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World Animal Day 2022: स्ट्रीट डॉग्स की मददगार, जिसका इन्हें हर रोज रहता है इंतजार, जानिए ऐसा क्या करती है शहडोल की हिमांशी - वर्ल्ड एनिमल डे 2022

आज समय में जहां इंसान इंसानों की मदद करने जल्दी आगे नहीं बढ़ते, लेकिन शहडोल में एक लड़की हर रोज शहर के स्ट्रीट डॉग्स के खाने का सहारा बनी हुई है. हर शाम ये स्ट्रीट डॉग्स इस लड़की का इंतजार करते हैं. शाम होते ही हिमांशी स्कूटी लेकर खाना खिलाने निकल जाती है. इनकी मदद करने के लिए हिमांशी सोशल मीडिया का सहारा लिया है, जिसमें अपनी इच्छा से लोग मदद करते हैं. world animal day 2022, girl feed street dog everyday in shahdol, feed animals campaign start during corona period

Himanshi gives food to street dog
स्टीट डॉग्स की मददगार
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Published : Oct 3, 2022, 11:05 PM IST

Updated : Oct 4, 2022, 6:31 AM IST

शहडोल। वैसे तो शहडोल जिले में समाजसेवियों की कमी नहीं है, कोरोना काल के दौरान एक से एक समाजसेवी निकल कर सामने आए, लेकिन शहर के कुछ युवा ऐसे सेवा कार्य कर रहे हैं. जिसके बारे में जानने के बाद अब हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. इन युवाओं ने सेवा का ऐसा पुनीत कार्य करना शुरू किया, ना केवल काम को अंजाम देना शुरू किया. बल्कि एक सिस्टम भी बनाया, जिसके बाद साल दर साल यह सेवा जरूरतमंदों को अनवरत मिलती जा रही है. आज बात शहर के एक ऐसी ही युवा लड़की हिमांशी पटेल की जिसके काम के बारे में जानकर आप भी इनकी तारीफ करते नहीं थकेंगे. world animal day 2022, girl feed street dog everyday in shahdol

स्टीट डॉग्स की मददगार हिमांशी

शाम हुई नहीं, स्कूटी लेकर निकल पड़ती हैं हिमांशी: सूरज ढला नहीं, शाम हुई नहीं कि अपनी स्कूटी लेकर हर दिन हिमांशु पटेल शहर की सड़कों पर कॉलोनियों में घूमने लगती हैं. शहर के जितने भी स्ट्रीट डॉग्स हैं, लावारिस, लाचार, भूखे प्यासे स्ट्रीट डॉग्स हिमांशी का इंतजार जो करते रहते हैं, वजह है हिमांशी पटेल पिछले कुछ साल से लगातार शहर की गलियों में घूम-घूम कर इन्हें खाना जो उपलब्ध कराती हैं. अब तो स्थिति यह बन गई है कि हिमांशी की स्कूटी जिस गली से गुजरती है, यह स्ट्रीट डॉग उनके पीछे पीछे आने लगते हैं और बस खाने का इंतजार करने लगते हैं. हिमांशी के वहां पहुंचते ही स्ट्रीट डॉग्स और हिमांशी के बीच की जुगलबंदी देखकर उनके इस प्यार को समझा जा सकता है.

Himanshi gives food to street dog
स्ट्रीट डॉग्स का सहारा बनी हिमांशी

ढाई से साल पहले की इसकी शुरुआत:युवा हिमांशी पटेल जो कि शहडोल जिला मुख्यालय की ही रहने वाली हैं, वो बताती हैं कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन के समय से लगभग ढाई साल पहले इसकी शुरुआत की थी. इसके पीछे की वजह थी कि जब लॉकडाउन लगा तो इंसानों के लिए तो हर कोई किसी न किसी तरीके से खाना उपलब्ध करा रहा था, उनकी मदद भी कर रहा था, लेकिन जो शहर के स्ट्रीट डॉग्स थे उनकी कोई मदद नहीं कर रहा था. वो भूखे रहते थे एक-एक रोटी के लिए तरसते रहते थे. उनकी स्थिति उनसे देखा नहीं गया और उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. शहर में लॉकडाउन लगा था, लेकिन वो स्कूटी लेकर निकल जाती थीं और अपनी तरफ से जो भी मदद हो पाती थी वह करती थीं.

