शहडोल। मध्य प्रदेश में खरीफ फसल का सीजन अब आखिरी दौर में हैं. लिहाजा किसान अब फसल कांटने की तैयारियों में जुटे हैं. बारिश से किसी किसान की फसल बर्बाद हो गई. तो किसी फसल अच्छी भी हुई है. लिहाजा इस बार कहीं खुशी कहीं गम जैसा माहौल है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जाना कि आखिर इस बार खरीफ सीजन की खेती किसानों के लिए कैसी रही? क्या समय पर कीटनाशक किसानों को मिले और समय पर खाद मिला या नहीं.
शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. इसके अलावा सोयाबीन, उड़द, मूंग, तिल, अरहर इन फसलों को भी खेतों में लगाया जाता है, लेकिन इनकी बोवनी कम होती है. मौजूदा साल शहडोल जिले में मक्का के रकबे में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं सोयाबीन के रकबे में कमी आई है.
जिले में खरीफ की कौन सी फसल कितने रकबे में
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि जिले में खरीफ की फसलों का टोटल रकबा 1 लाख 99 हजार हेक्टेयर का है, जिसमें सबसे ज्यादा धान का 1 लाख 64 हजार 200 हेक्टेयर का रकबा है. इसी तरह सोयाबीन का रकबा 31 हेक्टेयर है. मक्के का रकबा 14 हजार 900 हेक्टेयर का है. इस साल मक्के की रकबे में बढ़ोतरी हुई है, वहीं उड़द का रकबा लगभग 7 हजार हेक्टेयर का है. खरीफ की जो दलहनी फसलें हैं वह सामान्यता वर्तमान में सोयाबीन उड़द, मूंग और तिल है.
शहडोल जिला आदिवासी बहुल है, जहां छोटे, मझोले किसान ज्यादा तादात में पाए जाते हैं, जो सीजनल खेती करते हैं और खासकर खरीफ सीजन की खेती यहां ज्यादा तादात में की जाती है, क्योंकि शहडोल जिले में अधिकतर किसान वर्षा पर आश्रित होकर खेती करते हैं, क्योंकि उनके खेतों में सिंचाई के साधन नहीं हैं. ऐसे में शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. इसके अलावा सोयाबीन, उड़द, मूंग, तिल, अरहर इन फसलों को भी खेतों में लगाया जाता है, लेकिन इनकी तादाद कम होती है. मौजूदा साल शहडोल जिले में मक्का के रकबे में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं सोयाबीन के रकबे में कमी आई है.
किसान बोले धान की फसल अच्छी
इतना ही नहीं हम कई किसानों के पास भी पहुंचे, उनके खेतों में पहुंचे और उनकी धान की फसलों और खरीफ सीजन के दूसरे फसलों के हालात भी जाने, किसानों का कहना है कि बारिश के होने की वजह से जो किसानों ने दलहन की फसलें जैसे उड़द, तिल, मूंग, दाल इन की कटाई देरी से की थी, जिससे नुकसान हुआ और धान की फसल की बात करें तो धान की फसल की पैदावार इस बार अच्छी है.
किसान दउआ बैगा जो बहुत थोड़े से जमीन पर खेती करते हैं वह बताते हैं कि उर्वरक और कीटनाशक को लेकर जो पहले बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन मौजूदा साल ऐसा नहीं रहा, सब कुछ समय से मिल गया और धान की फसलों में भी बहुत ज्यादा कीट व्याधि रोग नहीं लगे.
किसानों का कहना है कि इस बार धान की फसल भी अच्छी है और इस बार कोई दिक्कत भी ज्यादा नहीं आई है और जो आखिरी बारिश हो गई है, उससे धान की खेती करने वाले काफी खुश भी नजर आए, क्योंकि अपने जिले में धान का रकबा बहुत ज्यादा तादात में है और धान की फसल की खेती छोटे से लेकर बड़े तक करता है.