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मेडिकल कॉलेज में लड़खड़ा रही व्यवस्थाएं, डीन ने कही बड़ी बात

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Published : Apr 18, 2021, 4:17 AM IST

एक ओर शहडोल मेडिकल कॉलेज स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर संभाग में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की वजह से स्थिति अब भयावह होती जा रही है. मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि कॉलेज में संसाधन से लेकर डॉक्टरों की भी कमी है.

Shahdol Medical College
शहडोल मेडिकल कॉलेज

शहडोल। संभाग में कोरोना का कहर लगातार जारी है. शहडोल जिले में भी पिछले कुछ दिन से लगातार हर दिन नए-नए करोना संक्रमितों की संख्या 100 के पार ही जा रही है. जिसके बाद भय का माहौल बन गया है. वहीं शहडोल मेडिकल कॉलेज में भी दबाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि शहडोल मेडिकल कॉलेज में शहडोल जिले के कोरोना के मरीजों का इलाज तो होता ही है, साथ ही अनूपपुर और उमरिया जिले के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं. इन जिलों के अलावा भी आसपास के इलाकों के मरीज यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज में लड़खड़ा रही व्यवस्थाएं
  • लड़खड़ा रही मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था

मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं भी लड़खड़ाती नजर आ रही हैं. मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे मरीज अपने परिजनों को हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत भी कर रहे हैं. अब इन बिगड़ते हालातों के बीच शहडोल मेडिकल कॉलेज ने भी अपनी परेशानी जाहिर कर दी है. मेडिकल कॉलेज में मानव संसाधनों की भारी कमी है. मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी है, जिससे इलाज में दिक्कत हो रही है.

  • स्टाफ की कमी से जूझ रहा मेडिकल कॉलेज

शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मलिंद शिरालकर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में जिस तरह से कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उसे देखते हुए मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की भारी कमी है. डीन के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में यहां अभी वार्ड ब्वॉय की कमी है, नर्सेज की कमी है. जिससे मरीज को अटैंड करने में भी समय लग रहा है. इसक अलावा सिक्योरिटी की कमी है.

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  • 30 नर्स की आवश्यक्ता, मौजूद है सिर्फ 6

मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में अभी लगभग 240 कोरोना के मरीज एडमिट हैं. हमारे यहां अभी टोटल 52 नर्सेज हैं. मरीजों की इतनी संख्या को देखते हुए हमें ड्यूटी के लिए जहां कम से कम 25 से 30 नर्स चाहिए वहां चार से 6 नर्स काम कर रही हैं. क्योंकि उनसे भी हमें रोटेशन में काम करवाना होता है. देखा जाए तो आईसीयू में हर तीन मरीज पर एक नर्स होना चाहिए, लेकिन हमारी स्थिति ये है कि जहां करीब 60 मरीज भर्ती हैं, उसमें एट ए टाइम 6 नर्स काम कर रही हैं.

  • डॉक्टर्स की भी है कमी

डीन मलिंद शिरालकर ने आगे कहा कि शहडोल मेडिकल कॉलेज में अभी भी डॉक्टर्स की कमी है, क्योंकि हमें कुछ डॉक्टर रिजर्व पर इस हिसाब से रखना पड़ता है कि अगर हमारे यहां कोई डॉक्टर संक्रमित हो जाए तो फिर देखने वाला कौन रहेगा. डॉक्टर्स की समस्या से भी हम लोग जूझ रहे हैं. यहा तो ऐसा है कि 10 मरीज के पीछे एक डॉक्टर चाहिए, जो प्रॉपर राउंड ले सके और उनकी उचित देखभाल कर सके. लेकिन यहां ऐसा पॉसिबल ही नहीं, क्योंकि हमारे पास स्टाफ की कमी है.

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  • 253 स्टाफ नर्स चाहिए, 15 ही मिलीं

मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स के साथ-साथ सपोर्टिंग स्टाफ की भी कमी है. 253 स्टाफ नर्स चाहिए, लेकिन 15 मिली है. वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में डीन को मिलाकर 88 चिकित्सक हैं. जबकि 130 पद स्वीकृत हैं. इनमें तीन ही मेडिकल विशेषज्ञ हैं. निश्चेतना के दो चिकित्सक पदस्थ हैं. लेकिन एक मातृत्व अवकाश पर हैं. श्वांस रोग विशेषज्ञ एक ही हैं, एक्सरे में कोई नहीं है, कम्युनिटी मेडिकल ऑफिसर सीएमओ के 20 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 10 ही पदस्थ हैं. जूनियर रेजीडेंट 82 चाहिए, लेकिन तीन ही कार्यरत हैं. सीनियर रेजीडेंट 52 चाहिए सिर्फ 14 कार्यरत हैं. एक तरह से देखा जाए तो कम संसाधनों में डॉक्टर्स काम कर रहे हैं.