Himanshi gives food to street dog
स्ट्रीट डॉग को खाना देती हिमांशी

हर शाम स्ट्रीट डॉग्स को कराती हैं भोजन: हिमांशी पटेल बताती है कि वह शाम को 6 बजे खाना तैयार करके एक कंटेनर में लेकर अपनी स्कूटी से हर दिन शहर की गलियों में मोहल्लों में कॉलोनियों में निकल जाती हैं और स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराती हैं. हिमांशी पटेल के मुताबिक वो लगभग हर दिन 40 से 50 स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराती हैं. इतना ही नहीं जिन मोहल्लों में ज्यादा स्ट्रीट डॉग होते हैं, या की जिन घरों के आसपास ज्यादा ऐसे स्ट्रीट डॉग होते हैं, ऐसे कुछ घरों में भी वो भोजन उपलब्ध कराती हैं. जिससे उन लाचार बेबस स्ट्रीट डॉग्स को भोजन मिल सके. हिमांशी कहती हैं कि वो हर दिन शाम को 6 बजे से लेकर 8 बजे तक यह काम करती हैं.

world animal welfare day बेजुबानों का सहारा बन रहा 'इंसानियत' का 'आश्रम', एक दशक से जानवरों की सेवा में जुटे हैं भिंड के युवा


पहले खुद से खर्च किया अब मदद मिल जाती है: युवा हिमांशी पटेल बताती हैं कि शुरुआत में तो उन्होंने अपने खुद के जेब खर्च से इसकी शुरुआत की थी, उन्हें जो पॉकेट मनी मिलती थी. उसी से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी और वो इससे स्ट्रीट डॉग्स को बिस्किट खिलाया करती थी, लेकिन जब उन्हें लगा कि बिस्किट से उनका पेट नहीं भर पा रहा है, तो फिर वह ब्रेड खिलाना शुरू कर दी. इसके बाद उनके दिमाग में आया कि क्यों ना एक व्हाट्सएप ग्रुप बना दिया जाए और एक सोशल मीडिया फेसबुक में एक पेज बना दिया जाए और वह काम उन्होंने किया. व्हाट्सअप और फेसबुक पर फीडिंग हंगरी सोल्स के नाम से ग्रुप और पेज तैयार किया, तो उन्हें समाजसेवियों की भी मदद मिलने लग गई. अब वह उनकी मदद से हर दिन चावल जिसमें पेडिग्री मिलाती हैं और दूध मिलाती हैं, इन स्ट्रीट डॉग्स को इस तरह का फूड तैयार करके उपलब्ध कराती है. हिमांशी पटेल बताती है कि जो भी मदद समाजसेवी मदद करता है. उस ग्रुप में उन्हें जोड़कर उसका हिसाब भी देती हैं कि उस पैसे से क्या लेकर आईं क्या बनाई और बकायदे तस्वीरें भी उसमें डालती हैं जिससे फेयरनेस बनी रहे.

Himanshi gives food to street dog
जानवरों के लिए खाना निकालती हिमांशी

हर दिन का खर्च: हिमांशी पटेल बताती हैं कि अब हर दिन ऐसे स्ट्रीट डॉग्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. अब उन्हें हर दिन 500 से 600 के करीब खर्च करना पड़ता है, जिससे ऐसे स्ट्रीट डॉग्स का पेट भरा जा सके. हालांकि अब उनको समाजसेवियों की भी मदद मिल जाती है. जिससे वह इस नेक कार्य को कर पा रही हैं.

कुछ होटल वाले भी करते हैं मदद: हिमांशी पटेल बताती हैं कि लगातार उनके इस कार्य को करने के बाद अब शहर के कुछ होटल वाले भी उनकी मदद करने लग गए हैं और उन्हें कुछ रोटियों की सेवा देते हैं. वो हर दिन उन होटल्स में जाती हैं वो उन्हें 30-40 रोटियां दे देते हैं जिसे वह शहर के गायों को भी या यूं कहें कि गोवंश को खिलाते हैं.

