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अनूठी परंपरा! शाजापुर में पड़वा पर गुर्जर समाज ऐसे करता है पूर्वजों की श्राद्ध - Shraddh tradition of Gujjar community in Maksi

शाजापुर जिले के मक्सी में गुर्जर समाज सालों से अनूठी परंपरा निभा रहा है, जिसमें दिवाली पड़वा पर गुर्जर समाज के लोग सामूहिक रूप से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं.

Maksi's Gurjar society performs Shradh on second day of Diwali
मक्सी में गुर्जर समाज की श्राद्ध परंपरा
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Published : Nov 15, 2020, 6:52 PM IST

शाजापुर। जिले के गुर्जर समाज की ओर से पिछले कई सालों से एक अनूठी परंपरा का निर्वाहन किया जा रहा है. जिसके अनुसार दिवाली की पड़वा पर गुर्जर समाज के लोग एकत्रित होकर अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं. इसी क्रम में रविवार को मक्सी के गुर्जर समाज के लोगों ने नगर के पास स्थित तालाब पर जाकर तर्पण किया.

दिवाली पड़वा के अवसर पर जहां सभी लोग माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वहीं मक्सी के गुर्जर समाज के लोग पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, जिसे तर्पण भी कहा जाता है. इसके लिए गुर्जर समाज के लोग अपने घर से पूजन सामग्री लेकर विशेष प्रकार का लोकगीत गाते हुए नदी या तालाब के पास पहुंचते हैं. जहां पर सभी लोग मिलकर पूजा-पाठ करके अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं.

इसके बाद एक विशेष प्रकार का पौधा जिसे ओजीझाड़ा कहते है, लेकर आते है और उसकी बेल बनाते है, जिसे बेलड़ी लगाना भी कहते है. फिर सभी लोग पानी में उतरकर एक कतार में लगते हैं, और अपने हाथों में पुड़ी और खीर ले लेते है. अंत में सभी लोग झुककर तीन बार पानी में हाथ की खीर पुड़ी को हिलाने के बाद एक साथ छोड़ देते है.

मांगतें है क्षमा

नदी में पूर्वजों के लिए खीर और पूड़ी छोडने के बाद सभी लोग हाथ जोड़कर अपने पूर्वजों से साल भर जाने अनजाने में हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हैं. समाज के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से पूर्वज उनके अपराधों को क्षमा कर देते हैं, और उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

शाजापुर। जिले के गुर्जर समाज की ओर से पिछले कई सालों से एक अनूठी परंपरा का निर्वाहन किया जा रहा है. जिसके अनुसार दिवाली की पड़वा पर गुर्जर समाज के लोग एकत्रित होकर अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं. इसी क्रम में रविवार को मक्सी के गुर्जर समाज के लोगों ने नगर के पास स्थित तालाब पर जाकर तर्पण किया.

दिवाली पड़वा के अवसर पर जहां सभी लोग माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वहीं मक्सी के गुर्जर समाज के लोग पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, जिसे तर्पण भी कहा जाता है. इसके लिए गुर्जर समाज के लोग अपने घर से पूजन सामग्री लेकर विशेष प्रकार का लोकगीत गाते हुए नदी या तालाब के पास पहुंचते हैं. जहां पर सभी लोग मिलकर पूजा-पाठ करके अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं.

इसके बाद एक विशेष प्रकार का पौधा जिसे ओजीझाड़ा कहते है, लेकर आते है और उसकी बेल बनाते है, जिसे बेलड़ी लगाना भी कहते है. फिर सभी लोग पानी में उतरकर एक कतार में लगते हैं, और अपने हाथों में पुड़ी और खीर ले लेते है. अंत में सभी लोग झुककर तीन बार पानी में हाथ की खीर पुड़ी को हिलाने के बाद एक साथ छोड़ देते है.

मांगतें है क्षमा

नदी में पूर्वजों के लिए खीर और पूड़ी छोडने के बाद सभी लोग हाथ जोड़कर अपने पूर्वजों से साल भर जाने अनजाने में हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हैं. समाज के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से पूर्वज उनके अपराधों को क्षमा कर देते हैं, और उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

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