शहडोल। सूर्य देव को प्रत्यक्ष भगवान माना गया है, अर्थात ऐसे साक्षात भगवान जो नजर आते हैं. सूर्य भगवान को स्नान करने के बाद अर्घ देने का एक अलग ही महत्व है. जो भी व्यक्ति सूर्य भगवान को नियमतह अर्घ देता है, उसे बहुत फायदे मिलते हैं. आखिर शनि की साढ़े साती में सूर्य को अर्घ देने के क्या फायदे हैं. किस तरीके से सूर्य भगवान को अर्घ देने देना चाहिए और इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. जानेंगे पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से -
सूर्यदेव को अर्घ देने के फायदे: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि सूर्य भगवान इस धरती में साक्षात देवता माने गए हैं. स्पष्ट दिखाई देने वाले देवता माने गए हैं और ऐसे में सूर्य भगवान को अर्घ देने के अलग ही फायदे हैं, बस उसे नियमतः करना चाहिए. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अर्घ देने से सूर्य तेज होता है, इसलिए बुद्धि तेज होती है. धन और बल बढ़ता है, परिवार सुखी होता है. इसलिए सूर्यदेव को अर्घ देने का विशेष महत्व होता है.
ऐसे दें सूर्यदेव को अर्घ: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, एक तांबे के लोटे में जल ले लें और सूर्य की ओर देखते हुए उसे नीचे की ओर गिराते हैं तो उसे अर्घ देना कहते हैं और वही सूर्य स्नान भी कहलाता है.
8 साल से ऊपर वालों के लिए जरूरी: जो 12 राशियों के जातक हैं और ऐसे जातक, जिनकी उम्र 8 साल से ऊपर हो जाती है उनको अर्घ अवश्य देना चाहिए. अर्घ देने का बहुत ज्यादा महत्व है, ऐसे जातकों को सुबह स्नान करके तांबे का लोटा लेकर के उसमें पानी लें और सूर्य देव के दर्शन करें और खड़े होकर सूर्य को देखते हुए जल और दूध का धार लगाएं. धार लगाने के बाद उसे जल्दी करके अपने मस्तक पर लगा लें.
इन तीन राशि के जातकों के लिए जरूरी: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इन तीन राशि के जातकों को तो सूर्यदेव को अर्घ जरूर देना चाहिए. मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि में इन दिनों शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ है. ऐसे जातक विशेष रुप से ध्यान रखें कि प्रातः कालीन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और जैसे ही सूर्य निकले उन्हें स्पष्ट देखते हुए पहले जल से सूर्यदेव को अर्घ अर्पित करें. इसके बाद दूध से अर्घ्य दें, इसके बाद लाल फूल चढ़ा दें और प्रणाम करें. जिससे सूर्य का जो तेज होगा, उससे जातक स्वस्थ रहेंगे, घर में किसी तरह की समस्या नहीं आएगी और घर में सुख शांति बनी रहेगी.