आगे का लक्ष्य: गौरतलब है कि युवा समाजसेवी हिमांशी पटेल के इस नेक कार्य के बारे में जानने के बाद हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थकता है. अब आलम यह है कि लोग भी उनके इस नेक कार्य में मदद करने के लिए आगे बढ़कर शामिल हो रहे हैं, जिससे हिमांशी की भी हिम्मत इस सेवा कार्य को करने में बढ़ रही है, और वह भी उत्साहित होकर पिछले ढाई साल से इस कार्य को लगातार कर रही हैं हिमांशी पटेल कहती हैं कि वह अभी पीएससी की तैयारी कर रही हैं और अगर उन्हें भविष्य में सफलता मिलती है तो वह ऐसे पशुओं के लिए फिर चाहे स्ट्रीट डॉग्स हों या कोई दूसरे और पशु हों उनके लिए एक शेल्टर शुरू करना चाहती हैं, जहां उन्हें आश्रय दिया जा सके, उनका इलाज किया जा सके, उन्हें भोजन दिया जा सके, और उनकी सेवा की जा सके.(world animal day 2022) (girl feed street dog everyday in shahdol) (feed animals campaign start during corona period)

शहडोल। वैसे तो शहडोल जिले में समाजसेवियों की कमी नहीं है, कोरोना काल के दौरान एक से एक समाजसेवी निकल कर सामने आए, लेकिन शहर के कुछ युवा ऐसे सेवा कार्य कर रहे हैं. जिसके बारे में जानने के बाद अब हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. इन युवाओं ने सेवा का ऐसा पुनीत कार्य करना शुरू किया, ना केवल काम को अंजाम देना शुरू किया. बल्कि एक सिस्टम भी बनाया, जिसके बाद साल दर साल यह सेवा जरूरतमंदों को अनवरत मिलती जा रही है. आज बात शहर के एक ऐसी ही युवा लड़की हिमांशी पटेल की जिसके काम के बारे में जानकर आप भी इनकी तारीफ करते नहीं थकेंगे. world animal day 2022, girl feed street dog everyday in shahdol

स्टीट डॉग्स की मददगार हिमांशी

शाम हुई नहीं, स्कूटी लेकर निकल पड़ती हैं हिमांशी: सूरज ढला नहीं, शाम हुई नहीं कि अपनी स्कूटी लेकर हर दिन हिमांशु पटेल शहर की सड़कों पर कॉलोनियों में घूमने लगती हैं. शहर के जितने भी स्ट्रीट डॉग्स हैं, लावारिस, लाचार, भूखे प्यासे स्ट्रीट डॉग्स हिमांशी का इंतजार जो करते रहते हैं, वजह है हिमांशी पटेल पिछले कुछ साल से लगातार शहर की गलियों में घूम-घूम कर इन्हें खाना जो उपलब्ध कराती हैं. अब तो स्थिति यह बन गई है कि हिमांशी की स्कूटी जिस गली से गुजरती है, यह स्ट्रीट डॉग उनके पीछे पीछे आने लगते हैं और बस खाने का इंतजार करने लगते हैं. हिमांशी के वहां पहुंचते ही स्ट्रीट डॉग्स और हिमांशी के बीच की जुगलबंदी देखकर उनके इस प्यार को समझा जा सकता है.

Himanshi gives food to street dog
स्ट्रीट डॉग्स का सहारा बनी हिमांशी

ढाई से साल पहले की इसकी शुरुआत:युवा हिमांशी पटेल जो कि शहडोल जिला मुख्यालय की ही रहने वाली हैं, वो बताती हैं कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन के समय से लगभग ढाई साल पहले इसकी शुरुआत की थी. इसके पीछे की वजह थी कि जब लॉकडाउन लगा तो इंसानों के लिए तो हर कोई किसी न किसी तरीके से खाना उपलब्ध करा रहा था, उनकी मदद भी कर रहा था, लेकिन जो शहर के स्ट्रीट डॉग्स थे उनकी कोई मदद नहीं कर रहा था. वो भूखे रहते थे एक-एक रोटी के लिए तरसते रहते थे. उनकी स्थिति उनसे देखा नहीं गया और उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. शहर में लॉकडाउन लगा था, लेकिन वो स्कूटी लेकर निकल जाती थीं और अपनी तरफ से जो भी मदद हो पाती थी वह करती थीं.

Himanshi gives food to street dog
स्ट्रीट डॉग को खाना देती हिमांशी

हर शाम स्ट्रीट डॉग्स को कराती हैं भोजन: हिमांशी पटेल बताती है कि वह शाम को 6 बजे खाना तैयार करके एक कंटेनर में लेकर अपनी स्कूटी से हर दिन शहर की गलियों में मोहल्लों में कॉलोनियों में निकल जाती हैं और स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराती हैं. हिमांशी पटेल के मुताबिक वो लगभग हर दिन 40 से 50 स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराती हैं. इतना ही नहीं जिन मोहल्लों में ज्यादा स्ट्रीट डॉग होते हैं, या की जिन घरों के आसपास ज्यादा ऐसे स्ट्रीट डॉग होते हैं, ऐसे कुछ घरों में भी वो भोजन उपलब्ध कराती हैं. जिससे उन लाचार बेबस स्ट्रीट डॉग्स को भोजन मिल सके. हिमांशी कहती हैं कि वो हर दिन शाम को 6 बजे से लेकर 8 बजे तक यह काम करती हैं.

