शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी जिले के अंतर्गत आता है और यहां जिले के अधिकतर लोग गांवों में बसते हैं. गांव की सुबह मुर्गे की आवाज के साथ ही जाती है. कोरोना वायरस से लोगों की सुरक्षा के लिहाज से लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. काम-धंधे सब ठप पड़े हैं.
रोजगार नहीं होने से रोज कमाकर खाने वाले ग्रामीण आदिवासियों के लिए रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. गांवों में इन दिनों अधिकतर ग्रामीण आदिवासी टाइम पास करते नजर आ रहे हैं.
पहले ये आदिवासी शहर जाकर काम कर लेते थे, लेकिन शहर के रास्ते फिलहाल कब खुलेंगे कोई नही जानता. काम नहीं होने की वजह से ये आदिवासी अपने पुराने अंदाज में तालाबों में मछलियां पकड़ते नजर आ रहे हैं.
बेरोजगारी में मछली पकड़कर निकाल रहे टाइम
ग्रामीण आदिवासियों की ये परंपरा रही है कि वो टाइम पास के लिए तालाब या फिर किसी भी नदी में मछलियां पकड़ने के लिए बंशी (मछली पकड़ने का हथियार) लगाते हैं. बंसी लगाकर मछली पकड़ना भी एक कला होती है.
आदिवासी खाली समय में मछलियां पकड़ना काफी पसंद करते हैं. इस दौरान उन्हें तालाब के पास घंटों बैठे रहना पड़ता है. इन ग्रामीण आदिवासियों का कहना है कि क्या करें साहब बेरोजगार हैं, सब काम बंद होने से घर पर ही रहते हैं.
जब कुछ काम नहीं है तो तालाब में आकर बंशी ही लगाकर तालाब किनारे बैठे रहते हैं. इससे समय भी कट जाता है और कुछ मछलियां भी पकड़ लेते हैं, जिससे रात को खाने का इंतजाम भी हो जाता है.
डॉक्टरों ने कोरोना में पोषक आहार लेने के लिए कहा है, तो मछली से बेहतर पोषक आहार क्या हो सकता है.
क्या है बंशी, इससे कैसे पकड़ते हैं मछली ?
बंशी आदिवासियों का मछली पकड़ने का एक अस्त्र है. जिसमें बांस के डंडी में तांत के धागे और पिन को लगाकर बनाया जाता है. फिर पिन में आटा या फिर केंचुए को लगाकर पानी में डाला जाता है.
मछली लालच में आकर केंचुए को खाने के लिए आती है और कांटे में फंस जाती है. इस प्रक्रिया से मछली पकड़ने में समय तो लगता है, लेकिन मछली भी मिल जाती है. ये आदिवासी इस तरह कई घंटे गुजार देते हैं.
आज से करीब 10 से 15 साल पहले ऐसा नजारा काफी देखने को मिलता था. ग्रामीण घंटों बंशी लगाकर मछली पकड़ने में समय गुजार देते थे. लेकिन बदलते वक्त के साथ इन ग्रामीण आदिवसियों में भी बदलाव आ गया.
वो हर दिन कमाकर खाने के लिए अलग-अलग शहरों में काम करने लगे. इस वजह से तालाब सूने हो गए और बंशी लगाकर मछली पकड़ने वालों की संख्या कम होती गई. लेकिन अब एक बार फिर कोरोना महामारी में वो दौर वापस आते दिख रहा है.