शहडोल। जिले में पिछले 72 घंटों से हो रही झमाझम बरसात की वजह से चारों ओर इन दिनों पानी ही पानी नजर आ रहा है, जहां भी देखिए जलभराव की स्थिति देखने को मिल रही है. तालाब हो, खेत हो, खलियान हो, सभी पानी से लबालब हैं. आलम यह है कि अब खेत भी तालाब की तरह दिखने लगे हैं, जिसकी वजह से किसानों की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है और इसके अलावा दलहन और तिलहन की भी फसलें लगाई जाती हैं, लेकिन इस भारी बारिश की वजह से अब किसान परेशान है कि कहीं उसके फसलों का नुकसान ना हो जाए. आखिर किस तरह से किसान परेशान है, कैसे फसलों का नुकसान हो रहा है, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट....
धान की फसल का हो रहा नुकसानः किसान रवि कांत साहू बताते हैं कि इस बारिश से अब बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना बन गई है. कई लोगों के धान की नर्सरी जो अभी ट्रांसप्लांट हुई है, खेतों में वह बह रही है, जिनकी धान की नर्सरी काफी पहले लग चुकी है. वह खेतों में जलभराव की वजह से सड़ने के कगार पर है. इतना ही नहीं जिनके धान की नर्सरी अभी ट्रांसप्लांट नहीं हुई है, उसके ट्रांसप्लांट होने में उसको समय तो लग रहा है, जिससे उत्पादन में असर पड़ेगा. इसके अलावा इस बारिश की वजह से ट्रांसप्लांट भी नहीं हो पा रहा है. कुल मिलाकर धान की खेती में इस बार किसान को बहुत नुकसान होने की संभावना बनी हुई है.
दलहन और तिलहन की फसल पर भी संकटः किसान सत्यकुमार बताते हैं कि जिस तरह से लगातार बारिश हो रही है, उसकी वजह से दलहन और तिलहन की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. साथ ही क्षेत्र में सोयाबीन की खेती बड़े रकबे में की जाती है. अभी तो सोयाबीन की फसल को नुकसान नहीं है, लेकिन जिस तरह से झमाझम बरसात हो रही है. अगर किसी के खेत में जलभराव की स्थिति बनती है. इसी तरह लगातार बारिश कुछ और दिन तक होती रहती है, तो सोयाबीन की फसलों पर भी नुकसान होने की संभावना बन सकती है.
ऐसे हो रहा फसलों का नुकसानः ग्रामीण मंदरमन सिंह बताते हैं कि इस साल बहुत ज्यादा बारिश हो रही है, कई सालों बाद इस तरह की बारिश देखने को मिल रही है. ग्रामीण मंदरमन सिंह बताते हैं कि मौजूदा साल शुरुआत से ही बहुत तेज बारिश हुई, जिसकी वजह से ज्यादातर किसान धान की नर्सरी लगाने में लेट हो गए और जब धान की नर्सरी तैयार हुई तो एक बार फिर से झमाझम बरसात हो रही है, जिसकी वजह से अब उसे सही समय पर खेतों में ट्रांसप्लांट नहीं कर पा रहे हैं, जिससे किसानों का नुकसान हो रहा है. अब जब बारिश रुकेगी और खेत से पानी कुछ खाली होगा, उसके बाद ही धान की नर्सरी को ट्रांसप्लांट की जाएगी.
कृषि वैज्ञानिक ने बताई ये बातः कृषि वैज्ञानिक बीके प्रजापति कहते हैं, ''जैसा कि आप देख रहे हैं कि 3 अगस्त तक 629 एमएम तक बारिश हो चुकी है और लास्ट के 2 दिनों में आप देखे होंगे कि बारिश बहुत ही अत्यधिक तीव्र गति से हुई है, जिसके चलते किसान अपने धान की नर्सरी खेतों पर रोपाई नहीं कर पा रहे हैं, खेत पानी से भरा हुआ है. इसके अलावा आप देखे होंगे कि 3 से 4 दिनों में जो किसान खेतों पर नर्सरी की रोपाई किए हैं. पूरी तरह से भूमि में स्टैब्लिशमेंट नहीं हो पाने की वजह से पूरे धान की नर्सरी बहने लगी है. इसके अलावा दलहनी और तिलहनी फसलों पर भी अगर लंबे समय तक जलभराव रहेगा तो उनको भी नुकसान होगा. उसमें भी कीट और बीमारियों का सामना करना पड़ेगा.''
जिले में फसलों का रकबा: जिले में धान की खेती प्रमुख तौर पर की जाती है. जिले में लगभग एक लाख 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की गई है. इसके अलावा लगभग 9,000 हेक्टेयर में अरहर की खेती की जा रही है. 4,000 हेक्टेयर के लगभग उड़द की खेती और 4,500 हेक्टेयर के लगभग तिल की खेती की जा रही है.
बारिश होने की वजह से किसान चिंतितः गौरतलब है कि शहडोल जिले में पिछले 72 घंटे से लगातार बारिश होने की वजह से किसान भी अब चिंतित है. वजह है कि जिस तरह से बारिश हो रही है. किसानों की फसलों का नुकसान हो रहा है और किसानों के खेत भी तालाबों की तरह नजर आने लगे हैं. ऐसे में किसान अब चिंतित है कि अगर कुछ दिन और इसी तरह बारिश लगातार होती रही तो फसलों का बहुत ज्यादा नुकसान हो जाएगा. बारिश होने की वजह से किसान अपने धान के फसल की नर्सरी को ट्रांसप्लांट नहीं कर पा रहा है, जो ट्रांसप्लांट है वो बह रहा है, जलभराव की वजह से सड़ रहा है, जिससे खेती में देरी हो रही है और नुकसान भी हो रहा है.