवार को यहां के एक मरीज की रिपोर्ट 1 महीने बाद आई है. जांच में व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया है. ये व्यक्ति जिला चिकित्सालय के जनरल वार्ड में पिछले 1 महीने से ड्यूटी भी दे रहा है. इस घटना से पूरे जिला चिकित्सालय में हड़कंप मच गया है.
जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में तैनात सफाईकर्मी का सैंपल 5 अप्रैल को भेजा गया था. जिसकी रिपोर्ट 5 मई को यानी कि 1 महीने बाद आई है. जांच में सफाईकर्मी कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया है. इस दौरान व्यक्ति आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी भी देता रहा और 10 किलोमीटर दूर जाकर परिजनों से भी मिलता रहा. जिसकी वजह से प्रशासन व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों की जांच में जुट गया है, ताकि उनको भी आइसोलेट किया जा सके.
शाजापुर जिला स्वास्थ्य परिवार एवं कल्याण अधिकारी डॉक्टर प्रकाश पंडित ने मामले को लेकर जिला प्रशासन की लापरवाही मानी है. उन्होंने कहा कि हम मामले की जांच कर रहे हैं. साथ ही आइसोलेशन वार्ड में तैनात सफाईकर्मी को आइसोलेट किया जा रहा है. इसके अलावा उसके संपर्क में आने वाले लोगों की भी पहचान करने के बाद आइसोलेट किया जाएगा और जांच के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी.
गाइडलाइन के अनुसार किसी भी व्यक्ति की रिपोर्ट 15 दिनों में आ जानी चाहिए. अगर को भी लैब 15 दिन में जांच के बाद रिपोर्ट नहीं देती है. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी आदेश है.
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि जब सफाईकर्मी कोरोना संदिग्ध था और उसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, तो इस दौरान वह ड्यूटी कैसे करता रहा. वहीं आईसीएमआर की गाइडलाइन की सरेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं. जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. रिपोर्ट की माने तो ये देश का पहला ऐसा मामला है जहां प्रशासन की लापरवाही की वजह से किसी कि रिपोर्ट 1 महीने बाद आई है.