ETV Bharat / state

Somvati Amavasya 2023: कब है सोमवती आमवस्या, जानें सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं इस दिन वटवृक्ष की पूजा

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है.सोमवती अमावस्या को हिंदू धर्म की महिलाएं खास पूजा करती हैं. इस बार 20 फरवरी 2023 को सोमवती अमावस्या पड़ रही है. जानिए इसकी पूजा विधि के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.

somvati amavasya 2023
सोमवती अमावस्या 2023
author img

By

Published : Feb 14, 2023, 10:03 PM IST

सोमवती अमावस्या 2023

शहडोल। साल 2023 की पहली सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को पड़ रही है, ये फाल्गुन अमावस्या है. सोमवार के दिन होने की वजह से यह सोमवती अमावस्या कहलाती है. सोमवार को पड़ने वाली यह अमावस्या क्यों है खास, इस अमावस्या के दिन सौभाग्यवती महिलाएं विशेष पूजा करती हैं. कैसे और किस मुहूर्त में पूजा करके वो विशेष फल प्राप्त कर सकती हैं. ये ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए.

वटवृक्ष की होती है पूजा: शास्त्रों में ये लिखा हुआ है कि जो सोमवार को अमावस्या पड़ती है, उस दिन भगवान विष्णु का निवास वटवृक्ष में होता है. ऐसे में शादी शुदा महिलाएं प्रातः कालीन स्नान करके पूजन की सामग्री लेकर वटवृक्ष के पास जाकर वहां पर स्नान कराती हैं. इसके बाद फल फूल चढ़ाती हैं, चंदन लगाती हैं, इसके बाद सफेद धागा लेकर 108 परिक्रमा लगाते हुए वटवृक्ष पर बांधती हैं. ऐसा करने से उनके सौभाग्य की रक्षा होती है. साथ ही उनका पूरा परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होता है.

पूजा का होता है विशेष महत्व: शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि, जो महिलाएं संतान युक्त होती हैं और विधि विधान से वटवृक्ष की परिक्रमा करती हैं, हवन करती हैं वो हमेशा सौभाग्यवती बनी रहती हैं. इसी वजह से सोमवती अमावस्या के दिन सौभाग्यवती महिलाएं वटवृक्ष के पास जाकर पूजन कर भोग लगाती हैं. इसके साथ ही यथाशक्ति जो हो सके दान करें. वटवृक्ष के नीचे महिलाएं खड़ी हो जाएं तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद उन्हें मिलता है.

Mahashivratri 2023: बेहद चमत्कारी साबित होता है महादेव का ये 5 मंत्र, भोलेनाथ की बरसती है कृपा

एक दिन पूजा करके पा सकते हैं पूरा पुण्य: जो महिलाएं हर दिन पूजा नहीं कर पाती हैं वो भी अगर इस सोमवती अमावस्या के दिन वटवृक्ष के नीचे जाकर पूजा करें, 108 बार धागा वटवृक्ष के लपेटे, तो उनकी पूरी पूजा मान ली जाती है. उनको पूरा पुण्य मिलता है और जाने-अनजाने में किए गए पाप मिट जाते हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:00 बजे से सुबह 9:00 बजे तक देवपूजा कही जाती है. सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच में मनुष्य पूजा कहा जाता है और दोपहर 12:00 के बाद पूजा करने का कोई फल नहीं मिलता है. इसलिए विशेषकर वहां सुबह उठकर स्नान करके पूजा अर्चन करें तो विशेष लाभ होता है और एक सफल पूजा मानी जाती है.

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि कब, शिव-पार्वती विवाह के दिन क्यों मनाया जाता ये पर्व?

वटवृक्ष में धागा बांधने का महत्व: यहां जो धागा बांधा जाता है वो रुई से बना हुआ सफेद धागा होता है, जिसे कच्चा सूत भी कहा जाता है. 108 बार उस धागे को वटवृक्ष के चारो ओर लपेटा जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के 1008 नाम भी हैं, 108 भी नाम है. जो लोग भगवान का नाम नहीं ले पाते हैं, वह ऐसा करने से बंधन से मुक्त हो जाते हैं. इसी वजह से वटवृक्ष में 108 बार धागा लपेटा जाता है. ऐसा करने वाले खुद तो हर तरह के बंधन से मुक्त होते ही हैं साथ ही पति की भी रक्षा होती है. इसी वजह से सफेद धागा में थोड़ी हल्दी लगाकर 108 बार परिक्रमा करके लपेट दें तो पूर्ण फल मिलता है. पूरा परिवार उनका व्यवस्थित हो जाता है और पुण्य का भागी होता है.

