शहडोल। आज देश भले ही 21वीं सदी में पहुंच गया हो, लेकिन जिले के कुछ आदिवासी बहुल गांव ऐसे हैं, जहां ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. देश को आजाद हुए 7 दशक हो गए, लेकिन आज तक इन गांवों में बिजली नहीं पहुंची. यहां के ग्रामीण आज भी बिजली के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
अंधेरे में रहना, इच्छा या मजबूरी?
आज भी जैतपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जिला मुख्यालय से करीब 70 से 80 किलोमीटर दूर केशवाही के पास बसे कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोगों को बिना बिजली के जिंदगी बसर करना मजबूरी है. यहां के ग्रामीण आज भी बिना बिजली के जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इनकी समस्याओं के बारे में जनप्रतिनिधि और प्रशासन को पता नहीं, लेकिन कोई सुध लेने के लिए तैयार नहीं है. लोगों की माने तो हर गांव की आबादी अच्छी खासी है, लेकिन अब तक यहां बिजली नहीं पहुंची.
इन गांवों में नहीं है बिजली
तराई डोल के ग्रामीण बताते हैं कि, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत केशवाही से लगे हुए कई गांव में बिजली नहीं है. जिनमें केशव डोल, तराई डोल, कोरकुटी डोल, चिरईपानी, कोटि, ठुनमुन डोल, अमली टोला, कोठरा, सगरा टोला, कनौजा डोल, अतरौठी, कछार, नवाटोला शामिल है. आलम यह है कि ग्रामीण अंधेरे में जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं.
बिन बिजली बड़ी समस्या
ग्रामीणों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि बिना बिजली के गांव का विकास कैसे हो. इतना ही नहीं, बिजली सप्लाई नहीं होने से एक सीजन की खेती भी नहीं हो पा रही है. सिंचाई का साधन नहीं है. अगर बिजली हो, तो खेती भी अच्छे से हो सकेगी.
बिजली के नाम पर पैसों की ठगी
केशव ढोल गांव की रहने वाली एक महिला बताती हैं कि, बिजली के बिना बड़ी समस्या होती है. आलम यह है कि, कुछ लोगों ने बिजली लगवाने का आश्वासन दिया, तो कुछ लोग पैसा लेकर चले गए, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.