शहडोल। शुक्रवार 19 मई को वट सावित्री का व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है. इस दिन को काफी विशेष माना गया है, क्योंकि इस विशेष दिन सौभाग्यवती महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. वट सावित्री के दिन जो भी सौभाग्यवती महिलाएं ये पूजा करती हैं उन्हें विशेष फल मिलता है. उनके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं और उन्हे विशेष लाभ के साथ ही ईश्वर से सदा सुहागन होने का आशिर्वाद मिलता है. महिलाएं पति के दीर्घायु होने की कामना कर ये व्रत करती हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "वट सावित्री व्रत जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन मनाया जाता है. 19 मई को वट सावित्री व्रत का विशेष दिन इस बार पड़ रहा है.
वट सावित्री व्रत के दिन करें ये विशेष काम: इस दिन सुबह महिलाएं स्नान करके थाली में पूजन की सामग्री सजाकर एक लोटा जल लेकर किसी वटवृक्ष के पास जातीं हैं. इसके बाद यहां पर पहले वट वृक्ष में जल डालकर उन्हें स्नान कराएं फिर टीका लगाएं, फूल चढ़ाएं, भोग चढ़ाएं. इसके बाद सफेद धागा कच्चा सूत वृक्ष के चारों ओर 108 बार लपेट दें. फिर हाथ जोड़कर भगवान के सामने प्रार्थना करें. ऐसा करने से विशेष लाभ होता है. महिलाएं सौभाग्यवती होती हैं. उन्हें शुभ फल मिलता है. (Samagri List for Vat Savitri Puja)
क्यों विशेष है वट सावित्री का दिन: वट सावित्री व्रत को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "शास्त्रों में वर्णन है की सावित्री अपने पति की रक्षा के लिए वटवृक्ष के नीचे जाकर तपस्या कर रही थी. सावित्री को पता था कि उसके पति की आज आखिरी तारीख है और मृत्यु हो जाएगी. जैसे ही यमराज वहां पहुंचे सावित्री के तप को देखकर काफी खुश हुए और उन्हें वरदान दिया की जाओ तुम्हारे पति की उम्र बढ़ेगी तुम सौभग्यवती रहोगी. इतना ही नहीं जो भी सौभाग्यवती महिलाएं कृष्ण पक्ष अमावस्या के इस विशेष दिन वट वृक्ष के नीचे जाकर विधिवत पूजा पाठ करेंगी उनके पति की उम्र बढ़ेगी, वो सौभग्यवती होंगी." (Vat Savitri Vrat Pujan Vidhi)
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वटवृक्ष में कौन से भगवान का होता है वास: इस कलयुग में इसे पूर्ण तपस्या मानी जाती है. यमराज का भय नहीं होता है, अकस्मात मृत्यु नहीं मानी जाती है और न ही अकस्मात मृत्यु होती है. इसलिए महिलाओं को विशेषकर चाहिए की सुबह वट वृक्ष के नीचे पहुंचकर पूजन करें, जितनी बार धागा लपेटें उतनी बार प्रार्थना भी करें क्योंकि उस दिन वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का ही वास होता है. ब्रम्हा जी रचना करते हैं, विष्णु जी भोजन की व्यवस्था करते हैं और शिव जी संहार करते हैं. इसी वजह से तीनों देवताओं का वहां निवास होता है.
ऐसी महिलाएं करें पूजन: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि "वट सावित्री के दिन जो महिलाएं सौभाग्यवती होती हैं वो पूजन करती हैं. वहीं जिनकी उम्र 18 साल से ऊपर होती है जिनका विवाह नहीं भी हुआ होता है वैसी लड़कियां भी वटवृक्ष के पास जाकर विधिवत पूजन करती हैं. कुंवारी लड़कियां मनचाहा पति की प्राप्ति और जल्दी विवाह के लिए ये पूजन करती हैं.