ऐसे करें पूजा: वटवृक्ष के नीचे जाकर पहले स्नान कराएं, फिर चंदन, फूल, बेलपत्र और भोग लगाएं. इसके बाद आरती और हवन करें. फिर सभी महिलाएं मिलकर एक साथ राम-राम कहे. भगवान विष्णु का नाम लेते हुए 108 बार वटवृक्ष की परिक्रमा करें. वटवृक्ष में 108 बार कच्चा सूत लपेटे तो पूजा पूर्ण मानी जाती है.

सोमवती अमावस्या 2023

शहडोल। साल 2023 की पहली सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को पड़ रही है, ये फाल्गुन अमावस्या है. सोमवार के दिन होने की वजह से यह सोमवती अमावस्या कहलाती है. सोमवार को पड़ने वाली यह अमावस्या क्यों है खास, इस अमावस्या के दिन सौभाग्यवती महिलाएं विशेष पूजा करती हैं. कैसे और किस मुहूर्त में पूजा करके वो विशेष फल प्राप्त कर सकती हैं. ये ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए.

वटवृक्ष की होती है पूजा: शास्त्रों में ये लिखा हुआ है कि जो सोमवार को अमावस्या पड़ती है, उस दिन भगवान विष्णु का निवास वटवृक्ष में होता है. ऐसे में शादी शुदा महिलाएं प्रातः कालीन स्नान करके पूजन की सामग्री लेकर वटवृक्ष के पास जाकर वहां पर स्नान कराती हैं. इसके बाद फल फूल चढ़ाती हैं, चंदन लगाती हैं, इसके बाद सफेद धागा लेकर 108 परिक्रमा लगाते हुए वटवृक्ष पर बांधती हैं. ऐसा करने से उनके सौभाग्य की रक्षा होती है. साथ ही उनका पूरा परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होता है.

पूजा का होता है विशेष महत्व: शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि, जो महिलाएं संतान युक्त होती हैं और विधि विधान से वटवृक्ष की परिक्रमा करती हैं, हवन करती हैं वो हमेशा सौभाग्यवती बनी रहती हैं. इसी वजह से सोमवती अमावस्या के दिन सौभाग्यवती महिलाएं वटवृक्ष के पास जाकर पूजन कर भोग लगाती हैं. इसके साथ ही यथाशक्ति जो हो सके दान करें. वटवृक्ष के नीचे महिलाएं खड़ी हो जाएं तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद उन्हें मिलता है.

Mahashivratri 2023: बेहद चमत्कारी साबित होता है महादेव का ये 5 मंत्र, भोलेनाथ की बरसती है कृपा

एक दिन पूजा करके पा सकते हैं पूरा पुण्य: जो महिलाएं हर दिन पूजा नहीं कर पाती हैं वो भी अगर इस सोमवती अमावस्या के दिन वटवृक्ष के नीचे जाकर पूजा करें, 108 बार धागा वटवृक्ष के लपेटे, तो उनकी पूरी पूजा मान ली जाती है. उनको पूरा पुण्य मिलता है और जाने-अनजाने में किए गए पाप मिट जाते हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:00 बजे से सुबह 9:00 बजे तक देवपूजा कही जाती है. सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच में मनुष्य पूजा कहा जाता है और दोपहर 12:00 के बाद पूजा करने का कोई फल नहीं मिलता है. इसलिए विशेषकर वहां सुबह उठकर स्नान करके पूजा अर्चन करें तो विशेष लाभ होता है और एक सफल पूजा मानी जाती है.

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि कब, शिव-पार्वती विवाह के दिन क्यों मनाया जाता ये पर्व?

वटवृक्ष में धागा बांधने का महत्व: यहां जो धागा बांधा जाता है वो रुई से बना हुआ सफेद धागा होता है, जिसे कच्चा सूत भी कहा जाता है. 108 बार उस धागे को वटवृक्ष के चारो ओर लपेटा जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के 1008 नाम भी हैं, 108 भी नाम है. जो लोग भगवान का नाम नहीं ले पाते हैं, वह ऐसा करने से बंधन से मुक्त हो जाते हैं. इसी वजह से वटवृक्ष में 108 बार धागा लपेटा जाता है. ऐसा करने वाले खुद तो हर तरह के बंधन से मुक्त होते ही हैं साथ ही पति की भी रक्षा होती है. इसी वजह से सफेद धागा में थोड़ी हल्दी लगाकर 108 बार परिक्रमा करके लपेट दें तो पूर्ण फल मिलता है. पूरा परिवार उनका व्यवस्थित हो जाता है और पुण्य का भागी होता है.

ऐसे करें पूजा: वटवृक्ष के नीचे जाकर पहले स्नान कराएं, फिर चंदन, फूल, बेलपत्र और भोग लगाएं. इसके बाद आरती और हवन करें. फिर सभी महिलाएं मिलकर एक साथ राम-राम कहे. भगवान विष्णु का नाम लेते हुए 108 बार वटवृक्ष की परिक्रमा करें. वटवृक्ष में 108 बार कच्चा सूत लपेटे तो पूजा पूर्ण मानी जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.