शहडोल। कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल इन दिनों सुर्खियों में है, वजह है सिलसिलेवार तरीके से 18 बच्चों की मौत. पहले 4 फिर 6 बच्चे और धीरे-धीरे बढ़ता यह आंकड़ा 26 नवंबर से 7 दिसंबर तक 18 तक पहुंच गया. मामले में राजनीती आने के कारण आखिर में कुछ दिन बाद ही सही लेकिन स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को जिला अस्पताल भी आना पड़ा और शहडोल जिला अस्पताल का निरीक्षण कर जांच के लिए आदेश देना पड़ा, जिसके बाद सीएमएचओ डॉक्टर राजेश पांडे और सिविल सर्जन वीएस बारिया को हटाने के निर्देश भी जारी किए गए, लेकिन सवाल उठता है कि जब मंत्री ने सिविल सर्जन और सीएमएचओ को क्लीन चिट दी तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों.
जब अस्पताल निरीक्षण करने पहुंचे मंत्री
बच्चों की मौत की खबरें के बाद भोपाल से शहडोल जांच दल भेजा गया. आखिर में 8 दिसंबर को खुद स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी को शहडोल पहुंचे, जहां शहडोल जिला अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने डॉक्टर, अस्पताल और बच्चों के इलाज को पूरी तरह से सही और गाइडलाइन के मुताबिक बताया और पूर्व में जांच के लिए आई टीम की रिपोर्ट का हवाला देकर अस्पताल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी.
सवालों में मंत्री के निर्देश
मंत्री प्रभुराम चौधरी के निरीक्षण के कुछ ही घंटे बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि जाते-जाते मंत्री ने सीएमएचओ और सिविल सर्जन को हटाने के निर्देश दे दिए. अब यही बात कई सवाल खड़े कर रही है. आखिर ऐसा इन कुछ घंटों में क्या हुआ जो स्वास्थ्य मंत्री के सुर बदल गए और उन्होंने यह फैसला ले लिया. क्या किसी दबाव में यह फैसला किया गया, क्या यह फैसला राजनीतिक है. यह फैसला किसी के भी गले नहीं उतर रहा है.
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कांग्रेस ने फिर लगाए आरोप
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय अवस्थी ने स्वास्थ्य मंत्री के दौरे पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बड़ा ही निराशाजनक दौरा था. अजय अवस्थी ने कहा कि जब स्वास्थ्य मंत्री किसी की गलती नहीं मानते हैं तो फिर बयानों में ही यह मतांतर क्यों. सिविल सर्जन और सीएमएचओ क्यों हटाया गया. अजय अवस्थी ने कहा कि पहले दिन से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही थी. इन्हें पहले दिन से हटाना चाहिए था. स्वास्थ्य मंत्री के बयानों में मतांतर और उनकी कार्यशैली में भी मतांतर था. उनके शहडोल आने से स्वास्थ्य विभाग को कोई लाभ नहीं.
निरीक्षण के बाद क्या बोले मंत्री
जब स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी से उनके एक्शन के बारे में पूछा गया कि आखिर इस मामले को लेकर उन्होंने क्या एक्शन लिया तो, उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण करने के तुरंत बाद यही कहा कि 20 बेड एसएनसीयू जिला चिकित्सालय में बढ़ाया, दो एंबुलेंस की सुविधा दी, 4 डॉक्टर और बढ़ा दिए.
Etv Bharat से परिजनों ने की बात
पिछले 26 नवंबर से सिलसिलेवार तरीके से 18 बच्चों की मौत का मामला इतना राजनीतिक तूल पकड़ चुका था कि चारों ओर हड़कंप मचा हुआ था. इस दौरान ईटीवी भारत कुछ परिजनों के पास भी पहुंचा, Etv Bharat से बात करते हुए कुछ परिजनों ने मैदानी अमले को लेकर सवाल खड़े किए तो कुछ ने एंबुलेंस को लेकर दिक्कत बताई. वहीं कुछ ने प्राइवेट अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया. ज्यादातर परिजनों ने अपने अपने बच्चों की मौत की वजह निमोनिया ही बताई जो उन्हें डॉक्टर ने बताया था.
बता दें शहडोल के जिला अस्पताल में 26 नवंबर से लेकर अब तक 111 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। जिनमें से अब तक 18 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस अस्पताल में बीते 8 महीनों में 362 बच्चों की मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल में औसतन रोज 1 बच्चे की मौत हो रही है। अस्पताल नर्सों के भरोसे जिले कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के भरोसे चल रहा है। अस्पताल कुल 7 सीएचए हैं और इनमें से एक विशेषज्ञ नहीं है.