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शाजापुर: बारिश में भीगकर किया अंतिम संस्कार, गांव में नहीं है मुक्तिधाम

शाजापुर के शेरपुरा गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण एक महिला के शव के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को झमाझम बारिश में भीगते हुए खासी परेशानियों से जूझना पड़ा.

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भीगकर किया अंतिम संस्कार
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Published : Jul 8, 2020, 2:11 PM IST

शाजापुर। सरकार विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही हाल बयां कर रहे हैं. सरकारी दावों की पोल खोलती शाजापुर से एक तस्वीर सामने आई है, जिले के कालापीपल में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण लोगों को बारिश में भीगकर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है. न सिर्फ उन्हें बारिश में भीगना पड़ा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानियों से जूझना पड़ा.

भीगकर किया अंतिम संस्कार

चद्दर लगाकर बारिश के बीच किया अंतिम संस्कार
मामला है कालापीपल के शेरपुरा गांव का, जहां महिला के अंतिम संस्कार के लिए गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण मृतक के परिजनों ने अस्थाई दो चद्दर लगाकर झमाझम बारिश के बीच महिला का अंतिम संस्कार किया. इस दौरान बारिश तेज होने के कारण शव के पास पानी भर गया, जिसे कड़ी मशक्कत कर अलग किया गया और फिर अंतिम संस्कार किया गया.

ग्राम पंचायत द्वारा आज तक गांव में एक भी शांतिधाम नहीं बनाया गया है, जबकि तीन साल पहले शांतिधाम के लिए शासकीय जमीन स्वीकृत है. शासन ने हर एक पंचायत को अनिवार्य रूप से शांतिधाम बनाने के निर्देश दिए थे, जिसके चलते आसपास के पंचायतों में तो जैसे- तैसे शांतिधाम बनवा दिया गया, लेकिन यहां पर सरंपच-सचिव की मनमानी कार्यप्रणाली के चलते आज तक निर्माण नहीं किया गया है.

ग्रामीणों ने बताया कि, पूरे गांव में एक भी मुक्तिधाम नहीं बनाया गया है. जिससे लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में काफी परेशानी होती है. गर्मी और ठंड के मौसम में तो जैसे-तैसे अंतिम संस्कार हो जाता है, लेकिन बारिश में अंतिम संस्कार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

वहीं इस पूरे मामले में कालापीपल के जनपद CEO सिद्धगोपाल वर्मा का कहना है कि, साल 2016-17 में तत्कालीन SDM गिरीश कुमार मिश्रा ने मुक्तिधाम के लिए जमीन आवंटित करवाई थी, लेकिन वहां तक जाने के लिए शासकीय जमीन नहीं है. इसके लिए किसानों से बात की गई थी, लेकिन किसानों ने जमीन देने से मना कर दिया. जिस कारण मुक्तिधाम का निर्माण नहीं हो पाया है.

शाजापुर। सरकार विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही हाल बयां कर रहे हैं. सरकारी दावों की पोल खोलती शाजापुर से एक तस्वीर सामने आई है, जिले के कालापीपल में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण लोगों को बारिश में भीगकर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है. न सिर्फ उन्हें बारिश में भीगना पड़ा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानियों से जूझना पड़ा.

भीगकर किया अंतिम संस्कार

चद्दर लगाकर बारिश के बीच किया अंतिम संस्कार
मामला है कालापीपल के शेरपुरा गांव का, जहां महिला के अंतिम संस्कार के लिए गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण मृतक के परिजनों ने अस्थाई दो चद्दर लगाकर झमाझम बारिश के बीच महिला का अंतिम संस्कार किया. इस दौरान बारिश तेज होने के कारण शव के पास पानी भर गया, जिसे कड़ी मशक्कत कर अलग किया गया और फिर अंतिम संस्कार किया गया.

ग्राम पंचायत द्वारा आज तक गांव में एक भी शांतिधाम नहीं बनाया गया है, जबकि तीन साल पहले शांतिधाम के लिए शासकीय जमीन स्वीकृत है. शासन ने हर एक पंचायत को अनिवार्य रूप से शांतिधाम बनाने के निर्देश दिए थे, जिसके चलते आसपास के पंचायतों में तो जैसे- तैसे शांतिधाम बनवा दिया गया, लेकिन यहां पर सरंपच-सचिव की मनमानी कार्यप्रणाली के चलते आज तक निर्माण नहीं किया गया है.

ग्रामीणों ने बताया कि, पूरे गांव में एक भी मुक्तिधाम नहीं बनाया गया है. जिससे लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में काफी परेशानी होती है. गर्मी और ठंड के मौसम में तो जैसे-तैसे अंतिम संस्कार हो जाता है, लेकिन बारिश में अंतिम संस्कार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

वहीं इस पूरे मामले में कालापीपल के जनपद CEO सिद्धगोपाल वर्मा का कहना है कि, साल 2016-17 में तत्कालीन SDM गिरीश कुमार मिश्रा ने मुक्तिधाम के लिए जमीन आवंटित करवाई थी, लेकिन वहां तक जाने के लिए शासकीय जमीन नहीं है. इसके लिए किसानों से बात की गई थी, लेकिन किसानों ने जमीन देने से मना कर दिया. जिस कारण मुक्तिधाम का निर्माण नहीं हो पाया है.

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