  • 604 बेड की बनाई जा रही व्यवस्था

शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरालकर ने बताया कि 604 बेड की व्यवस्था बनाई जा रही है. इसमें एचडीयू और आईसीयू के 60 बेड को बढ़ाकर 100 करना है. ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 90 बेड को बढ़ाकर 303 करना है. इसी तरह से जनरल आइसोलेशन वाले 100 बेड को 200 करना है.

शहडोल। संभाग में कोरोना का कहर लगातार जारी है. शहडोल जिले में भी पिछले कुछ दिन से लगातार हर दिन नए-नए करोना संक्रमितों की संख्या 100 के पार ही जा रही है. जिसके बाद भय का माहौल बन गया है. वहीं शहडोल मेडिकल कॉलेज में भी दबाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि शहडोल मेडिकल कॉलेज में शहडोल जिले के कोरोना के मरीजों का इलाज तो होता ही है, साथ ही अनूपपुर और उमरिया जिले के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं. इन जिलों के अलावा भी आसपास के इलाकों के मरीज यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज में लड़खड़ा रही व्यवस्थाएं
  • लड़खड़ा रही मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था

मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं भी लड़खड़ाती नजर आ रही हैं. मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे मरीज अपने परिजनों को हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत भी कर रहे हैं. अब इन बिगड़ते हालातों के बीच शहडोल मेडिकल कॉलेज ने भी अपनी परेशानी जाहिर कर दी है. मेडिकल कॉलेज में मानव संसाधनों की भारी कमी है. मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी है, जिससे इलाज में दिक्कत हो रही है.

  • स्टाफ की कमी से जूझ रहा मेडिकल कॉलेज

शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मलिंद शिरालकर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में जिस तरह से कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उसे देखते हुए मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की भारी कमी है. डीन के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में यहां अभी वार्ड ब्वॉय की कमी है, नर्सेज की कमी है. जिससे मरीज को अटैंड करने में भी समय लग रहा है. इसक अलावा सिक्योरिटी की कमी है.

नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, रात भर में 10 से ज्यादा की मौत

  • 30 नर्स की आवश्यक्ता, मौजूद है सिर्फ 6

मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में अभी लगभग 240 कोरोना के मरीज एडमिट हैं. हमारे यहां अभी टोटल 52 नर्सेज हैं. मरीजों की इतनी संख्या को देखते हुए हमें ड्यूटी के लिए जहां कम से कम 25 से 30 नर्स चाहिए वहां चार से 6 नर्स काम कर रही हैं. क्योंकि उनसे भी हमें रोटेशन में काम करवाना होता है. देखा जाए तो आईसीयू में हर तीन मरीज पर एक नर्स होना चाहिए, लेकिन हमारी स्थिति ये है कि जहां करीब 60 मरीज भर्ती हैं, उसमें एट ए टाइम 6 नर्स काम कर रही हैं.

  • डॉक्टर्स की भी है कमी

डीन मलिंद शिरालकर ने आगे कहा कि शहडोल मेडिकल कॉलेज में अभी भी डॉक्टर्स की कमी है, क्योंकि हमें कुछ डॉक्टर रिजर्व पर इस हिसाब से रखना पड़ता है कि अगर हमारे यहां कोई डॉक्टर संक्रमित हो जाए तो फिर देखने वाला कौन रहेगा. डॉक्टर्स की समस्या से भी हम लोग जूझ रहे हैं. यहा तो ऐसा है कि 10 मरीज के पीछे एक डॉक्टर चाहिए, जो प्रॉपर राउंड ले सके और उनकी उचित देखभाल कर सके. लेकिन यहां ऐसा पॉसिबल ही नहीं, क्योंकि हमारे पास स्टाफ की कमी है.

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  • 253 स्टाफ नर्स चाहिए, 15 ही मिलीं

मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स के साथ-साथ सपोर्टिंग स्टाफ की भी कमी है. 253 स्टाफ नर्स चाहिए, लेकिन 15 मिली है. वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में डीन को मिलाकर 88 चिकित्सक हैं. जबकि 130 पद स्वीकृत हैं. इनमें तीन ही मेडिकल विशेषज्ञ हैं. निश्चेतना के दो चिकित्सक पदस्थ हैं. लेकिन एक मातृत्व अवकाश पर हैं. श्वांस रोग विशेषज्ञ एक ही हैं, एक्सरे में कोई नहीं है, कम्युनिटी मेडिकल ऑफिसर सीएमओ के 20 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 10 ही पदस्थ हैं. जूनियर रेजीडेंट 82 चाहिए, लेकिन तीन ही कार्यरत हैं. सीनियर रेजीडेंट 52 चाहिए सिर्फ 14 कार्यरत हैं. एक तरह से देखा जाए तो कम संसाधनों में डॉक्टर्स काम कर रहे हैं.

  • 604 बेड की बनाई जा रही व्यवस्था

शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरालकर ने बताया कि 604 बेड की व्यवस्था बनाई जा रही है. इसमें एचडीयू और आईसीयू के 60 बेड को बढ़ाकर 100 करना है. ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 90 बेड को बढ़ाकर 303 करना है. इसी तरह से जनरल आइसोलेशन वाले 100 बेड को 200 करना है.

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