world animal welfare day बेजुबानों का सहारा बन रहा 'इंसानियत' का 'आश्रम', एक दशक से जानवरों की सेवा में जुटे हैं भिंड के युवा


पहले खुद से खर्च किया अब मदद मिल जाती है: युवा हिमांशी पटेल बताती हैं कि शुरुआत में तो उन्होंने अपने खुद के जेब खर्च से इसकी शुरुआत की थी, उन्हें जो पॉकेट मनी मिलती थी. उसी से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी और वो इससे स्ट्रीट डॉग्स को बिस्किट खिलाया करती थी, लेकिन जब उन्हें लगा कि बिस्किट से उनका पेट नहीं भर पा रहा है, तो फिर वह ब्रेड खिलाना शुरू कर दी. इसके बाद उनके दिमाग में आया कि क्यों ना एक व्हाट्सएप ग्रुप बना दिया जाए और एक सोशल मीडिया फेसबुक में एक पेज बना दिया जाए और वह काम उन्होंने किया. व्हाट्सअप और फेसबुक पर फीडिंग हंगरी सोल्स के नाम से ग्रुप और पेज तैयार किया, तो उन्हें समाजसेवियों की भी मदद मिलने लग गई. अब वह उनकी मदद से हर दिन चावल जिसमें पेडिग्री मिलाती हैं और दूध मिलाती हैं, इन स्ट्रीट डॉग्स को इस तरह का फूड तैयार करके उपलब्ध कराती है. हिमांशी पटेल बताती है कि जो भी मदद समाजसेवी मदद करता है. उस ग्रुप में उन्हें जोड़कर उसका हिसाब भी देती हैं कि उस पैसे से क्या लेकर आईं क्या बनाई और बकायदे तस्वीरें भी उसमें डालती हैं जिससे फेयरनेस बनी रहे.

Himanshi gives food to street dog
जानवरों के लिए खाना निकालती हिमांशी

हर दिन का खर्च: हिमांशी पटेल बताती हैं कि अब हर दिन ऐसे स्ट्रीट डॉग्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. अब उन्हें हर दिन 500 से 600 के करीब खर्च करना पड़ता है, जिससे ऐसे स्ट्रीट डॉग्स का पेट भरा जा सके. हालांकि अब उनको समाजसेवियों की भी मदद मिल जाती है. जिससे वह इस नेक कार्य को कर पा रही हैं.

कुछ होटल वाले भी करते हैं मदद: हिमांशी पटेल बताती हैं कि लगातार उनके इस कार्य को करने के बाद अब शहर के कुछ होटल वाले भी उनकी मदद करने लग गए हैं और उन्हें कुछ रोटियों की सेवा देते हैं. वो हर दिन उन होटल्स में जाती हैं वो उन्हें 30-40 रोटियां दे देते हैं जिसे वह शहर के गायों को भी या यूं कहें कि गोवंश को खिलाते हैं.

आगे का लक्ष्य: गौरतलब है कि युवा समाजसेवी हिमांशी पटेल के इस नेक कार्य के बारे में जानने के बाद हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थकता है. अब आलम यह है कि लोग भी उनके इस नेक कार्य में मदद करने के लिए आगे बढ़कर शामिल हो रहे हैं, जिससे हिमांशी की भी हिम्मत इस सेवा कार्य को करने में बढ़ रही है, और वह भी उत्साहित होकर पिछले ढाई साल से इस कार्य को लगातार कर रही हैं हिमांशी पटेल कहती हैं कि वह अभी पीएससी की तैयारी कर रही हैं और अगर उन्हें भविष्य में सफलता मिलती है तो वह ऐसे पशुओं के लिए फिर चाहे स्ट्रीट डॉग्स हों या कोई दूसरे और पशु हों उनके लिए एक शेल्टर शुरू करना चाहती हैं, जहां उन्हें आश्रय दिया जा सके, उनका इलाज किया जा सके, उन्हें भोजन दिया जा सके, और उनकी सेवा की जा सके.(world animal day 2022) (girl feed street dog everyday in shahdol) (feed animals campaign start during corona period)

Last Updated : Oct 4, 2022, 6:31 AM IST
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