शहडोल। जिले में खरीफ के सीजन में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. जिले में लगभग 1,64,000 हेक्टेयर में मौजूदा साल धान की खेती की गई है. जिले में अब तक औसत वर्षा ही दर्ज की गई है. एक ओर पर्याप्त बारिश (Rain in Shahdol) न होने से किसान चिंतित हैं, तो वहीं दूसरी ओर धान की फसल में रोग भी लगने शुरू हो चुके हैं. इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है.
रोग लगने से किसान परेशान
शहडोल जिले में पहले ही औसत वर्षा की वजह से किसान परेशान हैं. मौजूदा साल बारिश कहीं धोखा ना दे दे. किसी कदर किसानों ने धान की रोपाई (Paddy Cropping Shahdol) का कार्य तो पूरा कर लिया, लेकिन अगर आगे अच्छी बारिश नहीं हुई तो किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है. किसानों की मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती हैं. इन दिनों धान की फसल में रोग भी देखने को मिल रहे हैं. धान की फसल में पत्तियों में पीलापन आ रहा है. किसानों का कहना है कि वह खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि यह कौन सा रोग है. कहीं पीलापन है तो कहीं पत्तियां सूख गई हैं. इस बात से वह खुद भी चिंतित हैं.
धान की फसल में कहीं ऐसे लक्षण तो नहीं ?
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह ने बताया कि जब धान में इस तरह के लॉन्ग ड्राई स्पेल आते हैं, तो फफूंद जनित रोग ब्लास्ट आता है. इसे झुलसा रोग भी कहते हैं. झुलसा रोग में शुरुआती लक्षणों में पत्तियों में नाव के, आंख के, आकार के धब्बे बनते हैं. वह एकदम धूसर होते हैं. ये धब्बे बड़े होकर कई बार पत्तियों को झुलसा देते हैं. दूर से देखने पर ऐसा लगता है की मानो पूरा खेत आग से झुलस गया हो. खास तौर पर जो यह हाइब्रिड किस्में है, इनमें इसका सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिलता है. जिन खेतों में यूरिया का ज्यादा उपयोग होता है, वहां भी यह रोग दिखता है.
ब्लाइट रोग के लक्षण
ब्लाइट रोग के लक्षणों को लेकर कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientist) बताते हैं कि ब्लाइट में पत्तियों के किनारे पहले धीरे-धीरे पीलापन आता है. बाद में गहरे भूरे रंग के धब्बे के रूप में और फिर बाद में पूरी पत्तियां अंत में सूख जाती हैं. हलांकि किसानों को इसे कई बार आईडेंटिफाई करने में बड़ी दिक्कत होती है. ये बैक्टीरियल ब्लाइट है या फिर फंगल ब्लाइट है. आजकल ब्लाइट का ज्यादा प्रकोप है, इसीलिए जब किसान को इसकी दवाई बताते हैं तो फफूंद नाशक के साथ-साथ एंटीबैक्टीरियल दवाई भी बताते हैं.
झुलसा रोग की ऐसे करें रोकथाम
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने बताया कि झुलसा रोग की रोकथाम के लिए हेक्साकोनाजोल 100 मिलीलीटर या प्रॉपिकोनाजोल 200 से 250 मिलीलीटर प्रति एकड़ 10 टंकी का घोल बनाकर छिड़काव करें. जिन खेतों में यह प्रकोप दिखाई दे रहा है, उनमें भरा हुआ पानी बाहर कर दें. ब्लाइट रोग की रोकथाम के लिए फफूंद नाशक के साथ स्ट्रेप्टो सायकलीन 5 ग्राम प्रति टंकी मिलाकर छिड़काव करें.
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कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि यही नहीं 10-15 दिन बाद गांधी बग कीट का प्रकोप भी हो सकता है. इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 150 मिली प्रति एकड़ या थायो मेथाकसाम 50 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करना चाहिए.